मुन्ना बजरंगी की हत्या से उठा पर्दा, इस तरह रची गई पूरी साजिश

मुन्ना बजरंगी की हत्या से उठा पर्दा, इस तरह रची गई पूरी साजिश

उत्‍तर प्रदेश के माफिया डॉन मुन्‍ना बजरंगी की हत्‍या जिला कारागार में पूरी प्‍लानिंग के साथ की गई। मुन्‍ना बजरंगी पर एक-दो नहीं पूरी 10 गोलियां दागी गईं। ऐसे में सुनील राठी ने मुन्‍ना बजरंगी को उठने का मौका ही नहीं दिया। लेकिन आखिर पिस्टल जेल के अंदर कैसे पहुंची? इस सवाल पर सब चुप्‍पी साधे बैठे हैं। गोली दागने के बाद फोटो भी खींची गई यानि हत्‍यारे के पास मोबाइल भी था। जेल में हत्‍यारे के पास मोबाइल फोन कैसे आया? इससे साफ है कि हत्‍या की साजिश काफी दिनों पहले ही रची जा चुकी थी। डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि पुलिस आरोपित के बयान के अलावा सभी बिंदुओं पर गहनता से जांच कर रही है। फोरेंसिक टीमें भी साक्ष्य जुटा रही है। घटना का री-कंस्ट्रक्शन भी कराया जाएगा।मुन्ना बजरंगी की हत्या से उठा पर्दा, इस तरह रची गई पूरी साजिश

सिर और सीने पर सटाकर मारी गोली
जिला कारागार में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी के सिर व सीने पर सटाकर गोलियां मारी गईं। सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी को उठने का मौका नहीं दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसे नौ गोलियां लगीं और शरीर पर गोलियों के 13 निशान हैं। सिर का दायां हिस्सा गोलियां लगने से बाहर निकल आया था। सोमवार सुबह बागपत जिला कारागार में सुनील राठी व मुन्ना बजरंगी के बीच विवाद हो गया था। इसी विवाद में सुनील ने पिस्टल से मुन्ना बजरंगी पर 10 गोलियां चलाईं। सुनील ने पिस्टल को जेल के गटर में फेंक दिया था। पुलिस ने घटनास्थल से 10 खोखे बरामद किए।

मुन्ना बजरंगी के शव का पोस्टमार्टम जिला अस्पताल में चार चिकित्सकों की टीम ने किया। पुलिस सूत्रों की मानें तो पोस्टमार्टम में मुन्ना बजरंगी के सीने से मात्र एक गोली निकली जिसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। यह जानने के लिए कि यह वह गोली तो नहीं है जो उसे कई वर्ष पूर्व मुठभेड़ के दौरान लगी थी और सीने में फंसी थी। बाकी गोलियां उसके शरीर से आर-पार निकल गईं। मुन्ना बजरंगी को लगी नौ गोलियों के शरीर पर आए गहरे काले निशान से साफ होता है कि सभी गोलियां सटाकर मारी गईं। उसके सिर में छह निशान आए हैं। सिर के अगले हिस्से में बाईं तरफ दो और दाईं तरफ एक बड़ा निशान है। सिर के पिछले हिस्से में दाईं ओर दो व बाईं ओर एक निशान है।

जेल के गेट पर खौफ में दिख रहा था मुन्ना

मुन्ना बजरंगी को सोमवार को जिस वक्त बागपत जेल लाया गया, उसी दौरान जेल के गेट के बाहर मोबाइल से दो वीडियो बनाए गए। एक वीडियो 17 और दूसरा 32 सेकंड का है। ये दोनों वीडियो वायरल हो रहे हैं।

पहले वीडियो में एक गाड़ी जेल के बाहर वाले दरवाजे से अंदर जाती दिखाई दे रही है। इसमें कई पुलिसकर्मी भी मौजूद हैं। दूसरे वीडियो में मुन्ना बजरंगी पुलिसकर्मियों से घिरा हुआ है और उसके साथ कई लोग भी हैं। इसी वीडियो में जेल का दरवाजा खुलता है और मुन्ना बजरंगी अपने जानकार से एक सफेद तौलियानुमा कपड़ा लेते हुए कहता है कि डाक्टर साहब को भी तुम अपने साथ ही ले जाओ। उसके बाद वह जेल के अंदर चला जाता है। इस वीडियो में मुन्ना बजरंगी के चेहरे पर खौफ साफ देखा जा सकता है। बागपत जेल जंगल में है, जिसके आसपास भी कोई नहीं रहता। एक दुकान है, जो शाम को बंद हो जाती है। ऐसे में सवाल यह है कि मुन्ना बजरंगी जब जेल में आया तो मोबाइल से वीडियो किसने बनाई? वीडियो छिपाकर बनाया गया है।

आशंका जताई जा रही है कि यह वीडियो मुन्ना बजरंगी के साथ आए लोगों ने सुबूत के तौर पर बनाया, ताकि कोई अनहोनी होने पर उसे पेश किया जा सके। दरअसल, जिला प्रशासन ने बगैर किसी लिखित दस्तावेज के ही मुन्ना बजरंगी को जेल में रुकवाया था। ऐसे में उन लोगों को डर था कि प्रशासन मुकर सकता है। लेकिन सुबह ही घटना हो गई। एसपी जयप्रकाश ने बताया कि पता कराया जा रहा है कि वीडियो किसने बनाया और इसके पीछे क्या कारण हैं।

मेरठ से पहुंची पिस्टल

बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या में जिस पिस्टल का इस्तेमाल हुआ है, उसे मेरठ के लिसाड़ी गेट से खरीदा गया है। जिस युवक से पिस्टल खरीदी गई वह कई बार मुंगेर से पिस्टल खरीदकर सप्लाई करने के आरोप में जेल भी जा चुका है। बेहद गोपनीय ढंग से मेरठ क्राइम ब्रांच ने इस युवक की तलाश की, लेकिन वह नहीं मिल पाया। इस पूरे प्रकरण में थाना प्रभारी लिसाड़ी गेट मोहम्मद असलम से लेकर एसएसपी राजेश कुमार पांडेय तक कोई कुछ नहीं बोल रहा है।

सोमवार सुबह बजरंगी की हत्या के बाद से यही सवाल उठ रहा है कि आखिर पिस्टल जेल के अंदर कैसे पहुंची। पुलिस सूत्रों का कहना है कि बागपत एसपी ने मंगलवार को मेरठ एसएसपी राजेश कुमार पांडेय से संपर्क किया। उन्हें बताया गया कि पिस्टल मेरठ के लिसाड़ी गेट से खरीदी गई है। इसके बाद क्राइम ब्रांच की टीम को चुपचाप लिसाड़ी गेट भेजा गया था। यह सुराग जेल में बंद कुख्यात विक्की सुन्हेड़ा ने बागपत पुलिस को दिया है। हालांकि आधिकारिक रूप से इस बारे में कोई बोलने को तैयार नहीं है।

जेल के बाहर कैसे निकलीं बजरंगी के शव की तस्वीर

सोमवार को मुन्ना बजरंगी की बागपत जिला जेल में हुई हत्या के बाद उसके शव की तस्वीरें जेल के बाहर सोशल मीडिया पर कैसे वायरल हुईं, इसे लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। मंगलवार को वायरल शव की एक और तस्वीर में मुन्ना के सीने के पास गोली लगने के दो अतिरिक्त घाव दिख रहे हैं। इस मामले को प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बेहद गंभीरता से लिया है। उन्होंने एडीजी जेल चंद्र प्रकाश को इसकी जांच कराने का निर्देश दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल दूसरी फोटो को लेकर आशंका जताई जा रही है कि यह तस्वीर बाद में खींची गई। यह भी आशंका है कि मुन्ना की हत्या के बाद उसके शरीर पर गोलियां दागी गईं और फिर यह दूसरी तस्वीर खींची गई।

चर्चा है कि तस्वीर खींचने वाले ने पहली तस्वीर जेल के बाहर अपने किसी आका को भेजी और फिर उसके इशारे पर मुन्ना के शव पर गोलियां दागीं और उसकी भी तस्वीर खींचकर अपने आका को भेजी। वायरल तस्वीरों को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार का कहना है कि आखिर किन परिस्थितियों में तथा किसने शव की तस्वीरों को वायरल किया है। किस मोबाइल से तस्वीर खींचकर सबसे पहले किस नंबर पर भेजा गया। इन बिंदुओं पर जांच के निर्देश दिए गए हैं।

पुलिस ही बन गई डॉक्टर, कर दिया मृत घोषित

मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में पुलिस की एक के बाद एक लापरवाही उजागर हो रही है। परिजनों का दावा है कि पुलिस ने ही मुन्ना बजरंगी को मृत घोषित कर दिया। इसके लिए डॉक्टरों का इंतजार नहीं किया गया। उसको अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं समझी गई। वारदात के सात घंटे बाद शव को सीधे पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। उधर, एसपी जय प्रकाश का कहना है कि मुन्ना बजरंगी की मौके पर ही मौत हो गई थी। इसलिए, अस्पताल नहीं ले जाया गया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बागपत जेल में हुई मुन्ना बजरंगी की हत्या की मजिस्ट्रीयल व न्यायिक जांच करने के आदेश दिए थे। इस पर डीएम ऋषिरेन्द्र कुमार ने मजिस्ट्रीयल जांच के लिए जांच अधिकारी की नियुक्ति कर दी है। डीएम ने बताया कि मुन्ना बजरंगी की जेल में हुई हत्या की मजिस्ट्रीयल जांच एडीएम वित्त एवं राजस्व लोकपाल करेंगे।

जेलर ने 15 दिन पहले ही भेजी थी राठी को शिफ्ट कराने की चिट्ठी

बागपत जेल के जेलर ने 15 दिन पहले ही सुनील राठी को दूसरी जेल में शिफ्ट कराने के लिए शासन को लिखा था। वह 31 जुलाई 2017 को हरिद्वार जेल से बागपत जेल में आया था। दरअसल उस पर जिले में दो मुकदमे दर्ज हैं। जिला कारागार में 860 बंदी हैं। इन बंदियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी 135 के बजाय मात्र 20 बंदीरक्षक ही निभा रहे हैं। जेल में सीसीटीवी कैमरे व जैमर जैसी सुविधा भी नहीं है।

एडीजी ने की पूछताछ मुन्ना

बजरंगी की हत्या के मामले में एडीजी (जेल) चंद्रप्रकाश ने मंगलवार को कुख्यात सुनील राठी के अलावा जेल अधिकारियों और कर्मचारियों से साढ़े पांच घंटे तक पूछताछ की। हालांकि पूछताछ का ब्योरा देने से इन्कार कर दिया। उन्होंने दावा किया कि हत्याकांड के हर पहलू पर जांच होगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। सोमवार को बागपत जेल में माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई थी। घटना के बाद आला अफसरों ने जेल में डेरा डाल रखा है। मंगलवार सुबह सात बजे प्रभारी जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्रा पहुंचे और डेढ़ घंटे बाद डीआइजी संजीव त्रिपाठी। 12 बजे एडीजी जेल चंद्रप्रकाश भी पहुंच गए।

सबसे पहले वह घटनास्थल पर पहुंचे और जेल का निरीक्षण किया। इसके बाद जेल अधिकारियों और कर्मचारियों को तलब किया। एडीजी ने सुनील राठी से भी अकेले में घंटों पूछताछ की। सूत्रों का कहना है कि सुनील ने हत्या की बात तो स्वीकारी, लेकिन पिस्टल अपनी होने से इन्कार कर दिया। बकौल सुनील पिस्टल मुन्ना की ही थी। सुपारी को लेकर उसकी मुन्ना से हुई बहस तनातनी में बदल गई। मुन्ना पिस्टल से उसकी हत्या करने पर आमादा था। इसके बाद उसने पिस्टल छीनकर मुन्ना को मार दिया। एडीजी ने कहा कि मामले की न्यायिक, मजिस्ट्रेटी, विभागीय और पुलिस जांच होगी। लापरवाह जेलर समेत चार कर्मचारियों को सस्पेंड किया जा चुका है।

बागपत जेल में बंद कुख्यात बदमाश सुनील राठी ने भले ही यह कुबूल कर लिया है कि मुन्ना बजरंगी की हत्या उसने ही की है लेकिन, पूरे घटनाक्रम से इसके पीछे गहरी और सुनियोजित साजिश के संकेत मिलते हैं। मुन्ना को जेल के भीतर ले जाने और हत्या के बाद की घटनाएं यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि इस पर पूरा होमवर्क करके राठी को ‘हथियार’ बनाया गया था लेकिन, इस हथियार के पीछे का ‘हाथ’ कौन है, यह अभी रहस्य के घेरे में है।

मुन्ना बजरंगी के दुश्मनों की एक लंबी फेहरिस्त है, जिसमें अपराधियों के साथ राजनेता और उद्यमी भी शामिल हैं। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि उसकी हत्या की योजना तैयार करने वाले जेल प्रशासन और अपराधियों के गठजोड़ की रग-रग से वाकिफ थे। इसी वजह से मिनट टू मिनट की पटकथा लिखी गई और मुख्य किरदार के रूप में राठी को तैयार किया गया। राठी को इस बात का अभयदान भी रहा होगा कि साक्ष्यों की बिसात उसके हिसाब से बिछा दी जाएगी।

हत्या के बाद के घटनाक्रम गहरी साजिश के संकेत भी करते हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि राठी के पास हथियार कैसे पहुंचा। बकौल राठी पिस्टल मुन्ना खुद लेकर आया था और उसने उसी से छीनकर उसे मारा। अब इसकी तस्दीक करने के लिए मुन्ना मौजूद नहीं है। राठी के अनुसार कहासुनी के बाद मुन्ना ने उस पर पिस्टल तान दी, जिसे उसने मुन्ना से छीन लिया और उस पर ताबड़तोड़ गोलियां दाग दीं। यानी घटना में एक एंगिल आत्मरक्षा का भी जुड़ चुका है।

यह भी कम आश्चर्यजनक नहीं कि वारदात के महज कुछ घंटों में ही मुन्ना की हत्या के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे। ये फोटो किसने खींचे और वायरल करने के पीछे क्या उद्देश्य था, यह भी जांच का एक बड़ा बिंदु है। आखिर राठी इन फोटो के जरिये किस तक यह संदेश पहुंचाना चाहता था कि मुन्ना की हत्या की जा चुकी है। उसको जेल लाए जाने के पहले कुछ सेकेंडों के वीडियो भी बनाए गए थे। उनमें मुन्ना भयभीत नजर आ रहा है। इसके पीछे क्या उद्देश्य रहा होगा।

वारदात के बाद कुख्यात राठी ने आखिर किस उद्देश्य से पिस्टल व कारतूस नाली में फेंके। नाली से पुलिस ने दो मैग्जीन व 22 कारतूस बरामद किए। सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर दूसरी मैग्जीन व 22 गोलियां कहां से आईं। जानकारों के अनुसार नाली में पिस्टल फेंके जाने के बाद उस पर राठी की अंगुलियां के निशान मिलने की संभावना बेहद कम होगी। यानी कि साक्ष्यों की बिसात योजना के तहत बिछाई गई।

एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक मुन्ना तन्हाई सेल में जिस विक्की सुनहरा के साथ रुका था, उसने अपने बयान में कहा है कि जब वारदात हुई तब वह शौचालय में था। अब तक पुलिस को घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी भी नहीं मिल सका है। बागपत जेल में सीसीटीवी कैमरे न लगे होना, पुलिस की चुनौती को और बढ़ाता है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आरोपित सुनील राठी ने अब तक पुलिस के सामने जो थ्योरी रखी है, उससे वह कोर्ट के सामने साफ मुकर भी सकता है। तब पुलिस के लिए स्थिति और चुनौतीपूर्ण होगी। सूत्रों का कहना है कि बागपत में सुनील के कई गुर्गे भी बंद हैं और जेल में उसका खासा दबदबा रहा है। लिहाजा उसके खिलाफ गवाह मिलना भी मुश्किल ही है।

कराएंगे घटना का री-कंस्ट्रक्शन

डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि पुलिस आरोपित के बयान के अलावा सभी बिंदुओं पर गहनता से जांच कर रही है। फोरेंसिक टीमें भी साक्ष्य जुटा रही है। घटना का री-कंस्ट्रक्शन भी कराया जाएगा।

अफसर खाली हाथ

वारदात के दूसरे दिन भी अफसर पूरी तरह से खाली हाथ हैं। जेल में पिस्टल कैसे और कब पहुंची और हत्या के कारण अभी तक नहीं पुष्ट नहीं हो पाए हैं। एसपी जय प्रकाश ने केवल इतना कहा कि सुपारी के विवाद में सुनील और मुन्ना की बहस हुई। इसके बाद सुनील ने उसकी हत्या कर दी। सुनील के बयान की तस्दीक की जा रही है। ध्यान रहे कि हत्या में प्रयुक्त पिस्टल वहीं गटर में फेंक दी गई थी जो सोमवार रात में बरामद हुई थी।

कड़ी सुरक्षा में हुआ मुन्ना बजरंगी का अंतिम संस्कार

तीन दशकों से पूर्वांचल समेत पश्चिम उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बने प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी का अंतिम संस्कार कराने में पुलिस के पसीने छूट गए। मंगलवार दोपहर कड़ी सुरक्षा के बीच मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। 14 वर्षीय बेटे आकाश वीर सिंह उर्फ समीर सिंह ने मुखाग्नि दी। उसकी सोमवार सुबह बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सुबह करीब सवा सात बजे शव उसके पैतृक गांव जौनपुर के सुरेरी थानांतर्गत पूरे दयाल कसेरू लाया गया।

गांव में सुरक्षा की दृष्टि से पीएसी के अलावा आधा दर्जन से ज्यादा थानों की पुलिस तैनात की गई थी। सुरक्षा घेरे में परिजन शव को अंत्येष्टि के लिए लेकर सुबह करीब 9:30 बजे वाराणसी रवाना हो गए। शवयात्रा में लगभग 100 वाहनों का काफिला चल रहा था। इस दौरान वाराणसी की पुलिस को भी अलर्ट कर दिया गया था। जिले की सीमा में शवयात्रा के पहुंचते ही स्थानीय पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया। पुलिस व पीएसी के सुरक्षा घेरे में शव को मणिकार्णिका घाट ले जाया गया।

दहशत में मुख्तार अंसारी

उप्र की बागपत जेल में माफिया डान मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की सुरक्षा को लेकर जेल प्रशासन किसी प्रकार की चूक नहीं चाहता। विधायक की बैरक पर त्रिस्तरीय सुरक्षा पहरा लगा दिया गया है। अपने खास रहे बजरंगी की हत्या से सहमे मुख्तार न सोमवार को बैरक से निकले, न ही मंगलवार को। उनकी बैरक में किसी बंदी को जाने की इजाजत नहीं है। सीसीटीवी कैमरे के जरिए 24 घंटे बंदियों की हरकतों पर नजर रखी जा रही है। खुद अधिकारी रातभर जाग रहे हैं।

जेल सूत्रों के मुताबिक, मुन्ना बजरंगी की हत्या की सूचना मिलने के बाद से मुख्तार अंसारी बैरक में ही हैं, बाहर नहीं आ रहे हैं। वह खाना भी ठीक से नहीं खा रहे हैं। जेल के हर व्यक्ति को वह संदिग्ध नजरों से देख रहे हैं। डिप्टी जेलर तारकेश्वर सिंह ने बताया कि बैरकों की दूसरे दिन भी सघन तलाशी ली गई। जेल की बाहरी सुरक्षा को चाक चौबंद किया गया है। पुलिस के साथ पीएसी भी तैनात की गई है। मुख्तार से मिलने वालों पर कड़ी नजर रखे जाने के निर्देश जारी किए गए हैं। फिलहाल मुख्तार से मिलने वालों की संख्या में खासी कमी आई है। दो दिन में उनसे मिलने के लिए कोई नहीं आया।

धनंजय सिंह की भूमिका भी जांची जाएगी

बागपत जेल में हुई मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह, रिटायर्ड डिप्टी एसपी जीएन सिंह व उनके बेटे प्रदीप कुमार सिंह उर्फ पीके सिंह की भूमिका भी पुलिस जांच के घेरे में होगी। बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने सोमवार रात पुलिस को दी तहरीर में इन तीनों पर हत्या कराने का आरोप लगाया था।

हालांकि, पुलिस इस तहरीर के आधार पर कोई दूसरा मुकदमा नहीं कायम करेगी। डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि पुलिस तहरीर को उसी मुकदमे की विवेचना में शामिल करेगी। जांच आगे बढ़ने पर पुलिस पूर्व सांसद, रिटायर डिप्टी एसपी व उसके बेटे से जल्द पूछताछ भी कर सकती है। तहरीर में मुन्ना की हत्या को लखनऊ में हुए पुष्पजीत व तारिक हत्याकांडों की पुनरावृत्ति बताया गया है। ध्यान रहे, मुन्ना बजरंगी के करीबी तारिक की हत्या में भी इन्हीं डिप्टी एसपी व उनके बेटे को नामजद कराया गया था। 

 
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