मोदी सरकार के आगमन के बाद से भारत में डिजिटल मनी के चलन ने खूब जोर पकड़ा है, खुद पीएम मोदी भी डिजिटल करंसी और भारत कजो कॅश लैस करने की बात करते हैं. लेकिन इस मामले में हमारा पड़ोसी देश चीन हमसे कई गुना आगे निकल चुका है. इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन के भिखारी भी कैश नहीं बल्कि डिजिटल मनी लेने लगे हैं. हैरान हो गए न आप, ये सच है कि चीन के भिखारी भी क्यूआर कोड और ई-वॉलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. एक मस्जिद जहाँ पढ़ी जाती है गीता और बाइबिल स्थानीय सूत्रों ने बताया कि चीन में भिखारी मोबाइल पेमेंट द्वारा भीख लेते हैं, इससे उन्हें ज्यादा फायदा हो रहा है, क्योंकि जिनके पास खुल्ले नहीं रहते, वे भी मोबाइल से कुछ पैसे ट्रांसफर कर ही देते हैं. पहले लोग खुल्ले न होने का बहाना बनाकर बच जाते थे, लेकिन जब चीन का हर इंसान डिजिटल करंसी इस्तेमाल कर रहा है, तो वहां के भिखारी क्यों पीछे रहते. महिला के पेट से निकली हैरान करने वाली चीज़ ख़बरों के अनुसार चीन के भिखारियों के कटोरों में क्यूआर कोड छापा रहता है, लोग इस क्यूआर कोड को स्कैन करके उनके डिजिटल वॉलेट में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. अगर आंकड़ों की माने तो हर हफ्ते चीन के भिखारी इस तरह भीख मांगकर लगभग 4500 युआन यानि भारतीय करंसी के हिसाब से करीब 47000 रुपए से भी ज्यादा कमा लेते हैं. हालाँकि यह रकम चीन के हिसाब से न्यूनतम मजदूरी के बराबर है.

डिजिटल करंसी की भीख लेते हैं ये भिखारी

मोदी सरकार के आगमन के बाद से भारत में डिजिटल मनी के चलन ने खूब जोर पकड़ा है, खुद पीएम मोदी भी डिजिटल करंसी और भारत कजो कॅश लैस करने की बात करते हैं. लेकिन इस मामले में हमारा पड़ोसी देश चीन हमसे कई गुना आगे निकल चुका है. इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन के भिखारी भी कैश नहीं बल्कि डिजिटल मनी लेने लगे हैं. हैरान हो गए न आप, ये सच है कि चीन के भिखारी भी क्यूआर कोड और ई-वॉलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं.मोदी सरकार के आगमन के बाद से भारत में डिजिटल मनी के चलन ने खूब जोर पकड़ा है, खुद पीएम मोदी भी डिजिटल करंसी और भारत कजो कॅश लैस करने की बात करते हैं. लेकिन इस मामले में हमारा पड़ोसी देश चीन हमसे कई गुना आगे निकल चुका है. इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चीन के भिखारी भी कैश नहीं बल्कि डिजिटल मनी लेने लगे हैं. हैरान हो गए न आप, ये सच है कि चीन के भिखारी भी क्यूआर कोड और ई-वॉलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं.  एक मस्जिद जहाँ पढ़ी जाती है गीता और बाइबिल  स्थानीय सूत्रों ने बताया कि चीन में भिखारी मोबाइल पेमेंट द्वारा भीख लेते हैं, इससे उन्हें ज्यादा फायदा हो रहा है, क्योंकि जिनके पास खुल्ले नहीं रहते, वे भी मोबाइल से कुछ पैसे ट्रांसफर कर ही देते हैं. पहले लोग खुल्ले न होने का बहाना बनाकर बच जाते थे, लेकिन जब चीन का हर इंसान डिजिटल करंसी इस्तेमाल कर रहा है, तो वहां के भिखारी क्यों पीछे रहते.   महिला के पेट से निकली हैरान करने वाली चीज़  ख़बरों के अनुसार चीन के भिखारियों के कटोरों में क्यूआर कोड छापा रहता है, लोग इस क्यूआर कोड को स्कैन करके उनके डिजिटल वॉलेट में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. अगर आंकड़ों की माने तो हर हफ्ते चीन के भिखारी इस तरह भीख मांगकर लगभग 4500 युआन यानि भारतीय करंसी के हिसाब से करीब 47000 रुपए से भी ज्यादा कमा लेते हैं. हालाँकि यह रकम चीन के हिसाब से न्यूनतम मजदूरी के बराबर है.

स्थानीय सूत्रों ने बताया कि चीन में भिखारी मोबाइल पेमेंट द्वारा भीख लेते हैं, इससे उन्हें ज्यादा फायदा हो रहा है, क्योंकि जिनके पास खुल्ले नहीं रहते, वे भी मोबाइल से कुछ पैसे ट्रांसफर कर ही देते हैं. पहले लोग खुल्ले न होने का बहाना बनाकर बच जाते थे, लेकिन जब चीन का हर इंसान डिजिटल करंसी इस्तेमाल कर रहा है, तो वहां के भिखारी क्यों पीछे रहते. 

ख़बरों के अनुसार चीन के भिखारियों के कटोरों में क्यूआर कोड छापा रहता है, लोग इस क्यूआर कोड को स्कैन करके उनके डिजिटल वॉलेट में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. अगर आंकड़ों की माने तो हर हफ्ते चीन के भिखारी इस तरह भीख मांगकर लगभग 4500 युआन यानि भारतीय करंसी के हिसाब से करीब 47000 रुपए से भी ज्यादा कमा लेते हैं. हालाँकि यह रकम चीन के हिसाब से न्यूनतम मजदूरी के बराबर है.   

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com