जायरा वसीम के बाद अब क्रिकेटर रसूल भी ट्रोलबाजों का हुए शिकार

इंग्लैंड के खिलाफ पहले टी-20 मैच में जम्मू-कश्मीर के ऑफ स्पिनर परवेज रसूल को शामिल किए जाने की खबर फैलते ही ट्विटर पर ट्रोलिंग की बाढ़ आ गई। ‘दंगल गर्ल’ जायरा वसीम की तरह परवेज भी ट्रोलबाजों के शिकार हो गए हैं।
जायरा वसीम के बाद अब क्रिकेटर रसूल भी ट्रोलबाजों का हुए शिकार

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एक अन्य ट्विटर अकाउंट से लिखा गया, ‘अब यह भी जायरा वसीम की तरह अलगाववादियों की बात सुनना शुरू कर देगा। उन्हीं की तरह ट्वीट करेगा और बयान देगा।’ एक ट्रोलबाज ने लिखा, ‘हम तो उन्हें अपना मानते हैं लेकिन आगे चलकर वह बोले कि वह कश्मीर का हीरो नहीं है तो…?’ एक और ट्वीट किया गया, ‘अब घाटी में रसूल का विरोध शुरू हो जाएगा, दंगल फिल्म के बाद।’

इंग्लैंड के खिलाफ 26 जनवरी से शुरू हो रही 3 मुकाबलों की टी-20 सीरीज में टीम इंडिया में शामिल किए गए रियासत के आलराउंडर परवेज रसूल ने कहा कि यह पूरी रियासत के लिए फख्र की बात है। उन्हें टीम इंडिया में जो मौका दिया गया है, इंशा अल्लाह वह बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब होंगे। 

टी-20 टीम में शामिल होने वाले कश्मीर के पहले क्रिकेटर हैं परवेज

इस मुकाम तक पहुंचने से राज्य के युवा क्रिकेटरों का हौसला बढ़ने के साथ उनके लिए नया प्लेटफार्म बनेगा। उन्होंने कहा, ‘हालांकि इस टीम में हमारे साथ महान ऑफ स्पिनर आर. अश्विन होते तो मुझे ज्यादा अच्छा लगता।’ परवेज भारतीय टी-20 टीम में शामिल होने वाले कश्मीर के पहले क्रिकेटर हैं।

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दिल्ली से दाएं हाथ के ऑफ स्पिनर और आलराउंडर परवेज रसूल ने अमर उजाला को बताया कि वह पूर्व रणजी और अन्य दूसरी सीरीज में बेहतर प्रदर्शन करने की लय को बनाए हुए हैं। टी-20 सीरीज में भी शानदार प्रदर्शन की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि टीम इंडिया के टी-20 स्क्वायड में खेलने का उनका सपना पूरा हो रहा है। इस तेज क्रिकेट में बेहतर प्रदर्शन करना उनका उद्देश्य है।

बेदी और थरूर के चहेते हैं रसूल

परवेज रसूल दाएं हाथ से स्पिन गेंदबाजी के अलावा अच्छी बल्लेबाजी भी कर लेते हैं। महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी उन्हें प्रतिभा से भरपूर गेंदबाज मानते हैं और उनकी गेंदबाजी को धारदार बनाने में बेदी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वर्ष 2013 में जब रसूल को जिंबाब्वे के खिलाफ  पांचवें और अंतिम एकदिवसीय मैच में भी अंतिम एकादश में जगह नहीं मिली तो उमर अब्दुल्ला ने निराश होकर ट्वीट किया था कि क्या रसूल को जिंबाब्वे सिर्फ इसलिए ले जाया गया कि उसका मनोबल गिराया जाए। यह काम तो देश में भी आसानी से हो सकता था। पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने भी उस समय रसूल को प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं देने के फैसले पर सवाल उठाया था। 

 
 
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