मिल बांचे मध्यप्रदेश कार्यक्रम के अंतगर्त नरसिंहपुर कलेक्टर अभय वर्मा तिंदनी के स्कूल पहुंचे। उन्होंने बच्चों से कहा कि मैं लालटेन की रोशनी में पढा हूं, स्कूल जाता था तो घर से बोरा-टाटपट्टी लेकर पहुंचता था। मेहनत का कोई मुकाबला नहीं है यह बात दिगाम से निकाल दें कि सिर्फ अमीर लोग ही पढ़ सकते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि पढ़ाई के प्रति ललक होना चाहिए, भाग्यवादी नहीं बनें, पढ़ाई तो तपस्या के समान है। कलेक्टर ने बच्चों को खेलकूद में हिस्सा लेने, अच्छे से पढ़ने की बात की। जब बच्चों को बोलने का मौका मिला तो एक छात्र ने कहा कि सर आप खेलकूद की बात कर रहे हैं, हमारे स्कूल में खेल मैदान नहीं है तो कलेक्टर वर्मा तपाक से ग्राम सचिव से कहते हैं कि पटवारी से बात कराएं, पटवारी से स्कूल के आसपास अतिक्रमण हटाने और खेल मैदान को व्यवस्थित करने को कहा गया। जन्माष्टमी विशेष : साथ आए वृषभ लग्न, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र यह भी पढ़ें दूसरे एक और छात्र ने कहा कि कक्षा में गर्मी लगती है, पंखे नहीं हैं तो कलेक्टर पूछा कि स्कूल में कितने कक्ष हैं, उत्तर मिलता है तीन तो स्कूल के ही एक शिक्षक से कहा गया कि अच्छी क्वालिटी के पंखे लगवाईए और बिल बता दीजिए। कलेक्टर ने स्कूल के छात्रों को भाग्यवादी नहीं बनने और अंग्रेजी-गणित पर विशेष ध्यान दिए जाने पर जोर दिया। कहा कि यह दोनों विषय महत्वपूर्ण हैं। छात्रों को उन्होंने डायरी, टॉफी, पेन बांटी तो बच्चे खुश रहे।

नरसिंहपुर कलेक्टर ने बच्चों को सुनाई अपने संघर्ष की कहानी

मिल बांचे मध्यप्रदेश कार्यक्रम के अंतगर्त नरसिंहपुर कलेक्टर अभय वर्मा तिंदनी के स्कूल पहुंचे। उन्होंने बच्चों से कहा कि मैं लालटेन की रोशनी में पढा हूं, स्कूल जाता था तो घर से बोरा-टाटपट्टी लेकर पहुंचता था। मेहनत का कोई मुकाबला नहीं है यह बात दिगाम से निकाल दें कि सिर्फ अमीर लोग ही पढ़ सकते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि पढ़ाई के प्रति ललक होना चाहिए, भाग्यवादी नहीं बनें, पढ़ाई तो तपस्या के समान है।मिल बांचे मध्यप्रदेश कार्यक्रम के अंतगर्त नरसिंहपुर कलेक्टर अभय वर्मा तिंदनी के स्कूल पहुंचे। उन्होंने बच्चों से कहा कि मैं लालटेन की रोशनी में पढा हूं, स्कूल जाता था तो घर से बोरा-टाटपट्टी लेकर पहुंचता था। मेहनत का कोई मुकाबला नहीं है यह बात दिगाम से निकाल दें कि सिर्फ अमीर लोग ही पढ़ सकते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि पढ़ाई के प्रति ललक होना चाहिए, भाग्यवादी नहीं बनें, पढ़ाई तो तपस्या के समान है।  कलेक्टर ने बच्चों को खेलकूद में हिस्सा लेने, अच्छे से पढ़ने की बात की। जब बच्चों को बोलने का मौका मिला तो एक छात्र ने कहा कि सर आप खेलकूद की बात कर रहे हैं, हमारे स्कूल में खेल मैदान नहीं है तो कलेक्टर वर्मा तपाक से ग्राम सचिव से कहते हैं कि पटवारी से बात कराएं, पटवारी से स्कूल के आसपास अतिक्रमण हटाने और खेल मैदान को व्यवस्थित करने को कहा गया।   जन्माष्टमी विशेष : साथ आए वृषभ लग्न, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र यह भी पढ़ें  दूसरे एक और छात्र ने कहा कि कक्षा में गर्मी लगती है, पंखे नहीं हैं तो कलेक्टर पूछा कि स्कूल में कितने कक्ष हैं, उत्तर मिलता है तीन तो स्कूल के ही एक शिक्षक से कहा गया कि अच्छी क्वालिटी के पंखे लगवाईए और बिल बता दीजिए। कलेक्टर ने स्कूल के छात्रों को भाग्यवादी नहीं बनने और अंग्रेजी-गणित पर विशेष ध्यान दिए जाने पर जोर दिया। कहा कि यह दोनों विषय महत्वपूर्ण हैं। छात्रों को उन्होंने डायरी, टॉफी, पेन बांटी तो बच्चे खुश रहे।

कलेक्टर ने बच्चों को खेलकूद में हिस्सा लेने, अच्छे से पढ़ने की बात की। जब बच्चों को बोलने का मौका मिला तो एक छात्र ने कहा कि सर आप खेलकूद की बात कर रहे हैं, हमारे स्कूल में खेल मैदान नहीं है तो कलेक्टर वर्मा तपाक से ग्राम सचिव से कहते हैं कि पटवारी से बात कराएं, पटवारी से स्कूल के आसपास अतिक्रमण हटाने और खेल मैदान को व्यवस्थित करने को कहा गया।

दूसरे एक और छात्र ने कहा कि कक्षा में गर्मी लगती है, पंखे नहीं हैं तो कलेक्टर पूछा कि स्कूल में कितने कक्ष हैं, उत्तर मिलता है तीन तो स्कूल के ही एक शिक्षक से कहा गया कि अच्छी क्वालिटी के पंखे लगवाईए और बिल बता दीजिए। कलेक्टर ने स्कूल के छात्रों को भाग्यवादी नहीं बनने और अंग्रेजी-गणित पर विशेष ध्यान दिए जाने पर जोर दिया। कहा कि यह दोनों विषय महत्वपूर्ण हैं। छात्रों को उन्होंने डायरी, टॉफी, पेन बांटी तो बच्चे खुश रहे।

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