निर्माण योजना रद होने से केजरीवाल के खिलाफ रोष, दिल्ली देहात लोग भड़के    

निर्माण योजना रद होने से केजरीवाल के खिलाफ रोष, दिल्ली देहात लोग भड़के    

दिल्ली मेट्रो रेल के प्रस्तावित रिठाला-नरेला मार्ग को रद किए जाने से दिल्ली देहात में दिल्ली सरकार के प्रति जबरदस्त नाराजगी है। लोगों का आरोप है कि केजरीवाल सरकार जानबूझकर दिल्ली देहात के साथ भेदभाव कर रही है। पहले से ही देहात में सार्वजनिक बस प्रणाली पूरी तरह से लचर है। अब मेट्रो परियोजना को निरस्त करना दिल्ली देहात के प्रति दिल्ली सरकार के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार को दर्शाता है। लोग चेतावनी दे रहे हैं कि अगर दिल्ली सरकार ने अपना निर्णय नहीं बदला तो फिर देहात में आम आदमी पार्टी के किसी भी नेता को घुसने नहीं दिया जाएगा। निर्माण योजना रद होने से केजरीवाल के खिलाफ रोष, दिल्ली देहात लोग भड़के    दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बनने के बाद नुकसान यूं तो पूरी दिल्ली का ही हुआ है, लेकिन सबसे ज्यादा मार दिल्ली देहात पर पड़ी है। दिल्ली देहात में पहले ही बसों की संख्या काफी कम थी, लेकिन इस सरकार के बनने के बाद एक भी नई बस लगाना तो दूर उल्टे 50 प्रतिशत तक बसें कम हो गई हैं।

लोग लंबे अर्से से उम्मीद पाले हुए हैं कि रिठाला से नरेला तक मेट्रो आएगी तो देहात को बहुत बड़े हिस्से को राहत मिल जाएगी, लेकिन दिल्ली सरकार ने जिस तरह से इस रूट की योजना को निरस्त किया है वह चौंकाने वाला है। सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, अन्यथा देहात में मुख्यमंत्री एवं दिल्ली सरकार के मंत्रियों को घुसने नहीं दिया जाएगा।

मैंने विधायक रहते हुए रिठाला से नरेला तक मेट्रो लाने की योजना को पांचवें फेज से चौथे फेज में करवाया था मगर बवाना के उप चुनाव में भी देहात में जल्दी मेट्रो रेल लाने के वादे करने वाले अर¨वद केजरीवाल ने अब इस रूट को निरस्त ही कर दिया है। यह उनके देहात विरोधी रवैये को जाहिर करता है, जिसका खामियाजा उन्हें चुनाव में भुगतना ही पड़ेगा। 

रोहिणी में जिस दिन हेलीपोर्ट का शुभारंभ हुआ तो उस दिन उपराज्यपाल सहित तमाम नेताओं ने कहा था कि मेट्रो जल्द रिठाला से नरेला तक आएगी, जिससे हेलीपोर्ट का लाभ दिल्ली एनसीआर के लोग ले सकेंगे। मगर अब दिल्ली सरकार ने जिस तरह से इस रूट को निरस्त किया है उससे देहात के लोग हैरान हैं। इससे हेलीपोर्ट के बेहतर उपयोग की योजना सहित देहात के विकास को भी बहुत बड़ा झटका लगेगा। इस मामले में उपराज्यपाल एवं केंद्र सरकार को दखल देना चाहिए।

जिन दो विधानसभा क्षेत्रों से होकर यह मेट्रो गुजरनी है उसकी आबादी 10 लाख के आसपास है। औद्योगिक क्षेत्र भी हैं और बस सेवा तो भगवान भरोसे है। ऐसे में समझ में नहीं आता कि दिल्ली सरकार ने इस क्षेत्र को मेट्रो से वंचित रखने का फैसला क्यों किया है। इससे लोगों में नाराजगी है। केजरीवाल सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे, अन्यथा दिल्ली देहात से शुरू होने वाला आंदोलन सरकार के लिए मुसीबत बन जाएगा।

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