सोशल मीडिया पर मुस्लिम युवक की हिंदू पत्नी का पासपोर्ट न बनाए जाने का मामला तूल पकड़ने के बाद विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को तेजी दिखाई। लखनऊ के गोमती नगर स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में महिला तन्वी सेठ और उनके पति मोहम्मद अनस सिद्दीकी को बुलाकर नियमों को दरकिनार कर एक घंटे में पासपोर्ट दे दिया गया। तन्वी के पासपोर्ट के लिए उनके पति पर हिंदू धर्म अपनाने का आरोप जिस सीनियर अधीक्षक पर लगा, नोटिस देकर उसका तबादला कर दिया गया। हालांकि, आरोपित सीनियर अधीक्षक ने बताया कि उसने नियम के अनुसार ही पासपोर्ट प्रक्रिया के लिए तन्वी से उनके मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद नए नाम सादिया हसन की जानकारी भी फार्म में भरने को कहा था। तन्वी सेठ ने 2007 में मोहम्मद अनस सिद्दीकी से शादी की थी। उनकी छह साल की बेटी है। दोनों नोएडा की एक मल्टीनेशनल कंपनी में तैनात हैं। मोहम्मद अनस ने 19 जून को अपने पासपोर्ट रिन्यूवल और तन्वी सेठ ने नए पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। बुधवार को दोनों दस्तावेज की प्रक्रिया पूरी करने के लिए रतन स्क्वायर स्थित पासपोर्ट सेवा केंद्र पहुंचे थे। आवेदन में पति का नाम मुस्लिम होने पर सीनियर अधीक्षक विकास मिश्र ने आपत्ति जताई। तन्वी का आरोप है कि विकास ने पहले तो नाम बदलने को कहा। फिर राजी न होने पर पति से हिंदू रीति के अनुसार सात फेरे लेने को कहा। कहा गया कि फेरे लेने के बाद ही यह शादी वैध मानी जाएगी और पासपोर्ट बन सकेगा। इस विवाद के बाद विकास मिश्र ने तन्वी की फाइल सहायक पासपोर्ट अधिकारी (एपीओ) के पास भेज दी। एपीओ विजय द्विवेदी ने तन्वी को बताया कि उन्होंने गलत काउंटर पर संपर्क किया था। एपीओ ने पूरी घटना की शिकायत भी दर्ज कराने को कहा था। सुषमा से की थी शिकायत- इस मामले की शिकायत तन्वी ने बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से ट्विटर पर की थी। इसके बाद पासपोर्ट कार्यालय ने तेजी दिखाते हुए गुरुवार को एक घंटे के भीतर पासपोर्ट जारी कर दिया। बहुत दुख पहुंचा- तन्वी ने पासपोर्ट मिलने के बाद खुशी जताई। तन्वी और उनके पति जल्द ही लंदन जाएंगे। उन्होंने कहा कि गोमतीनगर स्थित कार्यालय के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने उनको पूरा सहयोग दिया। हालांकि, विकास मिश्र की बातों से उनको दुख पहुंचा है। उन्होंने सुषमा स्वराज को इसलिए शिकायत की जिससे फिर किसी के साथ ऐसा न हो। पासपोर्ट अधिकारी ने जताया खेद- क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने इस पूरे मामले में विभाग की ओर से खेद जताया है। उन्होंने कहा कि इससे विभाग की छवि खराब हुई है। कर्मचारियों की बार-बार काउंसिलिंग की जाती है कि वह पासपोर्ट आवेदकों से मधुर व्यवहार करें। सीनियर अधीक्षक का तबादला कर दिया गया है। उनको नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट विदेश मंत्रालय भेजी जाएगी। मैं नियम नहीं तोड़ सकता था- इस विवाद में जिस सीनियर अधीक्षक विकास मिश्र का नाम सामने आ रहा है, उन्होंने भी अंतरजातीय विवाह किया है। वह अपना पक्ष रखने के लिए गुरुवार को क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय पहुंचे। विकास मिश्र ने कहा कि एक तो तन्वी का पता नोएडा का था। इसलिए उनको गाजियाबाद पासपोर्ट सेवा केंद्र में अप्लाई करना चाहिए था। पासपोर्ट मैन्यूअल 2016 के तहत अंतरजातीय विवाह करने पर आवेदक को एक घोषणा पत्र पर केवल इतना लिखना होता है कि उसने जिससे शादी की है, उसका नाम व पता यह है। जबकि पासपोर्ट एक्ट 1967 के तहत नाम बदलने पर पासपोर्ट के आवेदन में लगे एक बाक्स में सही का निशान लगाकर दूसरा नाम भी जोड़ना पड़ता है। यहां तक कि घर का नाम भी बताया जाता है जिससे एक ही आदमी के अलग-अलग नाम से पासपोर्ट न बन सके। तन्वी के पति का नाम मुस्लिम होने पर मैंने यहीं कहा था कि यदि अंतरजातीय विवाह हुआ है तो उनको दूसरा नाम बताना चाहिए। तन्वी ने निकाह के बाद धर्म परिवर्तन कर लिया था। उनका नाम निकाहनामा में सादिया असद था। ऐसे में नाम आवेदन पर चढ़ाने के लिए उनको एपीओ के पास भेजा था। यह भी कहा था कि मैं नियम नहीं तोड़ सकता। यदि एपीओ स्वीकृति दे देंगे तो मैं आपके आवेदन की प्रक्रिया को मंजूर कर लूंगा। वहीं पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा कहते हैं कि विकास मिश्र के किसी और पासपोर्ट आवेदक के साथ अभद्रता करने की शिकायत नहीं मिली है। सोशल मीडिया पर आक्रोश- इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया पर विदेश मंत्रालय की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया। लोगों ने सुषमा स्वराज को ट्वीट कर पूछा है कि क्या उनको भी एक घंटे के भीतर हाथ में ही पासपोर्ट मिल जाएंगे। लोगों ने आरोपित सीनियर अधीक्षक की कार्यप्रणाली की प्रशंसा की है।

नियम दरकिनार कर एक घंटे में बना तन्वी का पासपोर्ट

सोशल मीडिया पर मुस्लिम युवक की हिंदू पत्नी का पासपोर्ट न बनाए जाने का मामला तूल पकड़ने के बाद विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को तेजी दिखाई। लखनऊ के गोमती नगर स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में महिला तन्वी सेठ और उनके पति मोहम्मद अनस सिद्दीकी को बुलाकर नियमों को दरकिनार कर एक घंटे में पासपोर्ट दे दिया गया।सोशल मीडिया पर मुस्लिम युवक की हिंदू पत्नी का पासपोर्ट न बनाए जाने का मामला तूल पकड़ने के बाद विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को तेजी दिखाई। लखनऊ के गोमती नगर स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में महिला तन्वी सेठ और उनके पति मोहम्मद अनस सिद्दीकी को बुलाकर नियमों को दरकिनार कर एक घंटे में पासपोर्ट दे दिया गया।  तन्वी के पासपोर्ट के लिए उनके पति पर हिंदू धर्म अपनाने का आरोप जिस सीनियर अधीक्षक पर लगा, नोटिस देकर उसका तबादला कर दिया गया। हालांकि, आरोपित सीनियर अधीक्षक ने बताया कि उसने नियम के अनुसार ही पासपोर्ट प्रक्रिया के लिए तन्वी से उनके मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद नए नाम सादिया हसन की जानकारी भी फार्म में भरने को कहा था।  तन्वी सेठ ने 2007 में मोहम्मद अनस सिद्दीकी से शादी की थी। उनकी छह साल की बेटी है। दोनों नोएडा की एक मल्टीनेशनल कंपनी में तैनात हैं। मोहम्मद अनस ने 19 जून को अपने पासपोर्ट रिन्यूवल और तन्वी सेठ ने नए पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। बुधवार को दोनों दस्तावेज की प्रक्रिया पूरी करने के लिए रतन स्क्वायर स्थित पासपोर्ट सेवा केंद्र पहुंचे थे।  आवेदन में पति का नाम मुस्लिम होने पर सीनियर अधीक्षक विकास मिश्र ने आपत्ति जताई। तन्वी का आरोप है कि विकास ने पहले तो नाम बदलने को कहा। फिर राजी न होने पर पति से हिंदू रीति के अनुसार सात फेरे लेने को कहा। कहा गया कि फेरे लेने के बाद ही यह शादी वैध मानी जाएगी और पासपोर्ट बन सकेगा।  इस विवाद के बाद विकास मिश्र ने तन्वी की फाइल सहायक पासपोर्ट अधिकारी (एपीओ) के पास भेज दी। एपीओ विजय द्विवेदी ने तन्वी को बताया कि उन्होंने गलत काउंटर पर संपर्क किया था। एपीओ ने पूरी घटना की शिकायत भी दर्ज कराने को कहा था।  सुषमा से की थी शिकायत-  इस मामले की शिकायत तन्वी ने बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से ट्विटर पर की थी। इसके बाद पासपोर्ट कार्यालय ने तेजी दिखाते हुए गुरुवार को एक घंटे के भीतर पासपोर्ट जारी कर दिया।  बहुत दुख पहुंचा-  तन्वी ने पासपोर्ट मिलने के बाद खुशी जताई। तन्वी और उनके पति जल्द ही लंदन जाएंगे। उन्होंने कहा कि गोमतीनगर स्थित कार्यालय के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने उनको पूरा सहयोग दिया। हालांकि, विकास मिश्र की बातों से उनको दुख पहुंचा है। उन्होंने सुषमा स्वराज को इसलिए शिकायत की जिससे फिर किसी के साथ ऐसा न हो।  पासपोर्ट अधिकारी ने जताया खेद-  क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने इस पूरे मामले में विभाग की ओर से खेद जताया है। उन्होंने कहा कि इससे विभाग की छवि खराब हुई है। कर्मचारियों की बार-बार काउंसिलिंग की जाती है कि वह पासपोर्ट आवेदकों से मधुर व्यवहार करें। सीनियर अधीक्षक का तबादला कर दिया गया है। उनको नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट विदेश मंत्रालय भेजी जाएगी।  मैं नियम नहीं तोड़ सकता था-  इस विवाद में जिस सीनियर अधीक्षक विकास मिश्र का नाम सामने आ रहा है, उन्होंने भी अंतरजातीय विवाह किया है। वह अपना पक्ष रखने के लिए गुरुवार को क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय पहुंचे। विकास मिश्र ने कहा कि एक तो तन्वी का पता नोएडा का था। इसलिए उनको गाजियाबाद पासपोर्ट सेवा केंद्र में अप्लाई करना चाहिए था।  पासपोर्ट मैन्यूअल 2016 के तहत अंतरजातीय विवाह करने पर आवेदक को एक घोषणा पत्र पर केवल इतना लिखना होता है कि उसने जिससे शादी की है, उसका नाम व पता यह है। जबकि पासपोर्ट एक्ट 1967 के तहत नाम बदलने पर पासपोर्ट के आवेदन में लगे एक बाक्स में सही का निशान लगाकर दूसरा नाम भी जोड़ना पड़ता है। यहां तक कि घर का नाम भी बताया जाता है जिससे एक ही आदमी के अलग-अलग नाम से पासपोर्ट न बन सके।  तन्वी के पति का नाम मुस्लिम होने पर मैंने यहीं कहा था कि यदि अंतरजातीय विवाह हुआ है तो उनको दूसरा नाम बताना चाहिए। तन्वी ने निकाह के बाद धर्म परिवर्तन कर लिया था। उनका नाम निकाहनामा में सादिया असद था। ऐसे में नाम आवेदन पर चढ़ाने के लिए उनको एपीओ के पास भेजा था।  यह भी कहा था कि मैं नियम नहीं तोड़ सकता। यदि एपीओ स्वीकृति दे देंगे तो मैं आपके आवेदन की प्रक्रिया को मंजूर कर लूंगा। वहीं पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा कहते हैं कि विकास मिश्र के किसी और पासपोर्ट आवेदक के साथ अभद्रता करने की शिकायत नहीं मिली है।  सोशल मीडिया पर आक्रोश-  इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया पर विदेश मंत्रालय की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया। लोगों ने सुषमा स्वराज को ट्वीट कर पूछा है कि क्या उनको भी एक घंटे के भीतर हाथ में ही पासपोर्ट मिल जाएंगे। लोगों ने आरोपित सीनियर अधीक्षक की कार्यप्रणाली की प्रशंसा की है।

तन्वी के पासपोर्ट के लिए उनके पति पर हिंदू धर्म अपनाने का आरोप जिस सीनियर अधीक्षक पर लगा, नोटिस देकर उसका तबादला कर दिया गया। हालांकि, आरोपित सीनियर अधीक्षक ने बताया कि उसने नियम के अनुसार ही पासपोर्ट प्रक्रिया के लिए तन्वी से उनके मुस्लिम धर्म अपनाने के बाद नए नाम सादिया हसन की जानकारी भी फार्म में भरने को कहा था।

तन्वी सेठ ने 2007 में मोहम्मद अनस सिद्दीकी से शादी की थी। उनकी छह साल की बेटी है। दोनों नोएडा की एक मल्टीनेशनल कंपनी में तैनात हैं। मोहम्मद अनस ने 19 जून को अपने पासपोर्ट रिन्यूवल और तन्वी सेठ ने नए पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। बुधवार को दोनों दस्तावेज की प्रक्रिया पूरी करने के लिए रतन स्क्वायर स्थित पासपोर्ट सेवा केंद्र पहुंचे थे।

आवेदन में पति का नाम मुस्लिम होने पर सीनियर अधीक्षक विकास मिश्र ने आपत्ति जताई। तन्वी का आरोप है कि विकास ने पहले तो नाम बदलने को कहा। फिर राजी न होने पर पति से हिंदू रीति के अनुसार सात फेरे लेने को कहा। कहा गया कि फेरे लेने के बाद ही यह शादी वैध मानी जाएगी और पासपोर्ट बन सकेगा।

इस विवाद के बाद विकास मिश्र ने तन्वी की फाइल सहायक पासपोर्ट अधिकारी (एपीओ) के पास भेज दी। एपीओ विजय द्विवेदी ने तन्वी को बताया कि उन्होंने गलत काउंटर पर संपर्क किया था। एपीओ ने पूरी घटना की शिकायत भी दर्ज कराने को कहा था।

सुषमा से की थी शिकायत-

इस मामले की शिकायत तन्वी ने बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से ट्विटर पर की थी। इसके बाद पासपोर्ट कार्यालय ने तेजी दिखाते हुए गुरुवार को एक घंटे के भीतर पासपोर्ट जारी कर दिया।

बहुत दुख पहुंचा-

तन्वी ने पासपोर्ट मिलने के बाद खुशी जताई। तन्वी और उनके पति जल्द ही लंदन जाएंगे। उन्होंने कहा कि गोमतीनगर स्थित कार्यालय के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने उनको पूरा सहयोग दिया। हालांकि, विकास मिश्र की बातों से उनको दुख पहुंचा है। उन्होंने सुषमा स्वराज को इसलिए शिकायत की जिससे फिर किसी के साथ ऐसा न हो।

पासपोर्ट अधिकारी ने जताया खेद-

क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने इस पूरे मामले में विभाग की ओर से खेद जताया है। उन्होंने कहा कि इससे विभाग की छवि खराब हुई है। कर्मचारियों की बार-बार काउंसिलिंग की जाती है कि वह पासपोर्ट आवेदकों से मधुर व्यवहार करें। सीनियर अधीक्षक का तबादला कर दिया गया है। उनको नोटिस देकर जवाब मांगा गया है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट विदेश मंत्रालय भेजी जाएगी।

मैं नियम नहीं तोड़ सकता था-

इस विवाद में जिस सीनियर अधीक्षक विकास मिश्र का नाम सामने आ रहा है, उन्होंने भी अंतरजातीय विवाह किया है। वह अपना पक्ष रखने के लिए गुरुवार को क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय पहुंचे। विकास मिश्र ने कहा कि एक तो तन्वी का पता नोएडा का था। इसलिए उनको गाजियाबाद पासपोर्ट सेवा केंद्र में अप्लाई करना चाहिए था।

पासपोर्ट मैन्यूअल 2016 के तहत अंतरजातीय विवाह करने पर आवेदक को एक घोषणा पत्र पर केवल इतना लिखना होता है कि उसने जिससे शादी की है, उसका नाम व पता यह है। जबकि पासपोर्ट एक्ट 1967 के तहत नाम बदलने पर पासपोर्ट के आवेदन में लगे एक बाक्स में सही का निशान लगाकर दूसरा नाम भी जोड़ना पड़ता है। यहां तक कि घर का नाम भी बताया जाता है जिससे एक ही आदमी के अलग-अलग नाम से पासपोर्ट न बन सके।

तन्वी के पति का नाम मुस्लिम होने पर मैंने यहीं कहा था कि यदि अंतरजातीय विवाह हुआ है तो उनको दूसरा नाम बताना चाहिए। तन्वी ने निकाह के बाद धर्म परिवर्तन कर लिया था। उनका नाम निकाहनामा में सादिया असद था। ऐसे में नाम आवेदन पर चढ़ाने के लिए उनको एपीओ के पास भेजा था।

यह भी कहा था कि मैं नियम नहीं तोड़ सकता। यदि एपीओ स्वीकृति दे देंगे तो मैं आपके आवेदन की प्रक्रिया को मंजूर कर लूंगा। वहीं पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा कहते हैं कि विकास मिश्र के किसी और पासपोर्ट आवेदक के साथ अभद्रता करने की शिकायत नहीं मिली है।

सोशल मीडिया पर आक्रोश-

इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया पर विदेश मंत्रालय की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया। लोगों ने सुषमा स्वराज को ट्वीट कर पूछा है कि क्या उनको भी एक घंटे के भीतर हाथ में ही पासपोर्ट मिल जाएंगे। लोगों ने आरोपित सीनियर अधीक्षक की कार्यप्रणाली की प्रशंसा की है।

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