ध्वनि प्रदूषण मामलाः महाराष्ट्र सरकार ने जस्टिस ओक से मांगी माफी....

ध्वनि प्रदूषण मामलाः महाराष्ट्र सरकार ने जस्टिस ओक से मांगी माफी….

महाराष्ट्र सरकार को आखिरकार चार दिनों के अंदर बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस अभय ओक से माफी मांगनी पड़ी. बता दें कि महाराष्ट्र और पश्चिम भारत की तकरीबन हर वकीलों की समिति ने पिछले चार दिनों में न सिर्फ महाराष्ट्र सरकार का बल्कि बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मंजुला चेल्लूर के निर्णय का विरोध करते हुए उसे वापस लेने की मांग की थी.ध्वनि प्रदूषण मामलाः महाराष्ट्र सरकार ने जस्टिस ओक से मांगी माफी....अभी-अभी हुआ बड़ा हादसा: रतलाम में श्रद्धालुओं से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली पलटी, कई लोगो की हुई मौत

दरअसल, राज्य सरकार ने 24 अगस्त को चिट्ठी लिख कर चीफ जस्टिस से ध्वनि प्रदूषण के सारे मामले जस्टिस अभय ओक की बेंच से हटा कर दूसरे बेंच के सामने रखने की मांग की थी. सरकार ने जस्टिस ओक पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था और जिस तरह से ये किया गया था, जिस चिट्ठी को सरकारी वकील के दफ्तर का क्लर्क चीफ जस्टिस को देता है, उसे जब खुद राज्य के एडवोकेट जनरल ले जाते हैं तो उसकी भी निंदा की गई थी.

मामले की सुनवाई के लिए बेंच गठित

राज्य के वकील इस बात से भी परेशान थे कि चीफ जस्टिस चेल्लूर ने जस्टिस ओक से बात किये बिना और उनके आदेश को देखे बिना ध्वनि प्रदूषण के सारे मामले राज्य सरकार के कहे अनुसार दूसरी बेंच को सौंप दिया. आखिरकर रविवार को चीफ जस्टिस ने अपना आदेश वापस लिया और इस मामले की सुनवाई के लिए 3 जजों की बेंच गठित की, जिसमें जस्टिस ओक भी हैं.

दरअसल महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि अगर केंद्र के साइलेंस जोन्स पर जो आदेश जस्टिस ओक ने दिया था उसके हिसाब से मुम्बई के ऐसे कोई भी इलाके नहीं है जो साइलेंस जोन्स नहीं हैं. इस आदेश के तहत अस्पताल, स्कूल, धर्मस्थल और कोर्ट के 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार की आवाज नहीं होना चाहिए.

देश भर से हटवा दिए साइलेंस जोन 

इसी वजह से सरकार ने गणपति पंडालों के आयोजकों के दबाव में आकर केंद्र सरकार से साइलेंस जोन ही देश भर से हटवा दिए. राज्य सरकार ने जस्टिस ओक पर भी आरोप लगा डाले. इन सबका नतीजा ये हुआ है कि शहर में पहले गणपति विसर्जन के दौरान ही हद से ज्यादा शोर बढ़ गया.

याचिकाकर्ता सुमेरा अब्दुलाली ने कहा कि कई जगहों पर हमने शोर के सैंपल इकट्ठा किए हैं. रात दस बजे से 12 बजे तक बांद्रा से लेकर गिरगांव तक माप लिए हैं. सबसे ज्यादा 116 डेसीबल पाया गया है. शिवसेना भवन के सामने भी शोर काफी ज्यादा था. इसके अलावा जगहों पर भी शोर काफी ज्यादा था.

बॉम्बे हाईकोर्ट आज करेगा सुनवाई

बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने साइलेंस जोन को लेकर सरकार के नए कदम के खिलाफ याचिका दायर किया है. साथ ही अलग-अलग इलाकों में आवाज का जो उल्लंघन हो रहा है, उसकी जानकारी भी अदालत को दी है. इन सब मामलों की सुनवाई मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में होगी.

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