जानिये, मोदी-शाह दोनों का एक साथ सामना करने के लिए कितने तैयार हैं कांग्रेस के ये दिग्गज?

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने अपनी प्रतिष्ठा बचा ली है. दिनभर चले सियासी ड्रामे के बाद कल देर रात ढाई बजे चुनाव जीतने के बाद उन्होंने राहत की सांस ली. लेकिन इस दौरान कांग्रेस को भारी मशक्क्त करनी पड़ी. पी. चिदंबरम जैसे कांग्रेस के बड़े नेताओं को मोर्चा संभालना पड़ा था. यह ऐसा चुनाव था जिसमें गुजरात कांग्रेस का बिखराव खुलकर नजर आया. इससे अहमद पटेल मुश्किल में पड़ गए. राज्यसभा में बीजेपी अब सबसे बड़ी पार्टी हो गई है. हालांकि वह कांग्रेस से महज एक सीट आगे है.  मोदी-शाह दोनों का एक साथ सामना करने के लिए कितने तैयार हैं कांग्रेस के दिग्गज?
कांग्रेस पीढ़ीगत बदलाव को मैनेज करने में विफल रही है और यही बात हर बार निकलकर सामने आई है. कांग्रेस की कमान अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथ में है. वह इसकी जिम्मेदारी अपने बेटे राहुल गांधी को देने के उत्सुक हैं. हालांकि राहुल जिम्मेदारी संभालने के इच्छुक दिखाई नहीं दे रहे हैं. इसी वजह से पार्टी में ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद जैसे युवा और प्रतिभाशाली नेताओं भी संगठन में पीछे बने हुए हैं. हालांकि ये सभी पार्टी में नई जान फूंक सकते हैं.     

आज संसद में बरसे शरद यादव, कहा- इतिहास के साथ छेड़खानी, पूरी कौम के साथ छेड़खानी है

पुरानी पंक्ति के नेताओं की बात करें तो अहमद पटेल, पी. चिदंबरम, कमलनाथ और कैप्टन अमरिंदर सिंह अभी भी पार्टी को नई दिशा देने के लिए प्रयासरत हैं और राहुल के नेतृत्व को स्वीकार करते हैं. अहमद पटेल ने राज्यसभा चुनाव जीत लिया है. अब राज्यसभा में उनका सामना अमित शाह से होगा. अमित शाह भी राज्यसभा पहुंच चुके हैं. दिसंबर में गुजरात में चुनाव है, लेकिन कांग्रेस बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है. नाराज शंकर सिंह वाघेला पार्टी का कितना नुकसान कर सकते हैं, कांग्रेस ने इसको अनदेखा किया है. इसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ सकता है.

मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों के हालात जुदा नहीं हैं. इन राज्यों में भी अगले दो साल में चुनाव होने हैं, लेकिन कांग्रेस मजबूत नेतृत्व के अभाव से जूझ रही है. वाघेला जैसा ही गेम गुजरात के अलावा अन्य राज्यों में भी हो सकता है क्योंकि इन राज्यों में चेहरे का अभाव है.

नेतृत्व की कमी को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह प्रत्येक चुनाव में अपनी मजबूती बना लेते हैं. गुजरात में, अहमद पटेल को हराने के लिए बीजेपी ने हर दांव आजमाया था. शाह अपनी चमत्कारिक रणनीतियों से कांग्रेस को राज्यों की सत्ता से भी बाहर कर रहे हैं.    

यही है उत्तर कोरिया की तानाशाही मिसाइल से हमला करेगा, खतरे में दो लाख लोगों की जिंदगी

उधर, पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, लेकिन उन्होंने जो सवाल उठाया वह सौ फीसदी सच है. कांग्रेस निश्चित रूप से ‘अस्तित्व के संकट’ से गुजर रही है. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भाजपा प्रमुख अमित शाह की ओर से मिल रही चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार नहीं है. पार्टी में मजबूत नेतृव का अभाव है. परिवारवाद अब जीत की गारंटी नहीं रहा.

 
English News

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com