बड़ी खबर: न्यू इयर पर केजरीवाल सरकार ला रही ये सख्त नियम...

बड़ी खबर: न्यू इयर पर केजरीवाल सरकार ला रही ये सख्त नियम…

राजधानी के निजी अस्पतालों की मनमानी और लूट से मरीजों को अब राहत मिलने वाली है। दिल्ली सरकार नए साल में प्राइवेट अस्पतालों में सख्त नियम लागू करने जा रही है। बड़ी खबर: न्यू इयर पर केजरीवाल सरकार ला रही ये सख्त नियम...

जिसके तहत हर अस्पताल में इलाज के अलग अलग दाम लेना (फीस वसूलना) गैर कानूनी होगा। इतना ही नहीं, ओपीडी में मरीज की फीस भी सरकार तय करने वाली है। ताकि निजी सेवाओं की आड़ में कोई भी प्राइवेट अस्पताल मनमानी कीमतों न वसूले।

सूत्रों के मुताबिक, अगले चार दिन के भीतर दिल्ली सरकार ने बनाई 9 सदस्यीय कमेटी एक रिपोर्ट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को सौंपने वाली है।

इस रिपोर्ट में अस्पताल और मरीज दोनों ही पक्षों के कुछ सुझाव शामिल किए गए हैं। बीते दिनों हुई कमेटी की बैठक में नए नियमों पर सहमति भी बन गई है।

बताया जा रहा है कि अगले दो दिन के भीतर अंतिम बैठक होने के बाद रिपोर्ट सरकार तक पहुंच जाएगी। जिसके बाद दिल्ली सरकार जनवरी के मध्य तक गाइडलाइन जारी कर देगी।

कमेटी में शामिल 9 सदस्य

बता दें कि 13 दिसंबर को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा था कि सरकार को निजी अस्पतालों के अतिरिक्त बिल, महंगी दवाओं और इलाज के अलावा लापरवाही की शिकायतें मिल रही हैं।

जैन ने ये भी कहा कि मरीजों पर अस्पताल से दवाएं खरीदने का दबाव बनाया जाता है, जिसमें लाभ मार्जिन कई गुणा होता है। इसलिए 9 सदस्यीय एक कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी को 31 दिसंबर तक रिपोर्ट सौंपने का वक्त दिया गया था। 

डॉ. कीर्ति भूषण, डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ (डीजीएचएस), डॉ. केके अग्रवाल, आईएमए अध्यक्ष, डॉ. आरके गुप्ता, डीएमए (पूर्व अध्यक्ष), डॉ. अरुण गुप्ता, डीएमसी अध्यक्ष, डॉ. पुनीता महाजन, क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवा निदेशक (उत्तरी दिल्ली), डॉ. अशोक कुमार, एडिशनल डायरेक्टर (डीजीएचईएस), डॉ. मोनालीसा बोराह, डॉ. चंदर प्रकाश, दिल्ली वोलुंटरी हॉस्पिटल फोरम के अध्यक्ष और डॉ. आरएन दास, ईडब्ल्यूएस कमेटी में शामिल हैं। 

इन पर दिया है खास जोर 

सूत्रों का कहना है कि 466 सस्ती दवाओं को सभी मरीजों के लिए जरूरी किया गया है। लेकिन कोई भी डॉक्टर इन्हें मरीज की पर्ची पर नहीं लिखता है। इसके अलावा मरीज के भर्ती होने के समय में अस्पताल कम फीस बताता है, लेकिन बाद में कई तरह की बातें करके बिल लाखों में पहुंचा देते हैं।

जैसे अगर कोई मरीज किसी बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती होने पहुंचता है तो इलाज में एक लाख रुपये का खर्चा बताया जाता है। लेकिन जब वह छुट्टी ले रहा होता है तो उसके पास 3 से 4 लाख रुपये का बिल होता है। अब से ये गैरकानूनी होगा। 

दिल्ली में नया कानून भी अगले साल 
कमेटी में से एक सदस्य ने पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि कमेटी ने कई मुद्दों को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है। साथ ही प्राइवेट अस्पतालों और चिकित्सीय लापरवाहियों को लेकर भी जल्द ही दिल्ली स्वास्थ्य अधिनियम में नए कानून को शामिल कर लागू करने की तैयारी कर ली है।

उम्मीद है कि नए साल में सरकार मरीजों के हित में दो बड़े फैसले लेने जा रही है। 

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