पढि़ए शायद 11 मार्च के बाद अखिलेश और मायावती हो सकते हैं साथ-साथ !

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल जितने चौकाने वाले हैं, उससे ज्यादा चौकाने का बयान यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिया है। उन्होंने संकेत दिया है कि अगर जरुरत पड़ी तो वह अपनी मुंहबोली बुआ मायवाती के साथ जा सकते हैं। अखिलेश यादव के इस बयान के बाद राजनीति पार्टियों में हलचल मच गयी है।
अखिलेश यादव ने बीबीसी के फेसबुक के लाइव पेज पर बातचीत के दौरान कहा कि यूपी में भाजपा को रोकने के लिए बसपा से हाथ तक मिलाने की बात कर डाली। वहीं अखिलेश के प्रस्ताव पर मायावती ने भी सीधे तौर पर इनकार न करते हुए 11 मार्च के बाद उसपर जवाब देने की बात कही। सुर दोनों और से बदले।
एक्जिट पोल के नतीजे देखने के बाद मायावती ने कहा कि वो नतीजे आने के बाद ही अखिलेश के प्रस्ताव पर विचार करेंगी। टाइम्स नाऊ से बातचीत में मायावती ने कहा कि भाजपा को दूर रखने के मुद्दे पर वो 11 मार्च के बाद गौर करेगी। अखिलेश यादव ने बीबीसी हिंदी के साथ फेसबुक लाइव में कहा कि अगर चुनाव नतीजा उनके पक्ष में नहीं आया तो वो भाजपा को रोकने के लिए बुआ से हाथ मिला सकते हैं।

इससे भाजपा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन नहीं लगा सकेगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 11 मार्च का चुनावी नतीजा उनके पक्ष में आएगा। वहीं सपा के वरिष्ठ नेता रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि गठबंधन का फायदा सिर्फ  कांग्रेस को मिला है अगर गठबंधन नहीं होता तो हम ज्यादा सीटें जीत पाते। 

इस पर पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यूपी में सपा कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनेगी। बीजेपी तीसरे नंबर की पार्टी उत्तर प्रदेश में रहेगी। आजाद ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में हार के डर से प्रधानमंत्री को उतरना पड़ा। सपा का तो काम बोलता है, पर पीएम के तो यूपी में सिर्फ  भाषण बोलते रहे थे।

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