बिहार सरकार ने भले ही राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी हो, लेकिन प्रशासन अभी तक बिहार में पनप रहे शराब माफियाओं पर काबू नहीं पा सका है .बिहार का मुजफ्फरपुर जिला तो शराब माफियाओं का गढ़ बन गया है, पुरे राज्य में यहीं से आवेश शराब का धंधा संचालित होता है. पुलिस की सख्ती और प्रशासन की सतर्कता के बाद भी यह धंधा तीव्र गति से बढ़ रहा है. यहाँ तक कि माफिया शराब का धंधा चलाने के लिए स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों जैसी जगहों का भी उपयोग कर रहे हैं. वहीं राज्य के बेरोज़गार और भटके हुए युवाओं के लिए यह कमाई का जरिया बन गया है, नवयुवकों के शामिल हो जाने से इस अवैध धंधे को और मजबूती मिल गई है. सख्ती बढ़ने पर पश्चिमी दियारा में देसी शराब बनाने का धंधा चल रहा है, शहर में अहियापुर थाना क्षेत्र तो मोतीपुर, देवरिया के कारोबारी भी शराब की खेप मंगवा रहे हैं. खुफिया रिपोर्ट में शराब के अवैध कारोबार, जब्ती सूची में हेराफेरी और संरक्षण को लेकर भी कई पुलिस अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है, थानेदारों की कौन कहें, पूर्ववर्ती पुलिस अधिकारी विवेक कुमार की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो चुके हैं. आपको बता दें कि शराबबंदी के बाद अब तक पुलिस व उत्पाद विभाग ने जिले भर में 13556 जगहों पर छापामारी की है, करीब 2708 मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई है और 3431 लोगों को जेल भेजा गया है. करीब 212,795.742 लीटर अवैध देसी व विदेशी शराब जब्त की जा चुकी है.

बिहार में फैलता अवैध शराब का कारोबार, जिम्मेदार कौन ?

बिहार सरकार ने भले ही राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी हो, लेकिन प्रशासन अभी तक बिहार में पनप रहे शराब माफियाओं पर काबू नहीं पा सका है .बिहार का मुजफ्फरपुर जिला तो शराब माफियाओं का गढ़ बन गया है, पुरे राज्य में यहीं से आवेश शराब का धंधा संचालित होता है. पुलिस की सख्ती और प्रशासन की सतर्कता के बाद भी यह धंधा तीव्र गति से बढ़ रहा है. यहाँ तक कि माफिया शराब का धंधा चलाने के लिए स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों जैसी जगहों का भी उपयोग कर रहे हैं.बिहार सरकार ने भले ही राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी हो, लेकिन प्रशासन अभी तक बिहार में पनप रहे शराब माफियाओं पर काबू नहीं पा सका है .बिहार का मुजफ्फरपुर जिला तो शराब माफियाओं का गढ़ बन गया है, पुरे राज्य में यहीं से आवेश शराब का धंधा संचालित होता है. पुलिस की सख्ती और प्रशासन की सतर्कता के बाद भी यह धंधा तीव्र गति से बढ़ रहा है. यहाँ तक कि माफिया शराब का धंधा चलाने के लिए स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों जैसी जगहों का भी उपयोग कर रहे हैं.    वहीं राज्य के बेरोज़गार और भटके हुए युवाओं के लिए यह कमाई का जरिया बन गया है, नवयुवकों के शामिल हो जाने से इस अवैध धंधे को और मजबूती मिल गई है. सख्ती बढ़ने पर पश्चिमी दियारा में देसी शराब बनाने का धंधा चल रहा है, शहर में अहियापुर थाना क्षेत्र तो मोतीपुर, देवरिया के कारोबारी भी शराब की खेप मंगवा रहे हैं. खुफिया रिपोर्ट में शराब के अवैध कारोबार, जब्ती सूची में हेराफेरी और संरक्षण को लेकर भी कई पुलिस अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है, थानेदारों की कौन कहें, पूर्ववर्ती पुलिस अधिकारी विवेक कुमार की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो चुके हैं.    आपको बता दें कि शराबबंदी के बाद अब तक पुलिस व उत्पाद विभाग ने जिले भर में 13556 जगहों पर छापामारी की है, करीब 2708 मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई है और 3431 लोगों को जेल भेजा गया है. करीब 212,795.742 लीटर अवैध देसी व विदेशी शराब जब्त की जा चुकी है.

वहीं राज्य के बेरोज़गार और भटके हुए युवाओं के लिए यह कमाई का जरिया बन गया है, नवयुवकों के शामिल हो जाने से इस अवैध धंधे को और मजबूती मिल गई है. सख्ती बढ़ने पर पश्चिमी दियारा में देसी शराब बनाने का धंधा चल रहा है, शहर में अहियापुर थाना क्षेत्र तो मोतीपुर, देवरिया के कारोबारी भी शराब की खेप मंगवा रहे हैं. खुफिया रिपोर्ट में शराब के अवैध कारोबार, जब्ती सूची में हेराफेरी और संरक्षण को लेकर भी कई पुलिस अफसरों की भूमिका संदेह के घेरे में है, थानेदारों की कौन कहें, पूर्ववर्ती पुलिस अधिकारी विवेक कुमार की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो चुके हैं.

आपको बता दें कि शराबबंदी के बाद अब तक पुलिस व उत्पाद विभाग ने जिले भर में 13556 जगहों पर छापामारी की है, करीब 2708 मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई है और 3431 लोगों को जेल भेजा गया है. करीब 212,795.742 लीटर अवैध देसी व विदेशी शराब जब्त की जा चुकी है.

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