पाक न्यूक्लियर प्लांट पर 1984 में हमला कर सकती थी भारतीय वायुसेना

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के गोपनीय दस्तावेजों में कहा गया है कि वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पाक के परमाणु संयंत्र पर भारतीय वायुसेना बड़ा हमला कर सकती थी, जिससे पाकिस्तान को भारी क्षति होती। इस हमले के बाद पड़ोसी देश के परमाणु प्रोजेक्ट कई साल पीछे खिसक जाते। 
पाक न्यूक्लियर प्लांट पर 1984 में हमला कर सकती थी भारतीय वायुसेना

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दस्तावेजों के मुताबिक पाकिस्तान 1984 तक अपनी एयरफोर्स को ठीक सुविधाएं देने में सक्षम नहीं था। हालांकि कागजातों में इस बात की पुष्टि नहीं की गई है कि हमले के लिए भारत किन जहाजों का इस्तेमाल करता, लेकिन माना जा रहा है कि भारत मिग-23 या जगुआर एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल कर सकता था। अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने अपने हजारों गोपनीय दस्तावेजों का खुलासा किया है, जिनमें से एक में भारत-पाक संबंधों का जिक्र है। 

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सीआईए की इस गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त भारत के पास मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिग-29 एक बड़ी ताकत थी, जिसकी खरीद जल्द ही होनी थी। इसका मुकाबला करने में पाकिस्तान सक्षम नहीं था। पाक के पास मौजूद एफ-16 विमानों की तुलना में मिग-29 की मारक क्षमता जबरदस्त थी, जिनके दम पर भारत पाक की वायु सीमा को अपने कब्जे में कर वहां के परमाणु संयंत्रों को अपने नियंत्रण में ले सकता था।

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महज 30 मिनट की दूरी पर थे पाक के एटमी संयंत्र
भारतीय वायुसेना द्वारा जहां हमला किया जाता उसमें कठुआ का इनरिचमेंट प्लांट और इंस्टेक-न्यू लेबोरेटरी फेसिलिटी शामिल हो सकते थे। ये दोनों ही जगह भारत से मात्र 30 मिनट की दूरी पर हैं। दस्तावेजों के मुताबिक भारत की वायुसेना पाक एयरफोर्स से बड़ी और बेहतर थी। 

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