डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने के बावजूद भी लोगों को पेट्रोल-डीजल खरीदना भारी साबित हो रहा है। जहां रुपया मजबूत हो रहा है, वहीं कच्चे तेल के दाम भी 62 डॉलर के पार चले गए हैं। इसका दाम भी 65 डॉलर के पार जाने की संभावना इस वित्त वर्ष के अंत तक है। #सावधान: 2000 और 500 रुपए के नोटों के साथ ऐसा किया, तो आपके सारे पैसे हो जाएंगे रद्दी
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में रविवार को पेट्रोल 80 रुपये में मात्र दो रुपये कम यानी कि 76.88 रुपये के करीब हो गया है। देश के अन्य तीन बड़े शहरों की बात करें तो फिर पेट्रोल सबसे सस्ता दिल्ली में है। यहां आज इसका प्राइस 69.78 रुपये है। वहीं कोलकाता और चेन्नई में इसका प्राइस 72.53 व 72.33 रुपये है।
NCR में ये है प्राइस
दिल्ली एनसीआर की बात करें तो इंडियन ऑयल की वेबसाइट पर फरीदाबाद में 69.97 रुपये, गुड़गांव में 69.73, नोएडा में 72.06 रुपये और गाजियाबाद में यह 71.95 रुपये तय किया गिया है।
एनसीआर की बात करें तो फिर सबसे सस्ता गुड़गांव और महंगा नोएडा में है। इंडियन ऑयल के मुताबिक फरीदाबाद में डीजल 58.80 रुपये, गुड़गांव 58.58 रुपये, नोएडा में 59.46 और गाजियाबाद में इसका प्राइस 59.35 है।
जीएसटी काउंसिल ने किया निराश
इस हफ्ते गुवाहाटी में संपन्न हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में भी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमति नहीं बन पाई। यह तब है कि जब कांग्रेसी राज्यों के अलावा केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, कई भाजपा नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी भी इनको जीएसटी के दायरे में लाने के लिए कह चुके हैं।
इस बार उम्मीद थी कि लोगों को पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले भारी भरकम वैट और एक्साइज ड्यूटी से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब आम जनता को कम से कम एक महीने और इंतजार करना होगा, जिसके बाद हो सकता है कि पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में आ जाएं।
वैश्विक संकेतों से लगता है कि कच्चे तेल की कीमतें आगे और बढ़ेंगी, जिससे देश में भी इसका असर देखने को मिलेगा। एक्सपर्ट के मुताबिक पेट्रोल-डीजल एक बार फिर से अपने उच्चतम स्तर पर जा सकता है।
लोगों पर इसका बोझ ज्यादा न पड़े, इसके लिए इन्हें जल्द से जल्द जीएसटी के दायरे में लेकर के आना पड़ेगा। अगर पेट्रोल-डीजल की कीमतें और बढ़ी, तो महंगाई का असर देखने को मिलेगा और यह केंद्र के साथ-साथ सभी राज्यों की सरकारों के लिए मुश्किल में डाल सकता है।
ओपेक देशों ने घटाया उत्पादन
ओपेक देशों ने कच्चे तेल का उत्पादन 1.8 मीलियन बैरल घटा दिया हालांकि डिमांड ज्यादा होने के कारण इसकी कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं।