बचपन की आदतों पर समय रहते पायें काबू, नहीं तो हो जाएंगे शर्मिंदा

आपकी बचपन की आदतों पर समय रहते सुधार न किया गया तो इनकी वजह से आपकी सेहत को काफी नुकसान तो होता ही है साथ ही साथ आपको लोगों के बीच शर्मिंदा भी होना पड़ता है। बचपन में अंगूठा चूसना, नाखून चबाना और कुछ ऐसी ही आदतें होती हैं जो आगे चलकर आपको परेशान कर सकती हैं।

बचपन की आदतों पर समय रहते पायें काबू, नहीं तो हो जाएंगे शर्मिंदा

कई शोध से ये बात सामने आयी है कि नाखून चबाने के पीछे भी कई कारण हो सकते हैं :-

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शोधकर्ताओं ने बताया कि नाखून चबाने का सबसे बड़ा कारण तनाव हो सकता है। यह सामाजिक, मानसिक या पारिवारिक किसी भी तरह का तनाव हो सकता है।

शोध से पता चला है कि बेचैन या नर्वस होने पर भी लोग नाखून चबाने लगते हैं। किसी भी नयी जगह जाने में या नए इंसान से मिलने में घबराहट महसूस होने लगती है। जिस कारण वे नाखून चबाना शुरू कर देते हैं।

कभी कभी लोगों में हैबिट डिसॉर्डर के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो जाती है। जिस कारण बच्चे दांतों से नाखून काटते या चबाते हैं। इसमें और भी कई आदतें शामिल हैं।

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 नाखून चबाने से आपके शरीर में कई समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। नाखून बैक्टीरिया को विकसित होने का एक आदर्श वातावरण देते हैं। नाखून चबाते वक्त ये बैक्टीरिया मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश कर संक्रमण का कारण बनते हैं। जिससे डायरिया, बुखार, गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल परेशानियां हो सकती हैं।

ऐसे लोगों में पैरोनिशिया से पीड़ित होने का जोखिम बहुत ज्यादा होता है। पैरोनिशिया एक त्वचा संक्रमण है, जो नाखून के आसपास की त्वचा में होता है। नाखून चबाने से उसके आसपास की त्वचा की कोशिकाओं की भी क्षति होती है। ऑपरेशन द्वारा इस समस्या का इलाज किया जा सकता है।

बहुत अधिक नाखून चबाने वाले लोगों में मानव पेपिलोमा वायरस या एचपीवी के कारण संक्रमण फैलने की आंशका बहुत अधिक होती है। इससे नाखूनों पर गांठ बन जाती है।

 
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