पराली जलने पर, ईपीसीए ने पंजाब-हरियाणा के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर किया आगाह

जाड़े की दस्तक होने में अभी थोड़ा समय बाकी है, लेकिन पंजाब में पराली जलना शुरू हो गई है। वायु प्रदूषण के स्तर में आंशिक गिरावट भी आने लगी है। यह स्थिति आने वाले दिनों में चिंताजनक ना हो, इसके मददेनजर पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) सख्ती का रवैया अपना लिया है।

पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर आगाह भी कर दिया है एवं उन्हें सख्त कदम उठाने के निर्देश भी दिए हैं। इस पत्र में ईपीसीए अध्यक्ष भूरेलाल ने पंजाब एवं हरियाणा के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आगाह किया है कि सफर इंडिया और नासा द्वारा मिली जानकारी व आंकड़ों के अनुसार 20 सितंबर को 20 और 21 सितंबर को 42 स्थानों पर पंजाब में पराली जलाई गई। जबकि 15 तारीख को पराली जलाने की कोई घटना नहीं थी। यानि अब पराली जलना शुरू हो चुका है।

सीपीसीबी के मुताबिक पिछले वर्ष दिल्ली के वायु प्रदूषण में पराली का धुआं 44 फीसद तक शामिल था। भूरेलाल ने पत्र में कहा कि अभी हवा की गति तेज है जिससे धुआं फैल रहा है व दिल्ली पर असर थोड़ा कम है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस पर तुरंत रोक लगाना जाना जरूरी है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पराली को खेत में या खेत के बाहर नष्ट किया जाना है जिससे कि इसे जलाने की घटनाओं पर काबू किया जा सके। ईपीसीए ने इन मामलों की निगरानी दो महीने से शुरू कर दी है एवं सरकार के लिए लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। जाड़े का मौसम नजदीक आ गया है इसलिए सभी प्रकार के नियंतण्रके तरीकों पर नजर रखना होगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि पराली को नष्ट करने के लिए किसानों को कम दर पर मशीनें दिलाई जा सके।

भूरेलाल ने कहा कि जल्द एक नियंत्रण कक्ष स्थापित करना होगा ताकि किसानों को जानकारी मिल सके कि पराली नष्ट करने हेतु मशीन कहां आसानी से मिल सकती है। साथ ही नियमों का पालन नहीं करने पर कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। ईपीसीए जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति हो रही है या नहीं, यह जानकारी भी कोर्ट को देनी होगी। राज्यों को आने वाले महीने में पराली जलाने की समस्या से सख्ती से निपटना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना काल में इस समस्या को लेकर और भी गंभीर रूख अपनाना होगा।

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