आपको एक ऐसे आश्रम के बारे में बात रहा है जो कई रहस्यों को समेटे हुए है। लेकिन अगर आप इस आश्रम में आने वाली हस्तियों के नाम जान लेंगे तो यहां आने की आपकी चाह और बढ़ जाएगी।फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीम करौली बाबा का जिक्र करते ही यह बाबा और जगह-जगह स्थित उनके आश्रम सुर्खियों में आ गए।
उत्तराखंड में नैनीताल के कैंची धाम मंदिर के अलावा विन्ध्याचल में अष्टभुजा पहाड़ी पर भी मार्क जुकरबर्ग के आध्यात्मिक गुरु का आश्रम है। यह अपने आप में रहस्यों को समेटे हुए है।
इस भवन की वर्ष 1924 में स्थापना हुई थी। स्थानीय लोगों द्वारा बताया जाता है कि इसके मालिक भवन को किसी संस्था को देने के लिए बहुत दिनों तक प्रयासरत रहे, लेकिन कोई लेने को तैयार नहीं हो रहा था। मिर्जापुर के प्रमुख व्यवसायी बसंत लाल अग्रहरि ने वर्ष 1924 में लाखों रुपये खर्च कर सिद्ध क्षेत्र अष्टभुजा पहाड़ी पर भवन का निर्माण कराया था। किवदंती है कि उनके भाई हीरालाल अग्रवाल ने वहां वैभव का प्रदर्शन शुरू कर दिया।
इसके चलते यहां एक यज्ञ के दौरान अंतिम आहुति डालते ही उनके भाई कन्हैया लाल को लकवा मार गया और उनका निधन हो गया। उसके बाद से इस भवन की व्यवस्था परिवार के जिस व्यक्ति ने देखी, उसका व्यक्तिगत नुकसान ही हुआ। इससे परिवार के लोगों में दहशत फैल गई और भवन को किसी धार्मिक संस्था को देने पर विचार किया गया।
2004 में मिर्जापुर के व्यापारी श्यामा प्रसाद ने नीम करौली बाबा का जिक्र किया और उनके बेटे माने जाने वाले रिटायर्ड डीएफओ बेटे जी महाराज से बातचीत कर एक ट्रस्ट बना कर भवन उसे सौंप दिया गया। इसके बाद यहां हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करा कर यज्ञ और अखंड रामायण का आयोजन किया गया। तब यहां पानी का अभाव था।
स्थानीय लोग दावा करते हैं कि बेटे जी महाराज ने हनुमान जी का नाम लेकर एक पत्थर फेंका। पत्थर जहां गिरा वहां खुदाई की गई तो ऊंची पहाड़ी पर मात्र 230 फीट पर पानी निकल आया। यह भी माना जाता है कि नीम करौली बाबा पहले यहां आते रहे हैं। बाबा समाधिस्थ हो चुके हैं लेकिन मान्यता है कि हनुमान जी के इस मंदिर से कोई भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। देश-विदेश समेत हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं।
बाबा नीम करौली महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम तथा अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है। बाबा के भक्त भगवान सिंह माजिला बताते हैं कि सिद्धि मां ने ही 1980 में ऋषिकेश में आश्रम बनवाया था।