जूनियर हॉकी विश्व कप में अब 15 साल बाद भारत फाइनल में, ऑस्ट्रेलिया को पेनल्टी शूटआउट में हराया

आक्रामक हॉकी का नायाब नमूना पेश करते हुए भारत ने शुक्रवार (16 दिसंबर) को यहां पेनल्टी शूटआउट में ऑस्ट्रेलिया को 4-2 से हराकर 15 साल बाद जूनियर विश्व कप के फाइनल में प्रवेश किया जहां उसका सामना बेल्जियम से होगा। खचाखच भरे मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर जैसे ही भारत के लिये मनप्रीत सिंह जूनियर ने चौथी पेनल्टी को गोल में बदलादर्शकों में मानो जोश का तूफान उमड़ पड़ ।
मैदान पर चारों ओर तिरंगे लहराते दिखाई देने लगे और पूरा स्टेडियम चक दे इंडिया’ से गुंजायमान हो गया। पिछले 11 बरस से जूनियर हॉकी में कांस्य पदक का मुकाबला हारने की टीस से जूझ रहे कोच हरेंद्र सिंह ने मैदान को प्रणाम किया और खिलाड़ी आंखों मे आंसू लेकर एक दूसरे के गले लग गए। पेनल्टी शूट आउट में भारत के लिये कप्तान हरजीत सिंह ने 21वें मिनट में रिबाउंड पर पहला गोल किया जबकि ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह और सुमित ने बाकी दो गोल दागे। आखिरी गोल मनप्रीत ने किय।
 वहीं ऑस्ट्रेलिया के लिये ब्लैक गोवर्स और जैक वेल्श ने गोल किये जबकि मैथ्यू बर्ड और लाशलान शार्प के निशाने चूक गए। इससे पहले निर्धारित समय तक स्कोर 2-2 से बराबर था। भारत के लिये गुरजंत सिंह (42वां) और मनदीप सिंह (48वां मिनट) ने गोल किये जबकि आस्ट्रेलिया के लिये टाम क्रेग (14वां मिनट) और शार्प (57वां) ने गोल दागे।
भारत तीसरी बार जूनियर विश्व कप हॉकी के फाइनल में पहुंचा है। सबसे पहले 1997 में इंग्लैंड के मिल्टन केनेस में हुए फाइनल में उसे ऑस्ट्रेलिया ने 3-2 से हराया था। इसके चार साल बाद ऑस्ट्रेलिया के होबर्ट में भारत ने अर्जेंटीना को 6-1 से हराकर एकमात्र खिताब जीता।
रोटरडम में 2005 जूनियर हॉकी विश्व कप के कांस्य पदक के मुकाबले में स्पेन ने भारत को हराया था। वहीं बेल्जियम पहली बार इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा है। मैच में पहले हाफ में भारतीयों ने गोल करने के कई आसान मौके गंवाये। क्वॉर्टर फाइनल में 55वें मिनट तक स्पेन से एक गोल से पिछड़ने वाली भारतीय टीम ने बाद में उसी अंदाज में वापसी करते हुए दो गोल दागे। पहले हाफ में गेंद पर नियंत्रण के मामले में मेजबान का पलड़ा भारी रहा लेकिन सर्कल के भीतर फॉरवर्ड पंक्ति ने चूक की।
भारत को सबसे पहले गोल करने का मौका 12वें मिनट में मिला लेकिन गुरजंत सिंह से मिले पास को परविंदर सिंह सर्कल के भीतर पकड़ नहीं सके। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया ने भी हमले तेज कर दिये जिसका फायदा 13वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर के रूप में मिला। इस पर पहले शॉट में गोल नहीं हो सका और रिबाउंड पर भी निशाना चूक गया लकिन दूसरे रिबाउंड पर टाम क्रेग ने गेंद को गोल के भीतर डाल दिया।
भारत को पहले पेनल्टी कार्नर के लिये 27वें मिनट तक इंतजार करना पड़ा। एक ही मिनट में भारत को दो पेनल्टी कार्नर मिले और दूसरे पर हरमनप्रीत सिंह के शॉट पर गेंद ऑस्ट्रेलियाई गोलकीपर थामस एशले की स्टिक से टकराकर गोलपोस्ट के ऊपर से निकल गई। इसके चार मिनट बाद विरोधी गोल पर पहला सीधा शॉट भी नाकाम रहा। हरमनप्रीत ने बाहर से विक्रमजीत सिंह को सर्कल के भीतर गेंद की जिनका शाट विरोधी गोलकीपर ने मुस्तैदी से बचाया। दो मिनट बाद सिमरनजीत सिंह ने खाली पड़े गोल के सामने आसान मौका गंवाया जिस पर ऑस्ट्रेलियाई डिफेंडर सर्कल के बाहर थे।
 दूसरे हाफ में भारतीय गोलकीपर विकास दहिया की अगुवाई में डिफेंस ने मुस्तैदी दिखाते हुए ऑस्ट्रेलिया के कई हमलों को नाकाम किया। इस हाफ में ऑस्ट्रेलिया को चार पेनल्टी कॉर्नर मिले लेकिन एक पर भी कामयाबी हाथ नहीं लगी। ब्रेक के बाद दूसरे ही मिनट में आस्ट्रेलिया को पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन इस पर गोल नहीं हो सका। इस बीच भारत के लिये बराबरी का गोल 42 वें मिनट में गुरजंत ने किया। यह गोल फारवर्ड पंक्ति के शानदार टीम प्रयास का नतीजा था जब सिमरनजीत सिंह ने दाहिने छोर से बायीं ओर गुरजंत को गेंद सौंपी और उसने शानदार गोल दागा जो टूर्नामेंट के सबसे खूबसूरत गोल में से एक था।
भारत ने छह मिनट बाद बढ़त बना ली जब नीलकांता शर्मा से मिले पास पर मनदीप सिंह ने गेंद को गोल के भीतर डाला। स्कोर 2-1 होने के बाद हालांकि भारतीय डिफेंस थोड़ा चरमरा गया और इसका फायदा उठाकर ऑस्ट्रेलिया ने 57वें मिनट में बराबरी का गोल कर दिया। ऑस्ट्रेलिया को 64वें मिनट में एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला लेकिन दिप्सन टिर्की की अगुवाई में भारतीय डिफेंस ने इसे नाकाम कर दिया ।
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