भीषण बमबारी के बाद भी नहीं आएगी हमारे जवानों को ‘खरोंच’, दुश्मनों पर ऐसे भारी पड़ेगी हिंदुस्तान की फौज

दुश्मन के इलाके में घुसने के बाद कब्जे को बरकरार रखने के लिए थल सेना अब प्री कास्ट इंजीनियरिंग की मदद लेगी। इस तकनीक के उपयोग से ऐसे बंकर बनाए जा सकेंगे, जिनमें सैनिक न सिर्फ दुश्मन की भारी बमबारी से सुरक्षित रहेंगे बल्कि वे आराम भी कर सकेंगे। सेना इस तकनीक का करगिल युद्ध में इस्तेमाल कर चुकी है।थल सेना की इंजीनियरिंग कोर के मेजर जनरल संजीव जैन के अनुसार दुनियाभर में सेनाओं के इंजीनियर पिछले सौ साल से प्री फेब्रिकेटेड सामग्री का इस्तेमाल कर रहे हैं। युद्ध क्षेत्र में सेनाओं को आगे बढने के लिए इसी सामग्री के उपयोग से रास्ते, अस्थाई पुल और बंकर बनाए जाते रहे हैं। भारतीय सेना भी इसी सामग्री का उपयोग कर रही थी।

अब सेना की इंजीनियरिंग कोर युद्घ के मैदान में प्री कास्ट इंजीनियरिंग का इस्तेमाल बढ़ा रही है। करगिल युद्ध  में इस तकनीक का बडे पैमाने पर उपयोग उन क्षेत्रों में किया गया जिन्हें दुश्मन को परास्त कर कब्जे में लिया गया था। इसी तकनीक से करगिल में बेहतरीन बंकर बनाए गए थे। इंजीनियरिंग कोर प्री कास्ट इंजीनियरिंग की मदद से अग्रिम इलाकों में स्थित चौकियों पर बंकरों का निर्माण भी इसी तकनीक से करने की योजना पर काम कर रही है। कई इलाकों में ऐसे बंकर बनाए गए हैं। पर्वतीय इलाकों में भी प्री कास्ट बंकर बनाए जा रहे हैं।

युद्घ के मैदान में आवास बनाने की योजना

प्री फेब्रिकेटेड सामग्री (पहले से तैयार अर्थात रेडिमेड) के मुकाबले प्री कास्ट इंजीनियरिंग तकनीक से युद्ध के मैदान में विशेषकर दुश्मन के इलाके पर कब्जा जमाने वाली टुकडिय़ों के लिए बंकर कम आवासों का निर्माण तेजी से किया जा सकता है। इसके लिए इंजीनियरिंग कोर अग्रिम इलाकों के पास स्थापित प्री कास्ट प्लांट्स की मदद लेगी। इसके लिए बस दुश्मन के इलाके में घुसी अपनी सेना की जरूरतों का एक नजर जायजा भर लेना होगा और इसी के साथ संयंत्रों में प्री कास्टिंग शुरू हो जाएगी।

अस्थाई पुलों की बढ़ जाती है क्षमता

सेना की इंजीनियरिंग कोर नदी, नालों, पहाड़ों को लांघने के लिए बनाए जाने वाले अस्थाई पुलों के लिए भी प्री कास्ट सामग्री का उपयोग बढ़ाने की कोशिश में है। युद्ध के मैदान में दुश्मन के इलाके में घुसने के बाद सेना को अपने भारी हथियार, वाहन, लांचर पैड जैसे वाहकों को तेजी से इधर से उधर लाना ले जाना पड़ता है, लेकिन सामान्य से अधिक भारी बख्तरबंद वाहनों, राकेट लांचरों के साथ ही मिसाइल लांचरों को प्री फेब्रिकेटेड पुलों से लाना ले जाना संभव नहीं होता, लेकिन प्री कास्ट इस समस्या से मुक्तिदिलाने में सक्षम है। इससे सेना को अपने अभियानों को अंजाम देने में आसानी होगी।

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