बड़ी खबर: ट्रिपल तलाक पर सुनवाई पूरी, कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा!

नई दिल्ली: तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई गुरुवार को भी जारी रही। दोपहर तक चली इस सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। इससे पहले बुधवार को कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से सवाल किया था कि क्या महिलाओं को निकाहनामे में तीन तलाक को नकारने के लिए कोई विकल्प दिया जा सकता है।

साथ ही जजों ने कोर्ट में ही कुरान की आयतें पढ़कर कहा कि इसमें तीन तलाक का कोई जिक्र नहीं है। उधर दूसरी ओर केंद्र सरकार ने एक बार फिर तीन तलाक का विरोध करते हुए कहा कि ये इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। जो चीज वैकल्पिक हो, पाप हो या जिसे अवांछित कहा जा रहा है वो धर्म का अभिन्न हिस्सा कैसे हो सकती है। तीन तलाक पर पांचवे दिन की बहस में ये बातें निकलकर सामने आईं।

बुधवार को जब आल इंडिया पर्सनल ला बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल पर्सनल ला में दखल न देने की अपील कर रहे थे कि तभी पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने उनसे पूछा कि क्या शादी के वक्त निकाहनामे में महिला को तीन तलाक को न कहने का विकल्प दिया जा सकता है। काजी को निकाहनामे में इस शर्त को शामिल करने को कहा जा सकता है। पीठ ने सिब्बल से इस पर जवाब मांगा।

पर्सनल ला बोर्ड की ओर से पेश दूसरे वकील युसुफ मुछाला ने जवाब देते हुए कहा कि कोर्ट का सुझाव बहुत अच्छा है और वे इस पर विचार करेंगे। सिब्बल ने कहा कि वे इस पर बोर्ड के अन्य सदस्यों से विचार विमर्श कर कोर्ट को बताएंगे। तभी जस्टिस कुरियन जोसेफ ने सवाल किया कि क्या पर्सनल ला बोर्ड इस बारे में काजियों को निर्देश दे सकता है। मुछाला ने कहा कि जरूरी नहीं कि सभी काजी बात मानें। चीफ जस्टिस ने कहा कि मार्डन निकाहनामें में ऐसा कोई उपबंध होना चाहि जिसमें महिला के पास न कहने का विकल्प हो। इससे पहले कोर्ट ने तलाक के आधारों पर भी सवाल पूछे।

अंत में सिब्बल ने दलीलें पूरी करते हए कहा कि वे 1400 साल के विश्वास को तो नहीं जानते लेकिन 67 साल के विश्वास को लेकर कोर्ट आए हैं। अल्पसंख्यक उस चिडिय़ा की तरह हैं जो चील से बचने के लिए सुरक्षित आश्रय ढूंढ़ रही है। जमीयत उलेमा ए हिन्द के वकील राजू रामचंद्रन ने कहा कि अगर एक व्यक्ति अपनी पत्नी को तलाक दे देता है तो फिर उसके बाद उसके साथ रहना पाप बन जाता है। अगर तीन तलाक खत्म कर दिया जाता है तो पुरुषों तलाकशुदा पत्नी के साथ रहने को मंजूर होगा। कोर्ट ऐसा पाप करने के लिए बाध्य नहीं करेगा। धर्मनिरपेक्ष अदालत उनकी विचारधारा को गलत नहीं साबित कर सकती। उसे बदलने को मजबूर नहीं कर सकती।

English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com