निजी स्कूलों पर लगाम के अध्यादेश में फीस घटेगी नहीं लेकिन रुकेगी बेहिसाब वृद्धि

लखनऊ। निजी स्कूलों की फीस निर्धारण के लिए जो अध्यादेश सरकार ला रही है उससे स्कूलों की मौजूदा फीस कम नहीं होगी क्योंकि सरकार फीस निर्धारण नहीं करने जा रही लेकिन, यह अध्यादेश स्कूलों द्वारा हर साल मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने पर अंकुश जरूर लगाएगा। अध्यादेश का फायदा स्कूल में पढ़ रहे पुराने छात्रों को मिलेगा। इसके बाद स्कूल प्रबंधक सात से आठ फीसद सालाना की ही वृद्धि कर सकेंगे। हां, स्कूल प्रबंधक नए एडमिशन लेने वाले छात्रों की फीस तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे। इस पर सरकार का कोई अंकुश नहीं रहेगा।

योगी सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट में उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का निर्धारण) अध्यादेश, 2018 के प्रारूप को मंजूरी दे दी है। अध्यादेश की खासियत यह है कि स्कूलों को फीस का ब्योरा सत्र शुरू होने से 60 दिन पहले वेबसाइट में प्रदर्शित करना होगा। सरकार का पक्ष है कि अभिभावक उसी स्कूल में अपने बच्चे का एडमिशन कराते हैं जिसकी फीस देने की उनकी क्षमता होती है। लेकिन, एडमिशन होने के बाद जब स्कूल एकाएक फीस बहुत ज्यादा बढ़ा देते हैं तो अभिभावकों के पास सिवाय पिसने के और कोई चारा नहीं रह जाता। यह अध्यादेश स्कूलों की इसी तानाशाही पर अंकुश लगायेगा।

अभिभावक कल्याण संघ ने कहा- अध्यादेश केवल झुनझुना

पिछले कई वर्षों से स्कूलों की गलत फीस के खिलाफ मोर्चा लेने वाले अभिभावक कल्याण संघ के अध्यक्ष प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि यह अध्यादेश केवल लोकसभा चुनाव को देखते हुए झुनझुना भर है। इस अध्यादेश में स्कूलों की फीस कितनी होगी इसे तय करने का कोई सिस्टम नहीं है। उनका सुझाव है कि जिस प्रकार प्राइवेट इंजीनियङ्क्षरग व मेडिकल कॉलेजों की कमाई व खर्चे को देखकर सरकार फीस तय करती है, उसी प्रकार स्कूलों में भी सरकार को फीस निर्धारण करना चाहिए। अभी हर कालेज फीस निर्धारण में अपनी मनमानी करते हैं। अभिभावक कल्याण संघ 10 साल से इसी मसले की लड़ाई लड़ रहा है और आगे भी लड़ता रहेगा। अभिभावक संघ इस अध्यादेश से खुश नहीं है।

वेस्ट यूपी, पूर्वांचल व मध्यांचल सभी जगह मनमानी फीस

यूं तो प्रदेश में यूपी बोर्ड, सीबीएसई व आइसीएसई बोर्ड के करीब 35 हजार बड़े निजी स्कूल हैं। ‘दैनिक जागरणÓ ने बुधवार को यह जानने की कोशिश की कि मध्य, पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फीस का ढांचा कैसा है। इसके लिए लखनऊ, बनारस और मेरठ के दोनों केंद्रीय बोर्डों में कक्षा छह की फीस जानी गई। तस्वीर निराशाजनक है। कुछेक स्कूलों को छोड़ दिया जाए तो सभी ने अपनी मनचाही फीस तय कर रखी है। कहीं कोई नियम है ही नहीं। जिसका जैसा मन वैसी फीस। लखनऊ में ही फीस 34 हजार से लेकर एक लाख रुपये से अधिक है। वाराणसी में भी निजी स्कूलों की फीस एक लाख रुपये सालाना से अधिक है। वहां पर कक्षा छह के बच्चों की 88,240 व कक्षा 11 की 105810 रुपये सालाना फीस है। वहीं मेरठ में फीस 43 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक सालाना है।

फीस तय की तो इंस्पेक्टर राज हो जायेगा कायम : शासन

माध्यमिक शिक्षा विभाग की सचिव संध्या तिवारी कहती हैं कि यह अध्यादेश स्कूल में पढ़ रहे पुराने छात्रों की एकाएक बढऩे वाली मनमानी फीस पर अंकुश लगाएगा। उनके अनुसार अध्यादेश के जरिये हम किसी निजी स्कूल की फीस तय करने नहीं जा रहे हैं। 35 हजार स्कूलों का फीस निर्धारण संभव भी नहीं है। यह करते हैं तो इससे इंस्पेक्टर राज कायम हो जायेगा। नए एडमिशन में कितनी फीस स्कूल लेंगे यह भी उन्हें ही तय करना है। इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा। अभिभावक जब एडमिशन कराने जाते हैं तो वह अपनी क्षमता के अनुसार स्कूल का चयन करते हैं।

मूल्य सूचकांक से जोड़ी फीस वृद्धि

सरकार ने पुराने छात्रों की फीस वृद्धि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ दी है। यह बढ़ोतरी विगत वर्ष में स्कूल के खर्चों के आधार पर की जाएगी लेकिन, यह बढ़ोतरी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में पांच प्रतिशत जोड़ से अधिक नहीं होगी। यानी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यदि दो रहता है तो उसमें पांच प्रतिशत और जोड़कर कुल सात फीसद बढ़ोत्तरी की जा सकेगी।

मंडलायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी करेगी विवादों की सुनवाई

संध्या तिवारी ने बताया कि मंडल स्तर पर मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी फीस के विवादों की सुनवाई करेगी। हालांकि इसमें शिकायत करने से पहले अभिभावकों को स्कूल के प्रिंसिपल से शिकायत करनी होगी। यदि 15 दिन में स्कूल समस्या का हल नहीं करते हैं तो मंडल स्तर पर कमेटी में शिकायत की जा सकेगी।

अध्यादेश में खास

-हर साल एडमिशन फीस नहीं ले सकेंगे स्कूल।

-निजी स्कूल बिना पूर्वानुमति के फीस नहीं बढ़ा सकेंगे।

-स्कूल निर्धारित फीस से अधिक फीस नहीं ले सकेंगे।

-कुल फीस का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी डेवलपमेंट फीस।

-निजी स्कूल किसी भी प्रकार का कैपिटेशन शुल्क नहीं लेंगे।

-प्रत्येक फीस की छात्रों को देनी ही होगी रसीद।

-हर साल 31 दिसंबर तक डिस्प्ले करनी होगी फीस।

-बीच सत्र में नहीं बढ़ सकती है फीस।

-पांच साल से पहले स्कूल ड्रेस में भी नहीं होगा बदलाव।

-कॉपी-किताब, जूते-मोजे व डे्रस आदि के लिए किसी विशेष दुकान से खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

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