अधीक्षक के घर पर काम नहीं करने की सजा, रॉड से पिटाई

मुंगेर के बाल गृह “पनाह” में बच्चे नारकीय जीवन जी रहे हैं। एक ही परिसर में बाल गृह व इसके अधीक्षक का आवास है। बच्चों को अधीक्षक के घर में काम करना व खाना बनाना पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बच्चे के गाल पर तीन इंच का निशान मिला। खाना बनाने से इनकार करने पर अधीक्षक की रॉड से पिटाई से यह निशान पड़ा।

भागलपुर बाल गृह में बच्चों के साथ हिंसक व्यवहार

भागलपुर में रूपम प्रगति समाज समिति द्वारा संचालित बाल गृह में बच्चों के साथ हिंसक व्यवहार किए जाने का जिक्र रिपोर्ट में है। टीम ने यहां बनी शिकायत पेटी को खुलवाया तो उसमें बड़ी संख्या में ऐसे पत्र मिले जो बच्चों के साथ मारपीट किए जाने की गवाही दे रहे थे।

बच्चों से कागज पर गंदी बातें लिखवाकर की जाती पिटाई

गया में “डोर्ड” द्वारा संचालित बाल गृह के बच्चों को जेल के कैदियों की तरह रखा जाता है। कोशिश की टीम को बच्चों ने बताया कि यहां की महिला कर्मचारी उन्हें गंदे मैसेज लिखने व उसे दूसरी नई कर्मचारियों को देने का दबाव डालती हैं। ऐसा न करने पर उन्हें पीटा जाता है।

हिंसक माहौल से बच्ची आत्महत्या को मजबूर

पटना में “इकार्ड” द्वारा संचालित अल्पावास गृह के कर्मचारी लड़कियों से गंदा बर्ताव करते हैं। यहां के माहौल से तंग आकर एक लड़की ने आत्महत्या कर ली थी। वहीं एक की मानसिक स्थिति बिगड़ गई। बच्चियों को यहां कपड़े, दवा, शौचालय आदि उपलब्ध नहीं हैं।

बच्चियों को नहीं दी जाती सेनेटरी नैपकिन

मोतिहारी में चल रहे अल्पावास गृह “सखी” में महिलाओं व लड़कियों के साथ शारीरिक हिंसा होने की बात सामने आई है। कई लड़कियों को यहां सेनेटरी नैपकीन तक नहीं दी जाती।

सुधार की जगह बिगाड़ गृह कर दें नाम

अररिया में सरकार द्वारा संचालित बाल सुधार गृह में तैनात बिहार पुलिस के जवान द्वारा बच्चों की पिटाई की जाती है। कोशिश टीम को कई बच्चों ने पूरे शरीर पर इस पिटाई के जख्म के निशान दिखाए। एक बच्चे की टिप्पणी यह रही कि “इस जगह का नाम सुधार गृह से बदलकर बिगाड़ गृह कर दिया जाए।”