ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है जिसका शिकार बच्चे गर्भावस्था में विकास के समय हो जाते हैं. ऑटिज्म में कई अलग-अलग तरह के लक्षण होते हैं जिसकी वजह से इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्र्म डिजीज का नाम दिया जाता है. इसके लक्षण जन्म से ही या बाल्यावस्था में दिखाई देते हैं। जिन बच्चो को यह रोग होता है उनका मानसिक विकास अन्य बच्चो की अपेक्षा असामान्य होता है. बता दें कि अमेरिकी सेंट्रर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक 68 में से एक व्यक्ति इस तरह की बीमारी का शिकार होता है.अभी तक इस बीमारी के होने का कोई कारण नहीं खोजा जा सका हैं पर ऐसा माना जाता हैं कि जिन बच्चो का विकास जन्म से पहले गर्भ में सही तरह से नहीं हो पाया हैं वो इस बीमारी से ग्रस्त होते है या वो जिनके मष्तिष्क में रसायनो की असमानता और मानसिक विकास में देरी होती है वो इस बीमारी से पीड़ित होते है. लक्षण : इस बीमारी से पीड़ित बच्चे एक ही काम को दो या उससे ज्यादा बार करते है.किसी से नज़र मिलाने में हिचकिचाते है. अजीब क्रियाओ को बार-बार दोहरातें हैं जैसे ओगे-पीछे हिलना, हाँथ को हिलाते रहना आदि. ऐसे बच्चे खिलौने से खेलने की बजाए खिलौनों को सूंघते या चाटतें हैं. इरफ़ान के को-स्टार ने किया उनकी बिमारी का बड़ा खुलासा अरुणोदय सिंह ने इरफ़ान खान को लेकर दिया बड़ा बयान गुलाब की पंखुड़ियों के इस प्रयोग से आसानी से कम करें वजन गुलकंद से करें लू के इलाज़ के साथ धूप से बचाव

बच्चो में होने वाली बीमारी “ऑटिज्म” को पहचानने के लक्षण

ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है जिसका शिकार बच्चे गर्भावस्था में विकास के समय हो जाते हैं. ऑटिज्म में कई अलग-अलग तरह के लक्षण होते हैं जिसकी वजह से इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्र्म डिजीज का नाम दिया जाता है. इसके लक्षण जन्म से ही या बाल्यावस्था में दिखाई देते हैं। जिन बच्चो को यह रोग होता है उनका मानसिक विकास अन्य बच्चो की अपेक्षा असामान्य होता है.ऑटिज्म एक ऐसी बीमारी है जिसका शिकार बच्चे गर्भावस्था में विकास के समय हो जाते हैं. ऑटिज्म में कई अलग-अलग तरह के लक्षण होते हैं जिसकी वजह से इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्र्म डिजीज का नाम दिया जाता है. इसके लक्षण जन्म से ही या बाल्यावस्था में दिखाई देते हैं। जिन बच्चो को यह रोग होता है उनका मानसिक विकास अन्य बच्चो की अपेक्षा असामान्य होता है.  बता दें कि अमेरिकी सेंट्रर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक 68 में से एक व्यक्ति इस तरह की बीमारी का शिकार होता है.अभी तक इस बीमारी के होने का कोई कारण नहीं खोजा जा सका हैं पर ऐसा माना जाता हैं कि जिन बच्चो का विकास जन्म से पहले गर्भ में सही तरह से नहीं हो पाया हैं वो इस बीमारी से ग्रस्त होते है या वो जिनके मष्तिष्क में रसायनो की असमानता और मानसिक विकास में देरी होती  है वो इस बीमारी से पीड़ित होते है.  लक्षण : इस बीमारी से पीड़ित बच्चे एक ही काम को दो या उससे ज्यादा बार करते है.किसी से नज़र मिलाने में हिचकिचाते है. अजीब क्रियाओ को बार-बार दोहरातें हैं जैसे ओगे-पीछे हिलना, हाँथ को हिलाते रहना आदि. ऐसे बच्चे खिलौने से खेलने की बजाए खिलौनों को सूंघते या चाटतें हैं.   इरफ़ान के को-स्टार ने किया उनकी बिमारी का बड़ा खुलासा  अरुणोदय सिंह ने इरफ़ान खान को लेकर दिया बड़ा बयान  गुलाब की पंखुड़ियों के इस प्रयोग से आसानी से कम करें वजन  गुलकंद से करें लू के इलाज़ के साथ धूप से बचाव

बता दें कि अमेरिकी सेंट्रर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक 68 में से एक व्यक्ति इस तरह की बीमारी का शिकार होता है.अभी तक इस बीमारी के होने का कोई कारण नहीं खोजा जा सका हैं पर ऐसा माना जाता हैं कि जिन बच्चो का विकास जन्म से पहले गर्भ में सही तरह से नहीं हो पाया हैं वो इस बीमारी से ग्रस्त होते है या वो जिनके मष्तिष्क में रसायनो की असमानता और मानसिक विकास में देरी होती  है वो इस बीमारी से पीड़ित होते है.

लक्षण : इस बीमारी से पीड़ित बच्चे एक ही काम को दो या उससे ज्यादा बार करते है.किसी से नज़र मिलाने में हिचकिचाते है. अजीब क्रियाओ को बार-बार दोहरातें हैं जैसे ओगे-पीछे हिलना, हाँथ को हिलाते रहना आदि. ऐसे बच्चे खिलौने से खेलने की बजाए खिलौनों को सूंघते या चाटतें हैं. 

 

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