मुजफ्फरपुर बालिका गृह को चलाने वाली एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति को एक और सरकारी प्रोजेक्ट आवंटित किए जाने का मामला सामने आया है. स्टेट वेलफेयर डिपार्टमेंट ने मुंबई की संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस द्वारा बालिका गृह में यौन शोषण की रिपोर्ट सौंपने के एक महीने बाद यह प्रोजेक्ट आवंटित किया. मालूम हो कि इस बालिका गृह में 29 बच्चियों के यौन शोषण के मामले सामने आए हैं, जिसके बाद बिहार सरकार ने मामले में कई कड़े कदम उठाए हैं. इसको चलाने वाली एनजीओ को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है और मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. अब इस एनजीओ को सरकारी प्रोजेक्ट आवंटित करने का मामला सामने आया है. हैरान करने वाली बात यह है कि एनजीओ को यह प्रोजेक्ट उसी दिन आवंटित किया गया, जिस दिन मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की. एफआईआर में एनजीओ को चलाने वाले ब्रजेश ठाकुर समेत 11 लोगों का नाम है. इसमें कई लोगों की गिरफ्तारी भी की जा चुकी है. द संडे एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 31 मई को बिहार के समाज कल्याण विभाग के तहत आने वाले स्टेट सोसाइटी फॉर अल्ट्रा पुअर एंड सोशल वेलफेयर ने बेगर्स होम प्रोजेक्ट को सेवा संकल्प एवं विकास समिति को आवंटित किया. इसी दिन मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी. बिहार सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी अब बिहार सरकार ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 29 बच्चियों के यौन शोषण मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. सरकार ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि मामले की पूरी तरीके से निष्पक्ष जांच की जा रही है और इस पर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने के लिए मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है. हालांकि विपक्ष इससे भी संतुष्ट नहीं है. आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा है कि हाईकोर्ट की निगरानी में हमने सीबीआई जांच की मांग की थी. सीएम नीतीश कुमार ने घटना को बताया घृणित मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीबीआई से जांच कराने की अनुशंसा की है. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बहुत ही घृणित घटना घटी है और पुलिस द्वारा इसकी पूरी निष्पक्षता से जांच की जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार निष्पक्ष जांच के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसे लेकर एक भ्रम का वातावरण बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भ्रम का वातावरण नहीं रहे, इसलिए मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और प्रधान सचिव गृह को तत्काल इस पूरे मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है. विपक्ष ने सरकार पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 29 बच्चियों के यौन शोषण के मामले को लेकर बुधवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सहित कई विपक्षी पार्टी के नेताओं ने बालिका गृह का दौरा किया और स्थानीय लोगों से मुलाकात कर मामले की जानकारी ली. दौरा करने के बाद तेजस्वी ने पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग दोहराते हुए आरोप लगाया कि सरकार आरोपियों को बचाने में लगी है. अधिकारियों पर दबाव बना रही सरकार तेजस्वी ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री से सवालिया लहजे में कहा कि नीतीश सरकार बताए कि आखिर भाजपा और जद (यू) के नेता जांच प्रभावित करने के लिए अधिकारियों पर दबाव क्यों बना रहे हैं? आखिर अधिकारियों को निष्पक्षता से काम करने से क्यों रोका जा रहा है. उन्होंने पूछा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को पुलिस ने रिमांड पर लेने की कोशिश अब तक क्यों नहीं की, जबकि कहा जा रहा है कि वह पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. तेजस्वी ने कहा कि ठाकुर का एक साल का फोन कॉल डिटेल सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिससे हकीकत सामने आ सकें. उन्होंने यह भी पूछा कि महीनों से मासूम बच्चियों से दुष्कर्म हो रहा था, ऐसे में समाज कल्याण और पुलिस विभाग क्या कर रही थी? नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई से होनी चाहिए. निगरानी में इसलिए कि सीबीआई सृजन घोटाले की जांच किस तरह कर रही है, सबको पता है. कैसे हुआ मामले का खुलासा? इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब मुंबई की संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस की टीम ने बालिका गृह की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यौन शोषण का उल्लेख किया. इसके बाद मुजफ्फरपुर महिला थाने में इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई गई. चिकित्सकीय जांच में भी यहां की 29 लड़कियों के साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई. इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. गौरतलब है कि मंगलवार को बिहार के पुलिस महानिदेशक के एस द्विवेदी ने पुलिस जांच को सही ठहराते हुए कहा था कि 'पुलिस जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है. इस मामले में अभी तक ऐसा कुछ भी प्रकाश में नहीं आया है कि जांच सीबीआई से कराई जाए.'

मुजफ्फरपुर यौन शोषण: इधर FIR, उधर बालिका गृह को मिला एक और प्रोजेक्ट

मुजफ्फरपुर बालिका गृह को चलाने वाली एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति को एक और सरकारी प्रोजेक्ट आवंटित किए जाने का मामला सामने आया है. स्टेट वेलफेयर डिपार्टमेंट ने मुंबई की संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस द्वारा बालिका गृह में यौन शोषण की रिपोर्ट सौंपने के एक महीने बाद यह प्रोजेक्ट आवंटित किया.मुजफ्फरपुर बालिका गृह को चलाने वाली एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति को एक और सरकारी प्रोजेक्ट आवंटित किए जाने का मामला सामने आया है. स्टेट वेलफेयर डिपार्टमेंट ने मुंबई की संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस द्वारा बालिका गृह में यौन शोषण की रिपोर्ट सौंपने के एक महीने बाद यह प्रोजेक्ट आवंटित किया.  मालूम हो कि इस बालिका गृह में 29 बच्चियों के यौन शोषण के मामले सामने आए हैं, जिसके बाद बिहार सरकार ने मामले में कई कड़े कदम उठाए हैं. इसको चलाने वाली एनजीओ को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है और मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. अब इस एनजीओ को सरकारी प्रोजेक्ट आवंटित करने का मामला सामने आया है.  हैरान करने वाली बात यह है कि एनजीओ को यह प्रोजेक्ट उसी दिन आवंटित किया गया, जिस दिन मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की. एफआईआर में एनजीओ को चलाने वाले ब्रजेश ठाकुर समेत 11 लोगों का नाम है. इसमें कई  लोगों की गिरफ्तारी भी की जा चुकी है.  द संडे एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 31 मई को बिहार के समाज कल्याण विभाग के तहत आने वाले स्टेट सोसाइटी फॉर अल्ट्रा पुअर एंड सोशल वेलफेयर ने बेगर्स होम प्रोजेक्ट को सेवा संकल्प एवं विकास समिति को आवंटित किया. इसी दिन मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी.  बिहार सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी  अब बिहार सरकार ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 29 बच्चियों के यौन शोषण मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. सरकार ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि मामले की पूरी तरीके से निष्पक्ष जांच की जा रही है और इस पर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने के लिए मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है. हालांकि विपक्ष इससे भी संतुष्ट नहीं है. आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा है कि हाईकोर्ट की निगरानी में हमने सीबीआई जांच की मांग की थी.  सीएम नीतीश कुमार ने घटना को बताया घृणित  मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीबीआई से जांच कराने की अनुशंसा की है. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बहुत ही घृणित घटना घटी है और पुलिस द्वारा इसकी पूरी निष्पक्षता से जांच की जा रही है.  मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार निष्पक्ष जांच के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसे लेकर एक भ्रम का वातावरण बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भ्रम का वातावरण नहीं रहे, इसलिए मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और प्रधान सचिव गृह को तत्काल इस पूरे मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है.  विपक्ष ने सरकार पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया  बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 29 बच्चियों के यौन शोषण के मामले को लेकर बुधवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सहित कई विपक्षी पार्टी के नेताओं ने बालिका गृह का दौरा किया और स्थानीय लोगों से मुलाकात कर मामले की जानकारी ली. दौरा करने के बाद तेजस्वी ने पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग दोहराते हुए आरोप लगाया कि सरकार आरोपियों को बचाने में लगी है.  अधिकारियों पर दबाव बना रही सरकार  तेजस्वी ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री से सवालिया लहजे में कहा कि नीतीश सरकार बताए कि आखिर भाजपा और जद (यू) के नेता जांच प्रभावित करने के लिए अधिकारियों पर दबाव क्यों बना रहे हैं? आखिर अधिकारियों को निष्पक्षता से काम करने से क्यों रोका जा रहा है.  उन्होंने पूछा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को पुलिस ने रिमांड पर लेने की कोशिश अब तक क्यों नहीं की, जबकि कहा जा रहा है कि वह पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.  तेजस्वी ने कहा कि ठाकुर का एक साल का फोन कॉल डिटेल सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिससे हकीकत सामने आ सकें. उन्होंने यह भी पूछा कि महीनों से मासूम बच्चियों से दुष्कर्म हो रहा था, ऐसे में समाज कल्याण और पुलिस विभाग क्या कर रही थी?  नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई से होनी चाहिए. निगरानी में इसलिए कि सीबीआई सृजन घोटाले की जांच किस तरह कर रही है, सबको पता है.  कैसे हुआ मामले का खुलासा?  इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब मुंबई की संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस की टीम ने बालिका गृह की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यौन शोषण का उल्लेख किया. इसके बाद मुजफ्फरपुर महिला थाने में इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई गई. चिकित्सकीय जांच में भी यहां की 29 लड़कियों के साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई. इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.  गौरतलब है कि मंगलवार को बिहार के पुलिस महानिदेशक के एस द्विवेदी ने पुलिस जांच को सही ठहराते हुए कहा था कि 'पुलिस जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है. इस मामले में अभी तक ऐसा कुछ भी प्रकाश में नहीं आया है कि जांच सीबीआई से कराई जाए.'

मालूम हो कि इस बालिका गृह में 29 बच्चियों के यौन शोषण के मामले सामने आए हैं, जिसके बाद बिहार सरकार ने मामले में कई कड़े कदम उठाए हैं. इसको चलाने वाली एनजीओ को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है और मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. अब इस एनजीओ को सरकारी प्रोजेक्ट आवंटित करने का मामला सामने आया है.

हैरान करने वाली बात यह है कि एनजीओ को यह प्रोजेक्ट उसी दिन आवंटित किया गया, जिस दिन मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की. एफआईआर में एनजीओ को चलाने वाले ब्रजेश ठाकुर समेत 11 लोगों का नाम है. इसमें कई  लोगों की गिरफ्तारी भी की जा चुकी है.

द संडे एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 31 मई को बिहार के समाज कल्याण विभाग के तहत आने वाले स्टेट सोसाइटी फॉर अल्ट्रा पुअर एंड सोशल वेलफेयर ने बेगर्स होम प्रोजेक्ट को सेवा संकल्प एवं विकास समिति को आवंटित किया. इसी दिन मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी.

बिहार सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी

अब बिहार सरकार ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 29 बच्चियों के यौन शोषण मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. सरकार ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि मामले की पूरी तरीके से निष्पक्ष जांच की जा रही है और इस पर फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने के लिए मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है. हालांकि विपक्ष इससे भी संतुष्ट नहीं है. आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा है कि हाईकोर्ट की निगरानी में हमने सीबीआई जांच की मांग की थी.

सीएम नीतीश कुमार ने घटना को बताया घृणित

मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीबीआई से जांच कराने की अनुशंसा की है. उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बहुत ही घृणित घटना घटी है और पुलिस द्वारा इसकी पूरी निष्पक्षता से जांच की जा रही है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार निष्पक्ष जांच के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इसे लेकर एक भ्रम का वातावरण बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भ्रम का वातावरण नहीं रहे, इसलिए मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और प्रधान सचिव गृह को तत्काल इस पूरे मामले को सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है.

विपक्ष ने सरकार पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया

बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 29 बच्चियों के यौन शोषण के मामले को लेकर बुधवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सहित कई विपक्षी पार्टी के नेताओं ने बालिका गृह का दौरा किया और स्थानीय लोगों से मुलाकात कर मामले की जानकारी ली. दौरा करने के बाद तेजस्वी ने पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग दोहराते हुए आरोप लगाया कि सरकार आरोपियों को बचाने में लगी है.

अधिकारियों पर दबाव बना रही सरकार

तेजस्वी ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री से सवालिया लहजे में कहा कि नीतीश सरकार बताए कि आखिर भाजपा और जद (यू) के नेता जांच प्रभावित करने के लिए अधिकारियों पर दबाव क्यों बना रहे हैं? आखिर अधिकारियों को निष्पक्षता से काम करने से क्यों रोका जा रहा है.

उन्होंने पूछा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को पुलिस ने रिमांड पर लेने की कोशिश अब तक क्यों नहीं की, जबकि कहा जा रहा है कि वह पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.

तेजस्वी ने कहा कि ठाकुर का एक साल का फोन कॉल डिटेल सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिससे हकीकत सामने आ सकें. उन्होंने यह भी पूछा कि महीनों से मासूम बच्चियों से दुष्कर्म हो रहा था, ऐसे में समाज कल्याण और पुलिस विभाग क्या कर रही थी?

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई से होनी चाहिए. निगरानी में इसलिए कि सीबीआई सृजन घोटाले की जांच किस तरह कर रही है, सबको पता है.

कैसे हुआ मामले का खुलासा?

इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब मुंबई की संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस की टीम ने बालिका गृह की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यौन शोषण का उल्लेख किया. इसके बाद मुजफ्फरपुर महिला थाने में इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई गई. चिकित्सकीय जांच में भी यहां की 29 लड़कियों के साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई. इस मामले में अब तक मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

गौरतलब है कि मंगलवार को बिहार के पुलिस महानिदेशक के एस द्विवेदी ने पुलिस जांच को सही ठहराते हुए कहा था कि ‘पुलिस जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही है. इस मामले में अभी तक ऐसा कुछ भी प्रकाश में नहीं आया है कि जांच सीबीआई से कराई जाए.’

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