इस पार्क के तहत कृषि आधारित उत्पादों, खाद्य व हर्बल उत्पाद, पशु आहार दुग्ध और औषधीय उत्पादों की इकाइयां तथा रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना की जाएगी। पार्क में स्थापित की जाने वाली खाद्य प्रसंस्करण इकाई प्रतिदिन 400 टन फल व सब्जियों का प्रसंस्करण करेगी। इसमें जैविक गेहूं का इस्तेमाल करते हुए रोज 750 टन आटा भी तैयार किया जाएगा। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 30 नवंबर 2016 को लोक भवन में आयोजित कार्यक्रम में फूड एवं हर्बल पार्क का शिलान्यास किया था। पतंजलि समूह के मेगा फूड पार्क को लेकर हुए विवाद के संदर्भ में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त डॉ. अनूप चंद्र पांडेय ने साफ किया कि पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को जमीन का आवंटन रद नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स ने केंद्र सरकार की मेगा फूड पार्क स्कीम के तहत आवेदन किया था। मेगा फूड पार्क की स्थापना के लिए केंद्र सरकार 150 करोड़ रुपये सब्सिडी देती है। पतंजलि समूह की ओर से राज्य सरकार से अनुरोध किया गया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में आवंटित 455 एकड़ जमीन में से 50 एकड़ जमीन पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को मेगा फूड पार्क की स्थापना के लिए ट्रांसफर कर दी जाए। पांडेय ने बताया कि चूंकि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को 455 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्णय कैबिनेट के स्तर से हुआ था, इसलिए उसकी शर्तों में संशोधन करते हुए पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को उसमें से 50 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्णय भी कैबिनेट के स्तर से ही लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए कैबिनेट नोट तैयार हो चुका है। परामर्शी विभागों से राय लेने के बाद प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।

पतंजलि के मेगा फूड पार्क विवाद का निकला हल, कैबिनेट में अगले हफ्ते लगेगी मुहर

पतंजलि आयुर्वेद की शर्तों को मानने के लिये योगी सरकार तैयार हो गई है। पतंजलि के प्रस्ताव के लिए कैबिनेट मीटिंग में संशोधन प्रस्ताव लाया जायेगा। अगले सप्ताह 12 जून की कैबिनेट बैठक में पेश हो किया जायेगा। सीएम योगी के निर्देश के बाद मुख्य सचिव की बैठक में निर्णय लिया गया है। संशोधन प्रस्ताव में पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क को 91 एकड़ भूमि की मंजूरी दी जायेगी। इस पार्क के तहत कृषि आधारित उत्पादों, खाद्य व हर्बल उत्पाद, पशु आहार दुग्ध और औषधीय उत्पादों की इकाइयां तथा रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना की जाएगी। पार्क में स्थापित की जाने वाली खाद्य प्रसंस्करण इकाई प्रतिदिन 400 टन फल व सब्जियों का प्रसंस्करण करेगी। इसमें जैविक गेहूं का इस्तेमाल करते हुए रोज 750 टन आटा भी तैयार किया जाएगा। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 30 नवंबर 2016 को लोक भवन में आयोजित कार्यक्रम में फूड एवं हर्बल पार्क का शिलान्यास किया था।  पतंजलि समूह के मेगा फूड पार्क को लेकर हुए विवाद के संदर्भ में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त डॉ. अनूप चंद्र पांडेय ने साफ किया कि पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को जमीन का आवंटन रद नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स ने केंद्र सरकार की मेगा फूड पार्क स्कीम के तहत आवेदन किया था। मेगा फूड पार्क की स्थापना के लिए केंद्र सरकार 150 करोड़ रुपये सब्सिडी देती है।  पतंजलि समूह की ओर से राज्य सरकार से अनुरोध किया गया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में आवंटित 455 एकड़ जमीन में से 50 एकड़ जमीन पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को मेगा फूड पार्क की स्थापना के लिए ट्रांसफर कर दी जाए। पांडेय ने बताया कि चूंकि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को 455 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्णय कैबिनेट के स्तर से हुआ था,  इसलिए उसकी शर्तों में संशोधन करते हुए पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को उसमें से 50 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्णय भी कैबिनेट के स्तर से ही लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए कैबिनेट नोट तैयार हो चुका है। परामर्शी विभागों से राय लेने के बाद प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।

योग गुरु बाबा रामदेव के पतंजलि समूह की ओर से यमुना एक्सप्रेस-वे के निकट स्थापित किये जाने वाले मेगा फूड पार्क को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने उप्र सरकार पर मेगा फूड पार्क के लिए जमीन देने में हीलाहवाली का आरोप लगाते हुए परियोजना को प्रदेश में स्थापित करने का इरादा त्यागने का एलान किया था। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बालकृष्ण से देर रात टेलीफोन पर वार्ता कर संबंधित नीति के तहत उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया है।

राज्य सरकार पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण क्षेत्र में आवंटित 455 एकड़ जमीन में से 50 एकड़ जमीन समूह की एक अन्य कंपनी पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को मेगा फूड पार्क के लिए ट्रांसफर करने पर विचार कर रही है। पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स ने केंद्र सरकार की मेगा फूड पार्क स्कीम के तहत आवेदन किया है।

अखिलेश सरकार ने बाबा रामदेव के पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की ओर से स्थापित किये जाने वाले फूड एवं हर्बल पार्क के लिए वर्ष 2016 में यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण क्षेत्र में 455 एकड़ जमीन आवंटित की थी।

जमीन का आवंटन राज्य सरकार की औद्योगिक निवेश नीति, 2012 के अंतर्गत मेगा प्रोजेक्ट के लिए निर्धारित व्यवस्था के अनुसार किया गया है। पंतजलि आयुर्वेद की ओर से इस जमीन पर 1666.8 करोड़ रुपये की लागत से 455 एकड़ क्षेत्रफल पर फूड पार्क की स्थापना की जानी थी। कंपनी की ओर से बताया गया था कि फूड पार्क के कार्यशील होने पर 8,000 लोगों को सीधे तौर पर और लगभग 80,000 लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।

इस पार्क के तहत कृषि आधारित उत्पादों, खाद्य व हर्बल उत्पाद, पशु आहार दुग्ध और औषधीय उत्पादों की इकाइयां तथा रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना की जाएगी। पार्क में स्थापित की जाने वाली खाद्य प्रसंस्करण इकाई प्रतिदिन 400 टन फल व सब्जियों का प्रसंस्करण करेगी। इसमें जैविक गेहूं का इस्तेमाल करते हुए रोज 750 टन आटा भी तैयार किया जाएगा। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 30 नवंबर 2016 को लोक भवन में आयोजित कार्यक्रम में फूड एवं हर्बल पार्क का शिलान्यास किया था।

पतंजलि समूह के मेगा फूड पार्क को लेकर हुए विवाद के संदर्भ में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त डॉ. अनूप चंद्र पांडेय ने साफ किया कि पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को जमीन का आवंटन रद नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स ने केंद्र सरकार की मेगा फूड पार्क स्कीम के तहत आवेदन किया था। मेगा फूड पार्क की स्थापना के लिए केंद्र सरकार 150 करोड़ रुपये सब्सिडी देती है।

पतंजलि समूह की ओर से राज्य सरकार से अनुरोध किया गया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में आवंटित 455 एकड़ जमीन में से 50 एकड़ जमीन पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को मेगा फूड पार्क की स्थापना के लिए ट्रांसफर कर दी जाए। पांडेय ने बताया कि चूंकि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को 455 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्णय कैबिनेट के स्तर से हुआ था,

इसलिए उसकी शर्तों में संशोधन करते हुए पतंजलि फूड प्रोडक्ट्स को उसमें से 50 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्णय भी कैबिनेट के स्तर से ही लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए कैबिनेट नोट तैयार हो चुका है। परामर्शी विभागों से राय लेने के बाद प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।

 
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