फेसबुक जैसे वैश्विक इंटरनेट और सोशल मीडिया दिग्गजों के यूजर्स के डेटा लीक होने या उनके साथ छेड़छाड़ की खबरों से पीएम मोदी चिंतित हैं. पीएम ने निर्देश दिया है कि भारत में डेटा शेयरिंग को रेगुलेट किया जाए और सोशल मीडिया सर्वर देश में ही स्थापित करने की संभावना देखी जाए. सूत्रों के अनुसार पिछले हफ्ते केंद्रीय कैबिनेट की एक बैठक के दौरान इस मसले पर चर्चा हुई थी. बैठक में फेसबुक डेटा लीक और कैम्ब्रिज एनालिटिका के मसले पर अनौपचारिक चर्चा में पीएम ने इस पर चिंता जाहिर की थी. पीएम ने वरिष्ठ मंत्रियों से कहा कि देखें कि इस मामले में क्या किया जा सकता है. इस बात पर विचार हुआ कि तमाम सोशल मीडिया दिग्गजों के सर्वर भारत में नहीं होते, इसलिए उनको रेगुलेट करना कठिन है. इसलिए उनसे भारत में अपना एक सर्वर स्थापित करने के लिए कहना एक विकल्प हो सकता है. फेसबुक, गूगल, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम जैसी दिग्गज कंपनियों के प्लेटफॉर्म पर तैयार हुए डेटा का ज्यादातर हिस्सा विदेश में स्थ‍ित सर्वरों में है. ज्यादातर सर्वर अमेरिका में हैं और उनके डेटा को अमेरिकी कानून और कुछ अंतरराष्ट्रीय समझौतों के द्वारा रेगुलेट किया जाता है. फेसबुक डेटा लीक और कैम्ब्रिज एनालिटिका मामले की जांच सरकार द्वारा की जा रही है और सरकार डेटा सुरक्षा के सभी पहलुओं की समीक्षा कर रही है. क्या है डेटा लीक मामला गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की मदद करने वाली एक फर्म ‘कैम्ब्रिज एनालिटिका’ पर लगभग 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स के निजी जानकारी चुराने के आरोप लगे हैं. इस जानकारी को कथि‍त तौर पर चुनाव के दौरान ट्रंप को जिताने में सहयोग और विरोधी की छवि खराब करने के लिए इस्तेमाल किया गया है. इसे फेसबुक के इतिहास का सबसे बड़ा डेटा लीक कहा जा रहा है. कैम्ब्रि‍ज एनालिटिका वैसे तो भारत सहित कई देशों में सक्रिय है, लेकिन अब तक की उसकी सबसे बड़ी उपलब्ध‍ि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के लिए काम करना और ट्रंप की जीत में मदद करना है. ऐसा माना जाता है कि कंपनी ने बिना किसी खास झुकाव वाले वोटर्स की पहचान की और उन्हें ट्रंप के पक्ष में करने में अहम अहम भूमिका निभाई. कैम्ब्रिज एनालिटिका ने खुलासा किया था कि साल 2010 में उसकी पैरेंट कंपनी स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशंस लेबारेटरीज (SCL) ने बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू को भारी जीत दिलाने में मदद की थी. कंपनी का दावा है कि उसने जिन भी सीटों पर काम किया, उनमें से 90 फीसदी पर पार्टी को जीत हासिल हुई है.

डेटा लीक मामलों से चिंतित हैं पीएम मोदी, सोशल मीडिया दिग्गजों के भारत में सर्वर पर विचार

फेसबुक जैसे वैश्विक इंटरनेट और सोशल मीडिया दिग्गजों के यूजर्स के डेटा लीक होने या उनके साथ छेड़छाड़ की खबरों से पीएम मोदी चिंतित हैं. पीएम ने निर्देश दिया है कि भारत में डेटा शेयरिंग को रेगुलेट किया जाए और सोशल मीडिया सर्वर देश में ही स्थापित करने की संभावना देखी जाए. सूत्रों के अनुसार पिछले हफ्ते केंद्रीय कैबिनेट की एक बैठक के दौरान इस मसले पर चर्चा हुई थी.फेसबुक जैसे वैश्विक इंटरनेट और सोशल मीडिया दिग्गजों के यूजर्स के डेटा लीक होने या उनके साथ छेड़छाड़ की खबरों से पीएम मोदी चिंतित हैं. पीएम ने निर्देश दिया है कि भारत में डेटा शेयरिंग को रेगुलेट किया जाए और सोशल मीडिया सर्वर देश में ही स्थापित करने की संभावना देखी जाए. सूत्रों के अनुसार पिछले हफ्ते केंद्रीय कैबिनेट की एक बैठक के दौरान इस मसले पर चर्चा हुई थी.  बैठक में फेसबुक डेटा लीक और कैम्ब्रिज एनालिटिका के मसले पर अनौपचारिक चर्चा में पीएम ने इस पर चिंता जाहिर की थी. पीएम ने वरिष्ठ मंत्रियों से कहा कि देखें कि इस मामले में क्या किया जा सकता है. इस बात पर विचार हुआ कि तमाम सोशल मीडिया दिग्गजों के सर्वर भारत में नहीं होते, इसलिए उनको रेगुलेट करना कठिन है. इसलिए उनसे भारत में अपना एक सर्वर स्थापित करने के लिए कहना एक विकल्प हो सकता है.   फेसबुक, गूगल, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम जैसी दिग्गज कंपनियों के प्लेटफॉर्म पर तैयार हुए डेटा का ज्यादातर हिस्सा विदेश में स्थ‍ित सर्वरों में है. ज्यादातर सर्वर अमेरिका में हैं और उनके डेटा को अमेरिकी कानून और कुछ अंतरराष्ट्रीय समझौतों के द्वारा रेगुलेट किया जाता है. फेसबुक डेटा लीक और कैम्ब्रिज एनालिटिका मामले की जांच सरकार द्वारा की जा रही है और सरकार डेटा सुरक्षा के सभी पहलुओं की समीक्षा कर रही है.  क्या है डेटा लीक मामला  गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की मदद करने वाली एक फर्म ‘कैम्ब्रिज एनालिटिका’ पर लगभग 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स के निजी जानकारी चुराने के आरोप लगे हैं. इस जानकारी को कथि‍त तौर पर चुनाव के दौरान ट्रंप को जिताने में सहयोग और विरोधी की छवि खराब करने के लिए इस्तेमाल किया गया है. इसे फेसबुक के इतिहास का सबसे बड़ा डेटा लीक कहा जा रहा है.  कैम्ब्रि‍ज एनालिटिका वैसे तो भारत सहित कई देशों में सक्रिय है, लेकिन अब तक की उसकी सबसे बड़ी उपलब्ध‍ि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के लिए काम करना और ट्रंप की जीत में मदद करना है. ऐसा माना जाता है कि कंपनी ने बिना किसी खास झुकाव वाले वोटर्स की पहचान की और उन्हें ट्रंप के पक्ष में करने में अहम अहम भूमिका निभाई.  कैम्ब्रिज एनालिटिका ने खुलासा किया था कि साल 2010 में उसकी पैरेंट कंपनी स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशंस लेबारेटरीज (SCL) ने बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू को भारी जीत दिलाने में मदद की थी. कंपनी का दावा है कि उसने जिन भी सीटों पर काम किया, उनमें से 90 फीसदी पर पार्टी को जीत हासिल हुई है.

बैठक में फेसबुक डेटा लीक और कैम्ब्रिज एनालिटिका के मसले पर अनौपचारिक चर्चा में पीएम ने इस पर चिंता जाहिर की थी. पीएम ने वरिष्ठ मंत्रियों से कहा कि देखें कि इस मामले में क्या किया जा सकता है. इस बात पर विचार हुआ कि तमाम सोशल मीडिया दिग्गजों के सर्वर भारत में नहीं होते, इसलिए उनको रेगुलेट करना कठिन है. इसलिए उनसे भारत में अपना एक सर्वर स्थापित करने के लिए कहना एक विकल्प हो सकता है.

 फेसबुक, गूगल, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम जैसी दिग्गज कंपनियों के प्लेटफॉर्म पर तैयार हुए डेटा का ज्यादातर हिस्सा विदेश में स्थ‍ित सर्वरों में है. ज्यादातर सर्वर अमेरिका में हैं और उनके डेटा को अमेरिकी कानून और कुछ अंतरराष्ट्रीय समझौतों के द्वारा रेगुलेट किया जाता है. फेसबुक डेटा लीक और कैम्ब्रिज एनालिटिका मामले की जांच सरकार द्वारा की जा रही है और सरकार डेटा सुरक्षा के सभी पहलुओं की समीक्षा कर रही है.

क्या है डेटा लीक मामला

गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की मदद करने वाली एक फर्म ‘कैम्ब्रिज एनालिटिका’ पर लगभग 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स के निजी जानकारी चुराने के आरोप लगे हैं. इस जानकारी को कथि‍त तौर पर चुनाव के दौरान ट्रंप को जिताने में सहयोग और विरोधी की छवि खराब करने के लिए इस्तेमाल किया गया है. इसे फेसबुक के इतिहास का सबसे बड़ा डेटा लीक कहा जा रहा है.

कैम्ब्रि‍ज एनालिटिका वैसे तो भारत सहित कई देशों में सक्रिय है, लेकिन अब तक की उसकी सबसे बड़ी उपलब्ध‍ि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के लिए काम करना और ट्रंप की जीत में मदद करना है. ऐसा माना जाता है कि कंपनी ने बिना किसी खास झुकाव वाले वोटर्स की पहचान की और उन्हें ट्रंप के पक्ष में करने में अहम अहम भूमिका निभाई.

कैम्ब्रिज एनालिटिका ने खुलासा किया था कि साल 2010 में उसकी पैरेंट कंपनी स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशंस लेबारेटरीज (SCL) ने बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू को भारी जीत दिलाने में मदद की थी. कंपनी का दावा है कि उसने जिन भी सीटों पर काम किया, उनमें से 90 फीसदी पर पार्टी को जीत हासिल हुई है.

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