ईरान भारतीय रिफाइनरी कंपनियों को बड़ी सुविधा दे रहा है। उसने भारत को भेजे जानेवाले तेल की खेप का खुद बीमा कराना शुरू कर दिया है। इससे पहले भारत की कुछ बीमा कंपनियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए ईरान से तेल शिपमेंट का बीमा रोक दिया था। तेल उद्योग के सूत्रों ने बताया कि ईरान सरकार की नई रणनीति उसके दूसरे सबसे बड़े तेल खरीदार को आपूर्ति जारी रखने में मददगार साबित होगी। एशिया ईरान के तेल का प्रमुख बाजार है। यहां की ज्यादातर रिफाइनरीज ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) से कच्चे तेल का आयात घटा रही हैं क्योंकि वे पाबंदियों की सूरत में अमेरिकी फाइनेंशिल सिस्टम से जुड़े रहना चाहते हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि तेहरान (ईरान की राजधानी) ने हाल ही में भारत भेजे गए नेशनल ईरानियन टैंकर कंपनी (एनआईटीसी) द्वारा संचालित टैंकरों की खेप को बीमा सुविधा मुहैया कराई क्योंकि प्रतिबंधों के डर का असर जहाजों और परिवहन बीमा, दोनों पर देखा जा रहा है। भारतीय कंपनियां उठा रहीं माल सूत्रों के मुताबिक भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और दूसरी सबसे बड़ी सरकारी रिफाइनरी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने नेशनल ईरानियन टैंकर कंपनी के जरिए ईरान का तेल उठाना शुरू कर दिया है। इस कंपनी के पूरे माल का ईरान सरकार ने इंश्योरेंस करवाया है। इंडियन ऑयल की योजना 2018-19 में ईरान से रोजाना 1.80 लाख बैरल तेल खरीदने की है। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस ने ढुलाई का बीमा मुहैया कराने से इनकार कर दिया तो इंडियन ऑयल ने पिछले हफ्ते तेल ढोनेवाले विशाल कार्गो डेवन से तेल की खेप उठाई। सूत्र ने बताया कि आईओसी ईरान से अगस्त में भी उसी शर्त पर तेल की खेप भेजने की मांग कर रही है और यह शर्त है- भारतीय बंदरगाहों तक तेल आने तक की जिम्मेदारी ईरान की। बीमे में दिक्कत इसलिए यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के एक सूत्र ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि कंपनी ईरान से आनेवाली खेप को इंश्योरेंस कवर देने से इनकार कर चुकी है। असल में भारत की सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां जनरल इंश्योरेंस कंपनी (जीआईसी) के रीइंश्योरेंस पर निर्भर करती हैं और जीआईसी की निर्भरता यूरोप और अमेरिका की कंपनियों पर है। यूरोप एवं अमेरिका की इंश्योरेंस कंपनियां दुनियाभर के बीमा बाजार पर दबदबा रखती हैं, जिन्हें पाबंदियों का डर सता रहा है। जीआईसी के एक सूत्र ने कहा, 'मौजूदा हालात बहुत मुश्किल हैं। अमेरिका और यूरोप की कंपनियां ईरान से जुड़े किसी भी व्यापारिक गतिविधि का बीमा नहीं कर रही हैं' यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस ने टेलिफोन कॉल्स का जवाब नहीं दिया। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और जीआईसी ने भी ई-मेल के जरिए भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। वैकल्पिक व्यवस्था एक अन्य सूत्र ने बताया कि तेहरान की कंपनी बिमेह ईरान के तेल की खेप का बीमा कर रही है जबकि एनआईटीसी को 'इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ पीऐंडजी' क्लब से 'थर्ड पार्टी लाइबिलिटी इंश्योरेंस' और पलूशन कवर मिल रहा है। इंश्योरेंस कवर न मिलने के डर से हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने जुलाई के शुरुआती दिनों में ही ढुलाई रद्द कर दी।

भारत भेजे जानेवाले कच्चे तेल का खुद बीमा करा रहा ईरान

ईरान भारतीय रिफाइनरी कंपनियों को बड़ी सुविधा दे रहा है। उसने भारत को भेजे जानेवाले तेल की खेप का खुद बीमा कराना शुरू कर दिया है। इससे पहले भारत की कुछ बीमा कंपनियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए ईरान से तेल शिपमेंट का बीमा रोक दिया था।ईरान भारतीय रिफाइनरी कंपनियों को बड़ी सुविधा दे रहा है। उसने भारत को भेजे जानेवाले तेल की खेप का खुद बीमा कराना शुरू कर दिया है। इससे पहले भारत की कुछ बीमा कंपनियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों को देखते हुए ईरान से तेल शिपमेंट का बीमा रोक दिया था।  तेल उद्योग के सूत्रों ने बताया कि ईरान सरकार की नई रणनीति उसके दूसरे सबसे बड़े तेल खरीदार को आपूर्ति जारी रखने में मददगार साबित होगी। एशिया ईरान के तेल का प्रमुख बाजार है। यहां की ज्यादातर रिफाइनरीज ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) से कच्चे तेल का आयात घटा रही हैं क्योंकि वे पाबंदियों की सूरत में अमेरिकी फाइनेंशिल सिस्टम से जुड़े रहना चाहते हैं।  सूत्रों ने यह भी बताया कि तेहरान (ईरान की राजधानी) ने हाल ही में भारत भेजे गए नेशनल ईरानियन टैंकर कंपनी (एनआईटीसी) द्वारा संचालित टैंकरों की खेप को बीमा सुविधा मुहैया कराई क्योंकि प्रतिबंधों के डर का असर जहाजों और परिवहन बीमा, दोनों पर देखा जा रहा है।  भारतीय कंपनियां उठा रहीं माल  सूत्रों के मुताबिक भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और दूसरी सबसे बड़ी सरकारी रिफाइनरी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने नेशनल ईरानियन टैंकर कंपनी के जरिए ईरान का तेल उठाना शुरू कर दिया है। इस कंपनी के पूरे माल का ईरान सरकार ने इंश्योरेंस करवाया है।  इंडियन ऑयल की योजना 2018-19 में ईरान से रोजाना 1.80 लाख बैरल तेल खरीदने की है। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस ने ढुलाई का बीमा मुहैया कराने से इनकार कर दिया तो इंडियन ऑयल ने पिछले हफ्ते तेल ढोनेवाले विशाल कार्गो डेवन से तेल की खेप उठाई।  सूत्र ने बताया कि आईओसी ईरान से अगस्त में भी उसी शर्त पर तेल की खेप भेजने की मांग कर रही है और यह शर्त है- भारतीय बंदरगाहों तक तेल आने तक की जिम्मेदारी ईरान की।  बीमे में दिक्कत इसलिए  यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के एक सूत्र ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि कंपनी ईरान से आनेवाली खेप को इंश्योरेंस कवर देने से इनकार कर चुकी है। असल में भारत की सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां जनरल इंश्योरेंस कंपनी (जीआईसी) के रीइंश्योरेंस पर निर्भर करती हैं और जीआईसी की निर्भरता यूरोप और अमेरिका की कंपनियों पर है। यूरोप एवं अमेरिका की इंश्योरेंस कंपनियां दुनियाभर के बीमा बाजार पर दबदबा रखती हैं, जिन्हें पाबंदियों का डर सता रहा है।  जीआईसी के एक सूत्र ने कहा, 'मौजूदा हालात बहुत मुश्किल हैं। अमेरिका और यूरोप की कंपनियां ईरान से जुड़े किसी भी व्यापारिक गतिविधि का बीमा नहीं कर रही हैं' यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस ने टेलिफोन कॉल्स का जवाब नहीं दिया। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और जीआईसी ने भी ई-मेल के जरिए भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।  वैकल्पिक व्यवस्था  एक अन्य सूत्र ने बताया कि तेहरान की कंपनी बिमेह ईरान के तेल की खेप का बीमा कर रही है जबकि एनआईटीसी को 'इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ पीऐंडजी' क्लब से 'थर्ड पार्टी लाइबिलिटी इंश्योरेंस' और पलूशन कवर मिल रहा है। इंश्योरेंस कवर न मिलने के डर से हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने जुलाई के शुरुआती दिनों में ही ढुलाई रद्द कर दी।

तेल उद्योग के सूत्रों ने बताया कि ईरान सरकार की नई रणनीति उसके दूसरे सबसे बड़े तेल खरीदार को आपूर्ति जारी रखने में मददगार साबित होगी। एशिया ईरान के तेल का प्रमुख बाजार है। यहां की ज्यादातर रिफाइनरीज ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) से कच्चे तेल का आयात घटा रही हैं क्योंकि वे पाबंदियों की सूरत में अमेरिकी फाइनेंशिल सिस्टम से जुड़े रहना चाहते हैं।

सूत्रों ने यह भी बताया कि तेहरान (ईरान की राजधानी) ने हाल ही में भारत भेजे गए नेशनल ईरानियन टैंकर कंपनी (एनआईटीसी) द्वारा संचालित टैंकरों की खेप को बीमा सुविधा मुहैया कराई क्योंकि प्रतिबंधों के डर का असर जहाजों और परिवहन बीमा, दोनों पर देखा जा रहा है।

भारतीय कंपनियां उठा रहीं माल

सूत्रों के मुताबिक भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और दूसरी सबसे बड़ी सरकारी रिफाइनरी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने नेशनल ईरानियन टैंकर कंपनी के जरिए ईरान का तेल उठाना शुरू कर दिया है। इस कंपनी के पूरे माल का ईरान सरकार ने इंश्योरेंस करवाया है।

इंडियन ऑयल की योजना 2018-19 में ईरान से रोजाना 1.80 लाख बैरल तेल खरीदने की है। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस ने ढुलाई का बीमा मुहैया कराने से इनकार कर दिया तो इंडियन ऑयल ने पिछले हफ्ते तेल ढोनेवाले विशाल कार्गो डेवन से तेल की खेप उठाई।

सूत्र ने बताया कि आईओसी ईरान से अगस्त में भी उसी शर्त पर तेल की खेप भेजने की मांग कर रही है और यह शर्त है- भारतीय बंदरगाहों तक तेल आने तक की जिम्मेदारी ईरान की।

बीमे में दिक्कत इसलिए

यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस के एक सूत्र ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि कंपनी ईरान से आनेवाली खेप को इंश्योरेंस कवर देने से इनकार कर चुकी है। असल में भारत की सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां जनरल इंश्योरेंस कंपनी (जीआईसी) के रीइंश्योरेंस पर निर्भर करती हैं और जीआईसी की निर्भरता यूरोप और अमेरिका की कंपनियों पर है। यूरोप एवं अमेरिका की इंश्योरेंस कंपनियां दुनियाभर के बीमा बाजार पर दबदबा रखती हैं, जिन्हें पाबंदियों का डर सता रहा है।

जीआईसी के एक सूत्र ने कहा, ‘मौजूदा हालात बहुत मुश्किल हैं। अमेरिका और यूरोप की कंपनियां ईरान से जुड़े किसी भी व्यापारिक गतिविधि का बीमा नहीं कर रही हैं’ यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस ने टेलिफोन कॉल्स का जवाब नहीं दिया। इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और जीआईसी ने भी ई-मेल के जरिए भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।

वैकल्पिक व्यवस्था

एक अन्य सूत्र ने बताया कि तेहरान की कंपनी बिमेह ईरान के तेल की खेप का बीमा कर रही है जबकि एनआईटीसी को ‘इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ पीऐंडजी’ क्लब से ‘थर्ड पार्टी लाइबिलिटी इंश्योरेंस’ और पलूशन कवर मिल रहा है। इंश्योरेंस कवर न मिलने के डर से हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने जुलाई के शुरुआती दिनों में ही ढुलाई रद्द कर दी।

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