योग का जन्म भारत में ही हुआ है. मगर दुखद यह है कि आधुनिक कहे जाने वाले समय में अपनी दौड़ती-भागती जिंदगी से लोगों ने योग को अपनी दिनचर्या से हटा लिया। जिसका असर लोगों के स्वाथ्य पर हुआ। मगर आज भारत में ही नहीं विश्व भर में योग का बोलबाला है और निसंदेह उसका श्रेय भारत के ही योग गुरूओं को जाता है जिन्होंने योग को फिर से पुनर्जीवित किया है.योगासन के द्वारा आप अपने शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं. सूर्य नमस्कार : सूर्य नमस्कार, योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है. इसके नियमित अभ्यास से मानव स्वस्थ रहता हैं और मानसिक-विचार भी शुद्ध होते हैं. एक स्वस्थ मनुष्य को रोजाना कुछ समय के लिए ही सही पर सूर्यनमस्कार अवश्य करना चाहिए .वैसे तो सूर्य नमस्कार में अलग-अलग १२ मंत्रो का उच्चारण किया जाता हैंऔर हर मंत्र का एक ही अर्थ होता हैं -"एक ही सरल अर्थ है- सूर्य को (मेरा) नमस्कार है" विधि : सर्वप्रथम दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों. फिर नेत्रो को बंद करके ध्यान 'आज्ञा चक्र' पर केंद्रित करके 'सूर्य भगवान' का आह्वान करें .श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं और गर्दन को पीछे कि और झुकाएं. फिर श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुके तथा हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें फिर घुटने सीधे करके माथे को घुटनों पर स्पर्श कराते हुए ध्यान नाभि के पीछे 'मणिपूरक चक्र' पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें.सूर्य नमस्कार हमारे शरीर के संपूर्ण अंगों की विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती हैं तथा यह पूरी प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है. इसके अभ्यासी के हाथों-पैरों के दर्द दूर होकर उनमें सबलता आ जाती है.

जानिए क्यों जरूरी हैं सूर्य-नमस्कार

योग का जन्म भारत में ही हुआ है. मगर दुखद यह है कि आधुनिक कहे जाने वाले समय में अपनी दौड़ती-भागती जिंदगी से लोगों ने योग को अपनी दिनचर्या से हटा लिया। जिसका असर लोगों के स्वाथ्य पर हुआ। मगर आज भारत में ही नहीं विश्व भर में योग का बोलबाला है और निसंदेह उसका श्रेय भारत के ही योग गुरूओं को जाता है जिन्होंने योग को फिर से पुनर्जीवित किया है.योगासन के द्वारा आप अपने शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं.योग का जन्म भारत में ही हुआ है. मगर दुखद यह है कि आधुनिक कहे जाने वाले समय में अपनी दौड़ती-भागती जिंदगी से लोगों ने योग को अपनी दिनचर्या से हटा लिया। जिसका असर लोगों के स्वाथ्य पर हुआ। मगर आज भारत में ही नहीं विश्व भर में योग का बोलबाला है और निसंदेह उसका श्रेय भारत के ही योग गुरूओं को जाता है जिन्होंने योग को फिर से पुनर्जीवित किया है.योगासन के द्वारा आप अपने शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं.    सूर्य नमस्कार : सूर्य नमस्कार, योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है. इसके नियमित अभ्यास से मानव स्वस्थ रहता हैं और मानसिक-विचार भी शुद्ध होते हैं. एक स्वस्थ मनुष्य को रोजाना कुछ समय के लिए ही सही पर सूर्यनमस्कार अवश्य करना चाहिए .वैसे तो सूर्य नमस्कार में अलग-अलग १२ मंत्रो का उच्चारण किया जाता हैंऔर हर मंत्र का एक ही अर्थ होता हैं -"एक ही सरल अर्थ है- सूर्य को (मेरा) नमस्कार है"    विधि : सर्वप्रथम दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों. फिर नेत्रो को  बंद करके  ध्यान 'आज्ञा चक्र' पर केंद्रित करके 'सूर्य भगवान' का आह्वान करें .श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं और गर्दन को पीछे कि और झुकाएं. फिर श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुके तथा हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें फिर घुटने सीधे करके माथे को घुटनों पर स्पर्श कराते हुए ध्यान नाभि के पीछे 'मणिपूरक चक्र' पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें.सूर्य नमस्कार हमारे शरीर के संपूर्ण अंगों की विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती हैं तथा यह पूरी प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है.  इसके अभ्यासी के हाथों-पैरों के दर्द दूर होकर उनमें सबलता आ जाती है.

सूर्य नमस्कार : सूर्य नमस्कार, योगासनों में सर्वश्रेष्ठ है. इसके नियमित अभ्यास से मानव स्वस्थ रहता हैं और मानसिक-विचार भी शुद्ध होते हैं. एक स्वस्थ मनुष्य को रोजाना कुछ समय के लिए ही सही पर सूर्यनमस्कार अवश्य करना चाहिए .वैसे तो सूर्य नमस्कार में अलग-अलग १२ मंत्रो का उच्चारण किया जाता हैंऔर हर मंत्र का एक ही अर्थ होता हैं -“एक ही सरल अर्थ है- सूर्य को (मेरा) नमस्कार है”

विधि : सर्वप्रथम दोनों हाथों को जोड़कर सीधे खड़े हों. फिर नेत्रो को  बंद करके  ध्यान ‘आज्ञा चक्र’ पर केंद्रित करके ‘सूर्य भगवान’ का आह्वान करें .श्वास भरते हुए दोनों हाथों को कानों से सटाते हुए ऊपर की ओर तानें तथा भुजाओं और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं और गर्दन को पीछे कि और झुकाएं. फिर श्वास को धीरे-धीरे बाहर निकालते हुए आगे की ओर झुके तथा हाथ गर्दन के साथ, कानों से सटे हुए नीचे जाकर पैरों के दाएं-बाएं पृथ्वी का स्पर्श करें फिर घुटने सीधे करके माथे को घुटनों पर स्पर्श कराते हुए ध्यान नाभि के पीछे ‘मणिपूरक चक्र’ पर केन्द्रित करते हुए कुछ क्षण इसी स्थिति में रुकें.सूर्य नमस्कार हमारे शरीर के संपूर्ण अंगों की विकृतियों को दूर करके निरोग बना देती हैं तथा यह पूरी प्रक्रिया अत्यधिक लाभकारी है.  इसके अभ्यासी के हाथों-पैरों के दर्द दूर होकर उनमें सबलता आ जाती है. 

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com