नाम शामिल नहीं करवाना चाहती थीं आवेदक महिला विकास मिश्रा ने नाम के सवाल पर कहा कि नाम पूछने पर दंपति ने निकाहनामा दिखाया जिसमें सादिया हसन नाम था लेकिन उस नाम को वो आवेदन पत्र में शामिल नहीं कराना चाहती थीं। इसके बाद मैंने उनसे आवेदन पत्र में नाम चढ़ाने के लिए आग्रह किया तो उन्होंने इसके लिए मना कर दिया। इसके बाद हमने मामले को एपीओ अधिकारी के पास भेज दिया। उन्होंने दंपति से पूछा कि आप नोएडा में रहती हैं तो पता चढ़ाने के लिए क्यों मना कर रही हैं। दंपति ने वहां भी मना कर दिया। जिसके बाद एपीओ ने उनकी फाइल को यहां के पॉलिसी सेंटर भेज दिया। मैंने कोई भी अभद्र व्यवहार नहीं किया विकास मिश्रा ने कहा कि अभद्रता तथा चिल्लाने का आरोप गलत है। उन्होंने कहा कि मैं उनके ऊपर नहीं चिल्लाया बल्कि वो यहां दफ्तर में चिल्ला रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने हमें धमकी भी दी कि हम सक्षम लोग हैं, हम पुलिस रिपोर्ट भी दर्ज करवाएंगे। हम नोएडा में जरूर रहते हैं लेकिन हम लखनऊ के पते पर रिपोर्ट लिखवा लेंगे जिसके बाद आपको गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। ट्रांसफर तथा नोटिस जारी होने के बारे में उन्होंने कहा कि अगर कोई नोटिस मिली है तो हम उसका जवाब देंगे, ट्रांसफर की किसी कार्रवाई की जानकारी हमारे पास नहीं है। इस प्रकरण में जो भी हो रहा है वह गलत हो रहा है। सब कुछ नियम के खिलाफ विकास मिश्र ने भी अंतरजातीय विवाह किया है। विकास मिश्र ने कहा कि एक तो तन्वी का पता नोएडा का था। इस पर उनको गाजियाबाद पासपोर्ट सेवा केंद्र में अप्लाई करना चाहिए था। दूसरा पासपोर्ट मैन्यूअल 2016 के तहत यदि अंतरजातीय विवाह करने पर आवेदक को एक घोषणा पत्र पर केवल इतना लिखना होता है कि उसने जिससे शादी की है उसका नाम व पता यह है। पासपोर्ट एक्ट 1967 के तहत नाम बदलने पर पासपोर्ट के आवेदन में लगे एक बाक्स में सही का निशान लगाकर दूसरा नाम भी जोडऩा पड़ता है। यहां तक कि घर का नाम भी बताया जाता है। जिससे एक आदमी के अलग नाम से पासपोर्ट न बन सकें। तन्वी के पति का नाम मुस्लिम होने पर मैंने यहीं कहा था कि यदि अंतरजातीय विवाह हुआ है तो उनको दूसरा नाम बताना चाहिए। तन्वी ने निकाह के बाद धर्म परिवर्तन कर लिया था। उनका नाम निकाहनामा में सादिया असद था। ऐसे में नाम आवेदन पर बढ़ाने के लिए उनको एपीओ के पास भेजा था। यह भी कहा था कि मैं नियम नहीं तोड़ सकता। यदि एपीओ स्वीकृति दे देंगे तो मैं आपके आवेदन की प्रक्रिया को मंजूर कर लूंगा। पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने कहा कि इससे पहले विकास मिश्र के किसी और पासपोर्ट आवेदक के साथ अभद्रता करने की शिकायत नहीं मिली है। ट्विटर पर ट्रेंड हुआ #ISupportVikasMishra लखनऊ में पासपोर्ट ऑफिस, रतन स्क्वायर में अधिकारी विकास मिश्रा को हिंदू-मुस्लिम कपल को धर्म के नाम पर अपमानित करने के कथित आरोप में गोरखपुर ट्रांसफर कर दिया गया। विकास मिश्रा का पक्ष मीडिया में आने के बाद सोशल मीडिया पर वे ट्रेंड होने लगे। विकास मिश्रा का पक्ष सामने आने पर उनके समर्थन में ट्विटर पर एक मुहिम छिड़ गई और हैशटैग #ISupportVikasMishra ट्रेंड होने लगा। ट्विटर पर कई नामी हस्तियों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, पीएमओ और विदेश मंत्रालय को टैग करते हुए विकास के समर्थन में आवाज उठाया। किसी ने कहा कि अफसर अपनी ड्यूटी कर रहा था। किसी को पासपोर्ट जारी करने से पहले कई तरह की जांच की जाती है, ये उसी का हिस्सा है। ऐसे में अफसर पर की गई कार्रवाई सही नहीं है। वहीं, मामले पर लोकप्रिय गायिका मालिनी अवस्थी ने भी अपना पक्ष रखा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सरकारी नियम की एक प्रक्रिया है। पासपोर्ट के लिए तो और भी गहन गंभीर प्रक्रिया है। मामले की पूरी जांच बिना अफसर को हटाना ठीक नहीं। फिल्ममेकर अशोक पंडित ने लिखा कि विकास मिश्रा के पक्ष को भी सुनने की जरुरत है, जिसे मामले में पक्षकार बनाया गया है। वह अर्थपूर्ण सवाल उठा रहे हैं। एक ही महिला के दो नाम उपयोग करने पर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें दस्तावेजों की जांच का पूरा हक है। हमें कैसे पता की तन्वी जो आरोप लगा रही हैं वह सही है। पासपोर्ट बनवाने के लिए वे झूठ भी बोल सकती हैं। इसके साथ ही ट्विटर पर लोगों ने विकास मिश्रा के तबादले और तन्वी को घंटे के भीतर बिना जांच के पासपोर्ट जारी करने पर भी सवाल उठाए।

पासपोर्ट विवाद में ट्विस्ट, अधिकारी ने कहा- नोएडा की महिला को लखनऊ से कैसे दे देता पासपोर्ट

सूबे की राजधानी लखनऊ में हाईप्रोफाइल पासपोर्ट मामले में नया ट्विस्ट आ गया है। नोएडा के निवासी हिंदू महिला तथा मुस्लिम पति को भले ही लखनऊ में पासपोर्ट दे दिया गया है, लेकिन सोशल मीडिया पर अधिकारी विकास मिश्रा की ईमानदारी की मिसाल दी जा रही है।नाम शामिल नहीं करवाना चाहती थीं आवेदक महिला  विकास मिश्रा ने नाम के सवाल पर कहा कि नाम पूछने पर दंपति ने निकाहनामा दिखाया जिसमें सादिया हसन नाम था लेकिन उस नाम को वो आवेदन पत्र में शामिल नहीं कराना चाहती थीं। इसके बाद मैंने उनसे आवेदन पत्र में नाम चढ़ाने के लिए आग्रह किया तो उन्होंने इसके लिए मना कर दिया। इसके बाद हमने मामले को एपीओ अधिकारी के पास भेज दिया। उन्होंने दंपति से पूछा कि आप नोएडा में रहती हैं तो पता चढ़ाने के लिए क्यों मना कर रही हैं। दंपति ने वहां भी मना कर दिया। जिसके बाद एपीओ ने उनकी फाइल को यहां के पॉलिसी सेंटर भेज दिया।  मैंने कोई भी अभद्र व्यवहार नहीं किया  विकास मिश्रा ने कहा कि अभद्रता तथा चिल्लाने का आरोप गलत है। उन्होंने कहा कि मैं उनके ऊपर नहीं चिल्लाया बल्कि वो यहां दफ्तर में चिल्ला रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने हमें धमकी भी दी कि हम सक्षम लोग हैं, हम पुलिस रिपोर्ट भी दर्ज करवाएंगे। हम नोएडा में जरूर रहते हैं लेकिन हम लखनऊ के पते पर रिपोर्ट लिखवा लेंगे जिसके बाद आपको गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। ट्रांसफर तथा नोटिस जारी होने के बारे में उन्होंने कहा कि अगर कोई नोटिस मिली है तो हम उसका जवाब देंगे, ट्रांसफर की किसी कार्रवाई की जानकारी हमारे पास नहीं है। इस प्रकरण में जो भी हो रहा है वह गलत हो रहा है।    सब कुछ नियम के खिलाफ  विकास मिश्र ने भी अंतरजातीय विवाह किया है। विकास मिश्र ने कहा कि एक तो तन्वी का पता नोएडा का था। इस पर उनको गाजियाबाद पासपोर्ट सेवा केंद्र में अप्लाई करना चाहिए था। दूसरा पासपोर्ट मैन्यूअल 2016 के तहत यदि अंतरजातीय विवाह करने पर आवेदक को एक घोषणा पत्र पर केवल इतना लिखना होता है कि उसने जिससे शादी की है उसका नाम व पता यह है। पासपोर्ट एक्ट 1967 के तहत नाम बदलने पर पासपोर्ट के आवेदन में लगे एक बाक्स में सही का निशान लगाकर दूसरा नाम भी जोडऩा पड़ता है। यहां तक कि घर का नाम भी बताया जाता है।  जिससे एक आदमी के अलग नाम से पासपोर्ट न बन सकें। तन्वी के पति का नाम मुस्लिम होने पर मैंने यहीं कहा था कि यदि अंतरजातीय विवाह हुआ है तो उनको दूसरा नाम बताना चाहिए। तन्वी ने निकाह के बाद धर्म परिवर्तन कर लिया था। उनका नाम निकाहनामा में सादिया असद था। ऐसे में नाम आवेदन पर बढ़ाने के लिए उनको एपीओ के पास भेजा था। यह भी कहा था कि मैं नियम नहीं तोड़ सकता। यदि एपीओ स्वीकृति दे देंगे तो मैं आपके आवेदन की प्रक्रिया को मंजूर कर लूंगा। पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने कहा कि इससे पहले विकास मिश्र के किसी और पासपोर्ट आवेदक के साथ अभद्रता करने की शिकायत नहीं मिली है।    ट्विटर पर ट्रेंड हुआ #ISupportVikasMishra  लखनऊ में पासपोर्ट ऑफिस, रतन स्क्वायर में अधिकारी विकास मिश्रा को हिंदू-मुस्लिम कपल को धर्म के नाम पर अपमानित करने के कथित आरोप में गोरखपुर ट्रांसफर कर दिया गया। विकास मिश्रा का पक्ष मीडिया में आने के बाद सोशल मीडिया पर वे ट्रेंड होने लगे। विकास मिश्रा का पक्ष सामने आने पर उनके समर्थन में ट्विटर पर एक मुहिम छिड़ गई और हैशटैग #ISupportVikasMishra ट्रेंड होने लगा।  ट्विटर पर कई नामी हस्तियों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, पीएमओ और विदेश मंत्रालय को टैग करते हुए विकास के समर्थन में आवाज उठाया। किसी ने कहा कि अफसर अपनी ड्यूटी कर रहा था। किसी को पासपोर्ट जारी करने से पहले कई तरह की जांच की जाती है, ये उसी का हिस्सा है। ऐसे में अफसर पर की गई कार्रवाई सही नहीं है।    वहीं, मामले पर लोकप्रिय गायिका मालिनी अवस्थी ने भी अपना पक्ष रखा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सरकारी नियम की एक प्रक्रिया है। पासपोर्ट के लिए तो और भी गहन गंभीर प्रक्रिया है। मामले की पूरी जांच बिना अफसर को हटाना ठीक नहीं। फिल्ममेकर अशोक पंडित ने लिखा कि विकास मिश्रा के पक्ष को भी सुनने की जरुरत है, जिसे मामले में पक्षकार बनाया गया है। वह अर्थपूर्ण सवाल उठा रहे हैं। एक ही महिला के दो नाम उपयोग करने पर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें दस्तावेजों की जांच का पूरा हक है। हमें कैसे पता की तन्वी जो आरोप लगा रही हैं वह सही है। पासपोर्ट बनवाने के लिए वे झूठ भी बोल सकती हैं। इसके साथ ही ट्विटर पर लोगों ने विकास मिश्रा के तबादले और तन्वी को घंटे के भीतर बिना जांच के पासपोर्ट जारी करने पर भी सवाल उठाए।

लखनऊ में नोएडा निवासी एक हिंदू-मुस्लिम दंपति को हाथों-हाथ पासपोर्ट मिल गया। इस मामले में पासपोर्ट ऑफिस के अधिकारियों ने तुरंत दंपति का पासपोर्ट जारी किया और मीडिया के सामने आकर सफाई दी। इस बीच पासपोर्ट विभाग के जिस अधिकारी विकास मिश्रा पर बदसलूकी का आरोप लगा है, उन्होंने भी सफाई दी और कहा कि जो हो रहा है वो गलत हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमें धर्म से कोई मतलब नहीं, हमें तो पासपोर्ट के मैनुअल के मुताबिक फैसला लेना होता है, जिसमें आवेदक की जानकारी की कॉलम वाइज पुष्टि करनी होती है। उस फैसले के तहत निवेदक को अपना नाम स्पष्ट करना चाहिए था क्योंकि उस पर उनका पुराना नाम था।

सूबे की राजधानी लखनऊ में हाईप्रोफाइल पासपोर्ट मामले में नया ट्विस्ट आ गया है। नोएडा के निवासी हिंदू महिला तथा मुस्लिम पति को भले ही लखनऊ में पासपोर्ट दे दिया गया है, लेकिन सोशल मीडिया पर अधिकारी विकास मिश्रा की ईमानदारी की मिसाल दी जा रही है।

लखनऊ में नोएडा निवासी एक हिंदू-मुस्लिम दंपति को हाथों-हाथ पासपोर्ट मिल गया। इस मामले में पासपोर्ट ऑफिस के अधिकारियों ने तुरंत दंपति का पासपोर्ट जारी किया और मीडिया के सामने आकर सफाई दी। इस बीच पासपोर्ट विभाग के जिस अधिकारी विकास मिश्रा पर बदसलूकी का आरोप लगा है, उन्होंने भी सफाई दी और कहा कि जो हो रहा है वो गलत हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमें धर्म से कोई मतलब नहीं, हमें तो पासपोर्ट के मैनुअल के मुताबिक फैसला लेना होता है, जिसमें आवेदक की जानकारी की कॉलम वाइज पुष्टि करनी होती है। उस फैसले के तहत निवेदक को अपना नाम स्पष्ट करना चाहिए था क्योंकि उस पर उनका पुराना नाम था।

नाम शामिल नहीं करवाना चाहती थीं आवेदक महिला

विकास मिश्रा ने नाम के सवाल पर कहा कि नाम पूछने पर दंपति ने निकाहनामा दिखाया जिसमें सादिया हसन नाम था लेकिन उस नाम को वो आवेदन पत्र में शामिल नहीं कराना चाहती थीं। इसके बाद मैंने उनसे आवेदन पत्र में नाम चढ़ाने के लिए आग्रह किया तो उन्होंने इसके लिए मना कर दिया। इसके बाद हमने मामले को एपीओ अधिकारी के पास भेज दिया। उन्होंने दंपति से पूछा कि आप नोएडा में रहती हैं तो पता चढ़ाने के लिए क्यों मना कर रही हैं। दंपति ने वहां भी मना कर दिया। जिसके बाद एपीओ ने उनकी फाइल को यहां के पॉलिसी सेंटर भेज दिया।

मैंने कोई भी अभद्र व्यवहार नहीं किया

विकास मिश्रा ने कहा कि अभद्रता तथा चिल्लाने का आरोप गलत है। उन्होंने कहा कि मैं उनके ऊपर नहीं चिल्लाया बल्कि वो यहां दफ्तर में चिल्ला रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने हमें धमकी भी दी कि हम सक्षम लोग हैं, हम पुलिस रिपोर्ट भी दर्ज करवाएंगे। हम नोएडा में जरूर रहते हैं लेकिन हम लखनऊ के पते पर रिपोर्ट लिखवा लेंगे जिसके बाद आपको गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। ट्रांसफर तथा नोटिस जारी होने के बारे में उन्होंने कहा कि अगर कोई नोटिस मिली है तो हम उसका जवाब देंगे, ट्रांसफर की किसी कार्रवाई की जानकारी हमारे पास नहीं है। इस प्रकरण में जो भी हो रहा है वह गलत हो रहा है।

सब कुछ नियम के खिलाफ

विकास मिश्र ने भी अंतरजातीय विवाह किया है। विकास मिश्र ने कहा कि एक तो तन्वी का पता नोएडा का था। इस पर उनको गाजियाबाद पासपोर्ट सेवा केंद्र में अप्लाई करना चाहिए था। दूसरा पासपोर्ट मैन्यूअल 2016 के तहत यदि अंतरजातीय विवाह करने पर आवेदक को एक घोषणा पत्र पर केवल इतना लिखना होता है कि उसने जिससे शादी की है उसका नाम व पता यह है। पासपोर्ट एक्ट 1967 के तहत नाम बदलने पर पासपोर्ट के आवेदन में लगे एक बाक्स में सही का निशान लगाकर दूसरा नाम भी जोडऩा पड़ता है। यहां तक कि घर का नाम भी बताया जाता है।

जिससे एक आदमी के अलग नाम से पासपोर्ट न बन सकें। तन्वी के पति का नाम मुस्लिम होने पर मैंने यहीं कहा था कि यदि अंतरजातीय विवाह हुआ है तो उनको दूसरा नाम बताना चाहिए। तन्वी ने निकाह के बाद धर्म परिवर्तन कर लिया था। उनका नाम निकाहनामा में सादिया असद था। ऐसे में नाम आवेदन पर बढ़ाने के लिए उनको एपीओ के पास भेजा था। यह भी कहा था कि मैं नियम नहीं तोड़ सकता। यदि एपीओ स्वीकृति दे देंगे तो मैं आपके आवेदन की प्रक्रिया को मंजूर कर लूंगा। पासपोर्ट अधिकारी पीयूष वर्मा ने कहा कि इससे पहले विकास मिश्र के किसी और पासपोर्ट आवेदक के साथ अभद्रता करने की शिकायत नहीं मिली है।

ट्विटर पर ट्रेंड हुआ #ISupportVikasMishra

लखनऊ में पासपोर्ट ऑफिस, रतन स्क्वायर में अधिकारी विकास मिश्रा को हिंदू-मुस्लिम कपल को धर्म के नाम पर अपमानित करने के कथित आरोप में गोरखपुर ट्रांसफर कर दिया गया। विकास मिश्रा का पक्ष मीडिया में आने के बाद सोशल मीडिया पर वे ट्रेंड होने लगे। विकास मिश्रा का पक्ष सामने आने पर उनके समर्थन में ट्विटर पर एक मुहिम छिड़ गई और हैशटैग #ISupportVikasMishra ट्रेंड होने लगा।

ट्विटर पर कई नामी हस्तियों ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, पीएमओ और विदेश मंत्रालय को टैग करते हुए विकास के समर्थन में आवाज उठाया। किसी ने कहा कि अफसर अपनी ड्यूटी कर रहा था। किसी को पासपोर्ट जारी करने से पहले कई तरह की जांच की जाती है, ये उसी का हिस्सा है। ऐसे में अफसर पर की गई कार्रवाई सही नहीं है।

वहीं, मामले पर लोकप्रिय गायिका मालिनी अवस्थी ने भी अपना पक्ष रखा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सरकारी नियम की एक प्रक्रिया है। पासपोर्ट के लिए तो और भी गहन गंभीर प्रक्रिया है। मामले की पूरी जांच बिना अफसर को हटाना ठीक नहीं। फिल्ममेकर अशोक पंडित ने लिखा कि विकास मिश्रा के पक्ष को भी सुनने की जरुरत है, जिसे मामले में पक्षकार बनाया गया है। वह अर्थपूर्ण सवाल उठा रहे हैं। एक ही महिला के दो नाम उपयोग करने पर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें दस्तावेजों की जांच का पूरा हक है। हमें कैसे पता की तन्वी जो आरोप लगा रही हैं वह सही है। पासपोर्ट बनवाने के लिए वे झूठ भी बोल सकती हैं। इसके साथ ही ट्विटर पर लोगों ने विकास मिश्रा के तबादले और तन्वी को घंटे के भीतर बिना जांच के पासपोर्ट जारी करने पर भी सवाल उठाए। 

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com