किसी प्राथमिक स्कूल में बच्चों की जगह अगर बकरी या भेड़ के साथ अन्य जानवर नजर आएं तो लोगों का आश्चर्यचकित होना लाजिमी है। बस्ती के हरैया विकास खंड के मनिकरपुर पूर्व माध्यमिक विद्यालय में ऐसा ही नजारा अक्सर दिखता है। जहां पर इक्का-दुक्का बच्चे ही आते हैं। इसका मुख्य कारण है इस स्कूल का कब्रिस्तान में निर्माण। स्कूल में कल सिर्फ एक छात्रा मिली जिसने बताया कि वह अकेले स्कूल में है। उसने बताया कि यहां बच्चे बहुत कम आते हैं। स्कूल में एक ही शिक्षक है और स्कूल कब्रिस्तान में बना है। यहां पर सरकारी आंकड़ों में तो 26 बच्चे हैं लेकिन बच्चों से ज्यादा जानवर नजर आते है। मनिकरपुर गांव में इस सरकारी विद्यालय को बनाने से पहले बेसिक शिक्षा विभाग के लोगों ने किस तरह से जांच की होगी इसकी जीती जागती तस्वीर सामने है। इस शिक्षा के मंदिर को बनाने के लिए जब अधिकारियों को कहीं जगह नहीं मिली तो कब्रिस्तान में ही स्कूल का निर्माण करवा दिया, अब डर की वजह से स्कूल में कोई भी बच्चा पढ़ाई के लिए नहीं आना चाहता। इस स्कूल के पूरे भवन को बकरियों के झुंड ने घेर रखा था। वहां पर न तो अध्यापक और न कोई छात्र था। पूरे स्कूल में सन्नाटा पसरा हुआ था। बस्ती में प्राथमिक स्कूलों के बच्चे गंदा पानी ​पीने को मजबूर यह भी पढ़ें गांव के प्रधान ने बताया कि स्कूल में बच्चों के न होने का कारण टीचर की कमी है। स्कूल कब्रिस्तान में बना है इस वजह से स्कूल संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है। बस्ती के बीएसए अरुण कुमार शुक्ला से उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई

बस्ती में कब्रिस्तान में प्राइमरी स्कूल, बच्चों की जगह आते हैं जानवर

किसी प्राथमिक स्कूल में बच्चों की जगह अगर बकरी या भेड़ के साथ अन्य जानवर नजर आएं तो लोगों का आश्चर्यचकित होना लाजिमी है। बस्ती के हरैया विकास खंड के मनिकरपुर पूर्व माध्यमिक विद्यालय में ऐसा ही नजारा अक्सर दिखता है। जहां पर इक्का-दुक्का बच्चे ही आते हैं। इसका मुख्य कारण है इस स्कूल का कब्रिस्तान में निर्माण।किसी प्राथमिक स्कूल में बच्चों की जगह अगर बकरी या भेड़ के साथ अन्य जानवर नजर आएं तो लोगों का आश्चर्यचकित होना लाजिमी है। बस्ती के हरैया विकास खंड के मनिकरपुर पूर्व माध्यमिक विद्यालय में ऐसा ही नजारा अक्सर दिखता है। जहां पर इक्का-दुक्का बच्चे ही आते हैं। इसका मुख्य कारण है इस स्कूल का कब्रिस्तान में निर्माण।   स्कूल में कल सिर्फ एक छात्रा मिली जिसने बताया कि वह अकेले स्कूल में है। उसने बताया कि यहां बच्चे बहुत कम आते हैं। स्कूल में एक ही शिक्षक है और स्कूल कब्रिस्तान में बना है। यहां पर सरकारी आंकड़ों में तो 26 बच्चे हैं लेकिन बच्चों से ज्यादा जानवर नजर आते है। मनिकरपुर गांव में इस सरकारी विद्यालय को बनाने से पहले बेसिक शिक्षा विभाग के लोगों ने किस तरह से जांच की होगी इसकी जीती जागती तस्वीर सामने है।    इस शिक्षा के मंदिर को बनाने के लिए जब अधिकारियों को कहीं जगह नहीं मिली तो कब्रिस्तान में ही स्कूल का निर्माण करवा दिया, अब डर की वजह से स्कूल में कोई भी बच्चा पढ़ाई के लिए नहीं आना चाहता। इस स्कूल के पूरे भवन को बकरियों के झुंड ने घेर रखा था। वहां पर न तो अध्यापक और न कोई छात्र था। पूरे स्कूल में सन्नाटा पसरा हुआ था।   बस्ती में प्राथमिक स्कूलों के बच्चे गंदा पानी ​पीने को मजबूर यह भी पढ़ें   गांव के प्रधान ने बताया कि स्कूल में बच्चों के न होने का कारण टीचर की कमी है। स्कूल कब्रिस्तान में बना है इस वजह से स्कूल संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है। बस्ती के बीएसए अरुण कुमार शुक्ला से उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई

स्कूल में कल सिर्फ एक छात्रा मिली जिसने बताया कि वह अकेले स्कूल में है। उसने बताया कि यहां बच्चे बहुत कम आते हैं। स्कूल में एक ही शिक्षक है और स्कूल कब्रिस्तान में बना है। यहां पर सरकारी आंकड़ों में तो 26 बच्चे हैं लेकिन बच्चों से ज्यादा जानवर नजर आते है। मनिकरपुर गांव में इस सरकारी विद्यालय को बनाने से पहले बेसिक शिक्षा विभाग के लोगों ने किस तरह से जांच की होगी इसकी जीती जागती तस्वीर सामने है।

इस शिक्षा के मंदिर को बनाने के लिए जब अधिकारियों को कहीं जगह नहीं मिली तो कब्रिस्तान में ही स्कूल का निर्माण करवा दिया, अब डर की वजह से स्कूल में कोई भी बच्चा पढ़ाई के लिए नहीं आना चाहता। इस स्कूल के पूरे भवन को बकरियों के झुंड ने घेर रखा था। वहां पर न तो अध्यापक और न कोई छात्र था। पूरे स्कूल में सन्नाटा पसरा हुआ था।

गांव के प्रधान ने बताया कि स्कूल में बच्चों के न होने का कारण टीचर की कमी है। स्कूल कब्रिस्तान में बना है इस वजह से स्कूल संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है। बस्ती के बीएसए अरुण कुमार शुक्ला से उनका पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई

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