टीम इंडिया का कोच बनने को बेताब थे गांगुली, तब क्या-क्या किया था

टीम इंडिया का कोच बनने को बेताब थे गांगुली, तब क्या-क्या किया था

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने शुक्रवार को कहा कि वो राष्ट्रीय टीम के कोच बनने के लिए बेताब थे, लेकिन एक प्रशासक बनकर रह गए।
टीम इंडिया का कोच बनने को बेताब थे गांगुली, तब क्या-क्या किया थाउन्होंने कहा, ‘आप जो करना चाहते है वो कीजिये और परिणाम की फिक्र मत कीजिये। आपको कभी पता नहीं चलेगा कि जिंदगी किस तरफ जाएगी, आपको कभी पता नहीं चलेगा कि जिंदगी आपको कहां ले जाएगी। 1999 में मैं ऑस्ट्रेलिया गया, तब टीम इंडिया का उप-कप्तान भी नहीं था। सचिन तेंदुलकर तब कप्तान थे और तीन महीने के बाद मैं टीम इंडिया का कप्तान बना।’

गांगुली ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2017 में कहा, ‘जब मैं प्रशासन में आया तब राष्ट्रीय टीम का कोच बनने के लिए बेताब था। जगमोहन डालमिया ने मुझे कॉल किया और कहा, ‘6 महीने के लिए कोशिश क्यों नहीं करते हो।’ उनका स्वर्गवास हुआ और उस समय कोई नहीं था, लिहाजा मैं कैब अध्यक्ष बन गया। लोगों को अध्यक्ष बनने में 20 साल लग जाते हैं। आपको दिन के लिए जीना होता है।’

45 वर्षीय गांगुली ने कोच ग्रेग चैपल के साथ विवादित मुद्दे पर भी विचार प्रकट किए और बताया कि उन्होंने इसे खत्म करना क्यों सही समझा। बता दें कि टीम इंडिया के सफलतम कप्तानों में से एक गांगुली को जनवरी 2006 में टीम से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद उन्होंने दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका दौरे पर जोहानसबर्ग टेस्ट में वापसी की और नाबाद 51 रन की पारी खेली।

सचिन तेंदुलकर ने गांगुली को दी थी एक सलाह, जो ‘दादा’ ने नहीं मानी

इसके बाद 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ घरेलू सीरीज में गांगुली ने पहले शतक और फिर दोहरा शतक जमाया। फिर नवंबर 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नागपुर टेस्ट में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया।

गांगुली ने एक और रोचक राज खोला। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने संन्यास की घोषणा की तो लंच के समय सचिन मेरे पास आए और उन्होंने पूछा आपने ऐसा फैसला क्यों लिया? मैंने कहा क्योंकि मुझे अब नहीं खेलना है। फिर सचिन बोले, ‘आपको इतनी शानदार लय में खेलते देखने को मिला है। यह आपका सर्वश्रेष्ठ समय है। पिछले तीन सालों में आपने बेहतरीन क्रिकेट खेली है।’

टीम गेम से बहुत परेशान हैं सौरव गांगुली

गॉड ऑफ ऑफसाइड के नाम से मशहूर गांगुली ने आगे कहा, ‘मैंने संन्यास लिया क्योंकि एक समय आपको लगता है कि बहुत हुआ। इसका कारण यह नहीं कि आपने बहुत क्रिकेट खेली हो, लेकिन आप बहुत बार सिलेक्ट हो चुके हैं, वो बहुत है। मैं वो दिन याद करता हूं तो सोचता हूं कि व्यक्तिगत खेल टीम गेम से ज्यादा बेहतर हैं।’

गांगुली ने कहा कि टीम खेल में सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि एक खिलाड़ी का चयन कई लोग करते हैं। इसलिए अगर कोई एक व्यक्ति बेहतर प्रदर्शन कर रहा हो, उसे भी जगह नहीं मिल पाती है। बकौल गांगुली, ‘मैंने पहले भी कई बार कहा है कि लीएंडर पेस इस अंदाज में इसलिए खेल पाए क्योंकि वो अपनी जिंदगी अपने अंदाज में जीते हैं। दूसरे पहलू को देखे तो आप पाएंगे कि एक बार खराब प्रदर्शन के बाद वापसी करना मुश्किल है। टीम से बाहर होना और वापसी करना हर खेल का भाग है। दिग्गज डिएगो मैराडोना और राहुल द्रविड़ ने दूसरो के लिए जगह बनाई। वो और भी खेल सकते थे।’

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