..तो इन कारणों की वजह से बढ़ने वाला है दिल्ली मेट्रों का किराया....

..तो इन कारणों की वजह से बढ़ने वाला है दिल्ली मेट्रों का किराया….

दिल्ली की सड़कों पर लगने वाले भारी जाम और पैट्रोल में धुआं होने वाली कमाई को बचाने के लिए लोग मेट्रो को प्राथमिकता सूची में ऊपर रखते हैं। लेकिन अब ये विकल्प भी लोगों के लिए खर्चीलू साबित होने वाला है। दरअसल जल्द ही दिल्ली मेट्रो अपने किराए में वृद्धि करने जा रही है। ..तो इन कारणों की वजह से बढ़ने वाला है दिल्ली मेट्रों का किराया....विधानसभा चुनाव: विक्रमादित्य के खिलाफ किसे उतारेगी भाजपा, सस्पेंस बरकार…

इसका प्रभाव अभी से दिखने भी लगा है। दिल्ली मेट्रो के यात्रियों ने बसों व निजी वाहनों की और फिर रुख करना शुरू कर दिया है। चूंकि मेट्रो अब दिल्ली के आम जनजीवन पर सीधा असर करने लगी है तो स्वभाविक है लोगों के मन में ये सवाल स्वत: ही उठता होगा कि आखिर मेट्रो का किराया क्यों बढ़ाया गया है। तो ये रहा आपके मन में उठ रहे इस सवाल का जवाब…

1. वर्ल्ड क्लास सुविधा चाहिए तो देने होंगे ज्यादा पैसे: मेट्रो ने किराया बढ़ोतरी पर उठने वाले सवालों को लेकर पहले ही साफ कर दिया है कि अगर जनता को वर्ल्ड क्लास सुविधा चाहिए तो उनको अपनी जेब तो ढीली करनी ही होगी। दिल्ली मेट्रो लोगों को ये सुविधा दे ही रहा है तो ऐसे में अब लोगों को भी इस पर राजी होना जाना चाहिए। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) का कहना है कि विश्वस्तरीय सुविधाएं देने के लिए मेट्रो के किराये में बढ़ोतरी जरूरी है। मेट्रो ने एक साथ अधिकतम किराया बढ़ाने के आरोप को भी गलत ठहराया है।

2. आठ साल बाद बढ़ा किराया: डीएमआरसी का कहना है कि जिस स्लैब में हमने किराए में बढ़ोतरी की है वह सही है। मैट्रों का किराया पूरे आठ साल बाद बढ़ाया जाएगा। 

3. साल के हिसाब से जोड़े तो 7-8 फीसदी होती रही है बढ़ोतरी: मेट्रो के किराए में हर साल बढ़ोतरी होती है। मेट्रो की ओर से यह भी जानाकारी दी गई है कि 99.7 फीसदी पाबंदी समय पर चलते हैं। मेट्रो का परिचालन 2002 में शुरू हुआ जिसके बाद 2009 के बाद किराया नहीं बढ़ाया गया। मगर लागत बढ़ती गई। इसमें बिजली लागत 105 फीसदी बढ़ी, कर्मचारियों का खर्चा 139 फीसदी बढ़ा तो मरम्मत और रखरखाव का खर्चा 239 फीसदी तक बढ़ गया।

4. डीएमआरसी पर कर्ज:  बता दें डीएमआरसी पर करीब 26760 करोड़ रुपए का कर्ज है। माना जा रहा है कि इसे चुकता करने के लिए मेट्रो ने किराया बढ़ोतरी का फैसला लिया है ताकि जल्द से जल्द सारा कर्ज उतार सके। इसके अलावा पुराने कोच के 30 साल का समय पूरा होने के बाद उसे रिप्लेस करने के लिए नए कोच का बजट अलग से रखना होता है। इन सबकों मिला दे तो मेट्रो को अभी भी हर वर्ष 378 करोड़ का घाटा होता है। इसकी पूर्ति भी डीएमआरसी किराए से ही करने वाली है। फिलहाल, 27 लाख यात्री रोजाना मेट्रो से सफर करते हैं।  
5. नई लाइनों के इंटरचेंज कम लगेगा किराया: मेट्रो का दावा है फेज तीन में नई लाइनों का परिचालन शुरू होने के बाद कई नए इंटरचेंज बनेंगे इससे यात्री छोटे रूट पर यात्रा करके अपने किराया बचा सकेंगे। इसमें यात्रियों को 10 रुपये से लेकर 20 रुपये तक का फायदा होगा। उदाहरण के तौर पर अभी आजादपुर से राजौरी गार्डन का किराया 40 रुपये लगता है। फेज तीन का पिंक लाइन खुलने के बाद महज 7 स्टेशन का सफर करना होगा किराया 30 रुपये लगेगा यात्रियों को 10 रुपये बचेंगे। इसी तरह वेलकम से कड़कड़ड़ूमा जाने के लिए 17 स्टेशन पड़ते है जिसका किराया 40 रुपये देना पड़ता है। वहीं पिंक लाइन खुलने के बाद महज पांच स्टेशन का सफर कर वेलकम से कड़कडड़ूमा तक पहुंच जाएंगे। महज 20 रुपये किराया लगेगा। 
 
बता दें डीएमआरसी की ओर से मीडिया में जारी इस बयान को दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की ओर से केंद्रीय शहरी विकास मंत्री को लिखे पत्र का जवाब माना जा रहा है। केजरीवाल ने अपने पत्र में किराया बढ़ोतरी को रोकने की मांग करते हुए डीएमआरसी पर फेयर फिक्सेशन कमेटी के सिफारिशों की अनदेखी का आरोप लगाया था।
डीएमआरसी ने केजरीवाल के उन आरोपों को भी खारिज किया जिसमें परिचालन लागत कम करने की बात कही गई है। डीएमआरसी का कहना है कि हम सोलर एनर्जी के जरिये लगातार अपनी लागत कम कर रहे है। इसके अलावा नई तकनीक का प्रयोग बढ़ा है जिससे एनर्जी की मांग को भी कम किया जा सके। इसके अलावा प्रॉपर्टी डेवलपमेंट के काम लगातार चल रहे है। 
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