धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जाने हुई गंगा माता की उत्पत्ति…

आज गंगा दशहरा है। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा माता धरा पर अवतरित हुई है।  इस दिन साधक गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इस दिन पितरों को तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। चिरकाल में राजा भगीरथ ने अपने पितरों को भी इस दिन मोक्ष दिलाई थी। आइए, गंगा अवतरण की कथा को जानते हैं-

गंगा माता की उत्पत्ति

पौराणिक कथानुसार, चिरकाल में इक्ष्वाकु वंश के राजा सगर की दो पत्नियां थीं, लेकिन दोनों निःसंतान थीं। इसके बाद राजा सगर ने ब्रह्मा जी की कठिन तपस्या की, जिससे ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर सगर को दो वरदान दिया। इसमें एक वरदान से 60 हजार अभिमानी पुत्र और दूसरे से वंश वृद्धि हेतु संतान की प्राप्ति हुई, लेकिन इंद्र उन बच्चों को कपिल मुनि के आश्रम में छोड़ आए।

जब राजा सगर अपने बच्चों को ढूंढते-ढूंढते कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे तो उन्हें अपने बच्चे दिखे। जब वह लेने पहुंचे तो उनके इस कार्य से कपिल मुनि की तपस्या भंग हो गई। इसके बाद कपिल मुनि के शाप से सभी बच्चे जलकर राख हो गए। उस समय राजा सगर ने ब्रह्मा जी का आह्वान कर उपाय बताने को कहा। तब ब्रह्मा जी ने कहा कि इन्हें मोक्ष दिलाने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाना होगा।

कालांतर में राजा सगर ने कठिन तपस्या की लेकिन गंगा को लाने में असफल रहे। इसके बाद राजा भगीरथ ने गंगा माता की कठिन तपस्या की। तब जाकर गंगा माता ने जलधारा की वेग को रोकने का उपाय ढूंढ़ने को कहा।

फिर भगीरथ ने शिव जी की तपस्या की। इससे गंगा के पृथ्वी पर आने का मार्ग मिल गया। भगवान शिव ने गंगा माता को अपनी जटाओं में स्थान दिया। कालांतर में शिव जी की जटाओं से गंगा माता का उद्धभव हुआ, जिससे भगीरथ के वंशजों को मोक्ष की प्राप्ति हुई।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com