अभी-अभी: पंजाब में ही क्यों हुई अभय चौटाला की गिरफ्तारी…

अंबाला:एस.वाई.एल. को लेकर जारी विवाद और अभय चौटाला की पंजाब में गिरफ्तारी को सियासी माहिर पंजाब में आने वाली सरकार के साथ जोड़ कर देख रहे हैें। सियासी माहिरों का सवाल है कि हरियाणा सरकार ने अभय चौटाला को गिरफ्तार क्यों नहीं किया। वहीं अभय चौटाला को जब पंजाब में गिरफ्तार किया गया तो उनकी तरफ से पंजाब के नेताओं को हरियाणा आने पर सबक सिखाने की चेतावनी के बाद यह मसला आने वाले दिनों में टकराव के आसार की ओर इशारा कर रहा है।

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दूसरी तरफ शुक्रवार को हरियाणा में इनैलो द्वारा अपने वर्करों को 27 फरवरी को पंजाब के राजपुरा चलो के आह्वान से भी यह लगने लगा है कि आने वाले दिनों में जल युद्ध तेज हो सकता है। सियासी माहिरों का तर्क है कि अभय चौटाला की गिरफ्तारी को लेकर पहले ही सारी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी थी। यही नहीं इसके पात्र कौन होंगे और डायलॉग क्या होंगे यह भी सारा कुछ पहले ही तय था। हरियाणा सरकार अभय चौटाला को गिरफ्तार कर हीरो बनाना नहीं चाहती थी और पंजाब में गिरफ्तारी से यह आने वाले दिन में टकराव से कम नहीं होगा।  

बादलों पर जब भी संकट आया तो चौटाला परिवार बना ढाल
बादल परिवार और चौटाला परिवार का याराना जग-जाहिर है। दोनों परिवारों की अपने-अपने प्रदेशों की राजनीति में गहरी पैठ है। पंजाब में जब भी सरकार बदली और बादल परिवार पर कोई संकट आया तो चौटाला परिवार हमेशा ही बादल परिवार की ढाल बना। बादल परिवार ने चौटाला परिवार के सहयोग के साथ हरियाणा में अपने बड़े कारोबार स्थापित किए।

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कै. अमरेन्द्र सिंह की सरकार के समय वर्ष 2003 में जब कै. अमरेन्द्र ने बादलों को एस.जी.पी.सी. से दूर करने की रणनीति बनाई और एस.जी.पी.सी. के प्रधान के चुनाव से पहले एस.जी.पी.सी. सदस्यों के साथ संपर्क किया तो इस दौरान सदस्यों के बिना मांगे ही उनको गनमैन दे दिए गए। कैप्टन सरकार और पंजाब पुलिस की रणनीति को भांपते हुए बादल परिवार समूचे एस.जी.पी.सी. सदस्यों को लेकर हरियाणा चला गया। उस समय हरियाणा में चौटाला की सरकार थी और ये सभी मैंबर बादलों के बालासर फार्म पर रुके रहे। इसके बाद ये समूचे मैंबर दिल्ली चले गए और वहां से एक चार्टर्ड योजना के द्वारा नैशनल मीडिया को साथ लेकर वोटों वाले दिन सीधे अमृतसर पहुंचे और चुनाव में हिस्सा लिया। 

यदि उस समय बादल से अलग चल रहे स्व. पंथ रत्न जत्थे. गुरचरण सिंह टोहरा एस.जी.पी.सी. का प्रधान बनने में सफल रहते तो 2007 में बादल किसी भी हालत में पंजाब की सत्ता पर काबिज नहीं हो सकते थे। इस तरह की कई घटनाएं हैं, जब चौटाला परिवार ने बादल परिवार के साथ याराना निभाते हुए उनकी ढाल बन कर काम किया। पंजाब का चुनाव हो चुका है और 11 मार्च को परिणाम आना है। जो खुफिया रिपोर्टें आ रही हैं, उसके अनुसार अकाली दल का हश्र काफी बुरा होना है। ऐसे में बादलों की राजनीति यही है कि एस.वाई.एल. मुद्दे के द्वारा जहां पंजाब में नई बनने वाली सरकार को घेरा जाएगा, वहीं एस.वाई.एल. मुद्दे पर चौटाला को भी हरियाणा में राजनीतिक तौर पर मजबूत किया जाएगा। 

चौ. देवी लाल ने चलाया था न्याय युद्ध, पोते ने जल युद्ध
सतलुज-यमुना लिंक (एस.वाई.एल.) नहर का पानी हरियाणा को दिलवाने के लिए प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल इंडियन नैशनल लोकदल (इनैलो) द्वारा शुरू ‘जल युद्ध’ और पंजाब में जाकर नहर खुदाई का प्रयास पंजाब व हरियाणा सीमा पर भले ही सुरक्षा बलों की जबरदस्त तैनाती और अभय सिंह चौटाला सहित पार्टी के प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के साथ एक बार टल गया है मगर इस ‘जल युद्ध’ के आने वाले समय में और अधिक विस्फोटक होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि वीरवार के घटनाक्रम के बाद आने वाले दिनों में दोनों राज्यों के नेताओं के बीच ‘जल युद्ध’ पर ‘वाक् युद्ध’ और तेज होने के आसार हैं। इस बात के संकेत अभय सिंह चौटाला सहित उनकी पार्टी के सांसदों व विधायकों की गिरफ्तारी से पूर्व चौटाला द्वारा मीडिया के समक्ष दोनों राज्यों के नेताओं को दी गई चेतावनी से साफ मिलते हैं।

‘जल युद्ध’ अभियान के तहत पंजाब में जाकर नहर खुदाई के अल्टीमेटम के तहत हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला अपनी पार्टी के सांसदों, विधायकों व भारी संख्या में कार्यकर्ताओं के साथ पंजाब सीमा की ओर बढ़े तो जोश से भरे कार्यकर्ताओं ने हरियाणा पुलिस के कई नाके तोड़ते हुए पंजाब सीमा में प्रवेश का प्रयास किया।

जब अभय सिंह चौटाला सहित अन्य नेताओं को गिरफ्तार किया गया तो उस दौरान जिस तरह अभय सिंह चौटाला ने हरियाणा सरकार को प्रदेश हितों से खिलवाड़ करने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें 27 फरवरी से शुरू हो रहे हरियाणा विधानसभा सत्र में घेरने के साथ-साथ प्रदेश की सड़कों पर आकर सरकार की पोल खोलने का ऐलान किया, उससे साफ हो गया कि अभय सिंह भी अपने दादा चौ. देवीलाल द्वारा 1986 में शुरू किए गए ‘न्याय युद्ध’ की तर्ज पर ‘जल युद्ध’ को मुकाम तक पहुंचाने के लिए अडिग हैं और सरकार से सीधे 2-2 हाथ करने के मूड में हैं।

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