बालिका गृह यौन कांड: फिर सवालों में फंसी मंत्री मंजू वर्मा

पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में यौन हिंसा कांड को लेकर समाज कल्‍याण मंत्री मंजू वर्मा एक बार फिर विवादों में हैं। यह मामला उन्‍हीं के विभाग से जुड़ा है। इस कांड को रोका जा सकता था, अगर मंत्रालय पहले मिली सूचना पर कार्रवाई करता। ऐसा हम नहीं कह रहे, सरकारी तंत्र ही कह रहा है। हम बात कर रहे हैं बाल संरक्षण आयोग की नौ महीने पहले की उस रिपोर्ट की, जिसमें बालिका गृह की अनियमितताओं पर विस्‍तार से लिखा गया है। आयोग की अध्यक्ष हरपाल कौर के अनुसार सरकार को इसपर कार्रवाई करनी चाहिए थी।

आयोग की रिपोर्ट में कई अनियमितताएं दर्ज

मिली जानकारी के अनुसार मुजफ्फरपुर बालिका गृह की जांच बीते नवंबर 2017 में बाल संरक्षण आयोग की अध्‍यक्ष हरपाल कौर ने की थी। उन्‍होंने जांच में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाई थीं। बालिका गृह की ऊपरी मंजिल के दरवाजे बंद थे। साथ ही वहां क्षमता से अधिक लड़कियों के रखे जाने का जिक्र भी रिपोर्ट में है।

रिपोर्ट पर नहीं हुई कार्रवाई

बाल संरक्षण आयोग ने यह रिपोर्ट समाज कल्याण विभाग को सौंप दी थी। लेकिन विभाग ने इसे ठंडे बस्‍ते में डाल दिया। आयोग की अध्यक्ष हरपाल कौर कहतीं हैं कि अगर रिपोर्ट पर कार्रवाई की जाती तो यह मामला काफी पहले ही उजागर हो जाता। ऐसे में कई लड़कियों का उत्‍पीड़न बच जाता।

मामले में मंत्री पति पर लगे गंभीर आरोप

विदित हो कि बालिका गृह में यौन उत्‍पीड़न के मामले को लेकर समाज कल्‍याण मंत्री मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा पर बालिका गृह में जाने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में गिरफ्तार जिला बाल संरक्षण अधिकारी रवि रोशन की पत्नी ने यह आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है। हालांकि, मंजू वर्मा ने आरोप को बेबुनियाद बताया है। अब देखना यह है कि बाल संरक्षण आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई में विलंब को लेकर मंत्री क्‍या और किसपर कार्रवाई करतीं हैं।

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