महाश‌िवरात्र‌ि में इस तरह करें चार प्रहर का पूजन, पर इन बातों का ध्यान जरूर रखें…

सभी प्रकार के पापों का नाश करने और समस्त सुखों की कामना के लिए महाशिवरात्रि व्रत करना श्रेष्ठ है। स्कन्द पुराण के अनुसार मनुष्य जिस कामना से इस व्रत को करता है वह अवश्य पूरी हो जाती है। पुरुष व्रत करें तो उन्हें धन-दौलत, यश एवं र्कीत प्राप्त होती है, महिलाएं सुख-सौभाग्य एवं संतान प्राप्त करती हैं, कुंवारी कन्याएं सुन्दर एवं सुयोग्य पति पाने की कामना से यह व्रत करती हैं।कैसे करें पूजन एवं व्रत :

श्री महाशिवरात्रि व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। स्नान, वस्त्र, धूप, पुष्प और फलों के अर्पण करें । इसलिए इस दिन उपवास करना अति उत्तम कर्म है। व्रत से पूर्व भगवान शिव के व्रत करने का संकल्प करके रात्रि में शयन करना चाहिए तथा प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठ कर अपनी नित्य क्रियाओं से निवृत्त होकर नियमित रूप से भगवान का पूजन करते हुए उपवास रखना चाहिए। सारा दिन निराहार रहें। शाम से ही भगवान शिव की पूजा के लिए पूर्ण सामग्री तैयार करें। रात को भगवान शिव की चार प्रहर की पूजा बड़े भाव से करने का विधान है। प्रत्येक प्रहर की पूजा के पश्चात अगले प्रहर की पूजा में मंत्रों का जाप दोगुना, तीन गुना और चार गुना करें।
भगवान शिव को दूध, दही, शहद, सफेद पुष्प, सफेद कमल पुष्पों के साथ ही भांग, धतूरा और बिल्व पत्र अति प्रिय हैं। इन मंत्रों का जाप करें-‘ ओम नम: शिवाय ‘, ‘ओम सद्योजाताय नम:’, ‘ओम वामदेवाय नम:’, ‘ओम अघोराय नम:’, ‘ओम ईशानाय नम:’, ‘ओम तत्पुरुषाय नम:’। अर्घ्य देने के लिए करें ‘गौरीवल्लभ देवेश, सर्पाय शशिशेखर, वर्षपापविशुद्धयर्थमध्र्यो मे गृह्यताम तत:’ मंत्र का जाप।
रात को शिव चालीसा का पाठ करें। इसके अतिरिक्त पूजा की प्रत्येक वस्तु को भगवान को अर्पित करते समय उससे सम्बन्धित मंत्र का भी उच्चारण करें। प्रत्येक प्रहर की पूजा का सामान अलग से होना चाहिए।
पूजा में क्या चढ़ाएं क्या न चढ़ाएं :
शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुषत्व का सूचक है इसलिए उन पर हल्दी का अर्पण वर्जित है। बिल्व पत्र के तीनों पत्ते पूरे होने चाहिएं, खंडित पत्र कभी न चढ़ाएं। चावल सफेद रंग के साबुत होने चाहिएं, टूटे हुए चावलों का पूजा में निषेध है। फूल बासी एवं मुरझाए हुए न हों। शिवलिंग पर लाल रंग, केतकी एवं केवड़े के पुष्प अर्पित नहीं किए जाते।भगवान शिव पर कुमकुम और रोली का अर्पण भी निषेध है। भगवान शंकर ने शंखचूर नामक दैत्य का वध किया था, जिसके कारण उनकी पूजा में शंख की मनाही है। भोलेनाथ पर नारियल अर्पित करना वर्जित है।
शिवलिंग पर और शिवपूजन में तुलसी पत्ते का प्रयोग भी निषेध है।
भगवान शिव को प्रिय हैं ये चीजें
जल: ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। जब हम ‘शिव’ कहते हैं, तो हम ऊर्जा को एक खास तरीके से, एक खास दिशा में निर्देशित करने की बात करते हैं। ‘शिवम’ में यह ऊर्जा अनंत स्वरुप का रुप धारण करती है। मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का महामंत्र भगवान शंकर की उस उर्जा को नमन है जहां शक्ति अपने सर्वोच्च रूप में आध्यात्मिक किरणों से भक्तों के मन-मस्तिष्क को संचालित करती है। सभी उत्सवों में श्रेष्ठ ‘शिवरात्रि’ का त्यौहार 24 फरवरी को है। ऐसी मान्यता है कि महाश‌िवरात्र‌ि पर पूजन के लिए जाने से पहले रखें इन बातों का ध्यान;
केसर: केसर चढ़ाने से शिष्टता और भद्रता प्राप्त होती है।
चीनी (शक्कर): आर्थिक अभाव से मुक्ति मिलती है।
इत्र: कदम नहीं डगमगाते, भोले बाबा सदा भक्त के अंग-संग रहते हैं।
दूध: शरीर स्वस्थ रहता है।
दही: समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
घी: शक्ति में बढ़ौतरी होती है।
चंदन: समाज में प्रतिष्ठा और वैभव मिलता है।
शहद: बोली मिठी होती है।
भांग: कमियां और बुराइयां समाप्त होती हैं।

 

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