‘मोदी अंकल नमस्ते… प्लीज! मेरे घर के पीछे से मगरमच्छ निकलवा दो’

मोदी अंकल नमस्ते. मेरे घर के पीछे के तालाब में सालों से मगरमच्छ है. उसके कारण मैं पीछे के मैदान में खेलने नहीं जा पा रहा हूं. आप प्लीज उसे निकलवा दो. 11 साल के मयंक ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर ये अपील की थी. मयंक हरिद्वार जिले के खानपुर में रहते हैं.दरअसल खानपुर निवासी प्रवीण गुप्ता के मकान के पीछे मैदान है. मैदान के पास एक बड़ा तालाब है. इसी तालाब में काफी समय से मगरमच्छ रहता है. मगरमच्छ के डर की वजह से बच्चे मैदान में खेलने भी नहीं जा पाते. मयंक भी परेशान था. कईं बार स्थानी लोगों ने वन विभाग से शिकायत की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी. कोई समाधान न होता देख मयंक ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मगरच्छ से मुक्ति पाने की गुहार लगाई.मगरमच्छ अकसर मैदान में आ जाता है, जिस कारण स्थानीय लोग बच्चों को मैदान में खेलने नहीं भेजते. यही नहीं, मगरमच्छ कई बार नजदीक के घरों तक भी पहुंच जाता है.

विशालकाय मगरमच्छ ने लम्बे समय से इस तालाब को अपनी आरामगाह बना रखा है. लोगों ने इसकी शिकायत भी राजस्व और वन विभाग से की, पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई.17 जनवरी को प्रवीण के 11 वर्षीय बेटे मयंक ने चुपचाप इस बाबत पीएम मोदी को एक चिट्ठी लिखकर पोस्ट कर दी. चिट्ठी में उसने प्रधानमंत्री को मोदी अंकल लिखा और उनसे मगरमचछ को पकड़वाने की गुजारिश की. ताकि वह पहले की तरह दोस्तों के साथ मैदान में खेल सके.चिट्ठी के बाद पीएमओ ने इस पर संज्ञान लिया.

इसके बाद से ही स्थानीय प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. पीएमओ के सख्त निर्देश पर वन विभाग आनन-फानन में मगरमच्छ पकड़ने में जुट गया है. अब देखना होगा कितनी जल्दी स्थानीय लोगों को मगरमच्छ से निजात मिलती है. लक्सर के वन विभाग के कर्मचारियों ने पीएमओ से पत्र मिलने की पुष्टि करते हुए बताया कि मगरमच्छ को पकड़कर गंगा में छोड़ने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं.पीएमओ का पत्र मिलते ही शुक्रवार को वन विभाग के अधिकारी मगरमच्छ को पकड़ने पहुंच गए. मयंक को इसका जानकारी हुई तो उसने थैंक्यू मोदी अंकल कहकर उनका आभार जताया.

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