यहां पर पढ़ें कोविड-19 वैक्‍सीन से जुड़े हर सवाल का जवाब, पूरी दुनिया को बेसर्बी से है इसका इंतजार

वैश्विक महामारी कोविड-19 से जूझते हुए भारत समेत पूरी दुनिया को दस माह बीत चुके हैं। दिसंबर 2019 के अंत में इसके मामले चीन के वुहान से शुरू हुए थे। जनवरी के अंत तक इसके मामले भारत समेत कई दूसरे देशों में सामने आ गए थे। मार्च के अंत तक पूरी दुनिया इस महामारी की चपेट में आ चुकी थी। रॉयटर के आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में इसके पूरी दुनिया में 61,769,333 मामले सामने आ चुके हैं जबक‍ि 1,446,899 मरीजों की मौत भी हो चुकी है और 39,685,014 मरीज ठीक भी हुए हैं। हालांकि अब इसकी वैक्‍सीन आने की उम्‍मीदें बढ़ चुकी हैं।

आपको बता दें कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसकी कारगर वैक्‍सीन खोजने में लगे हैं। वहीं कुछ को इसमें काफी हद तक सफलता मिल चुकी है। बावजूद इसके अभी किसी भी वैक्‍सीन को बाजार में उतारने और आधिकारिक तौर पर इसको आम लोगों को लगाने की इजाजत नहीं मिली है। हालांकि कुछ कंपनियों ने अपनी वैक्‍सीन के आपात सेवा के तौर पर इस्‍तेमाल करने की इजाजत जरूर मांगी है। भारत की ही बात करें तो स्‍वदेशी कोवैक्‍सीन का ट्रायल तीसरे चरण में है। भारत इस संबंध में पूरी एहतियात बरत रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी खुद देश और विदेश में विकसित होने वाली वैक्‍सीन पर नजर रखे हुए हैं। उन्‍होंने साफ कर दिया है कि भारतीयों को बेहद कारगर वैक्‍सीन ही मिलेगी। इसको लेकर वैज्ञानिकों से भी बातचीत की जाएगी।

जहां तक वैक्‍सीन के आने के बाद इसके वैक्‍सीनेशन की बात है तो आपको बता दें कि ये सबसे निचले स्‍तर से शुरू होगा। इसको कुछ ऐसे समझा जा सकता है कि जिस तरह से चुनाव में कुछ कुछ दूरी पर पोलिंग बूथ होते हैं इसी तरह से वैक्‍सीन को लगाने के लिए भी बूथ तैयार कर इसको आम लोगों को दिया जा सकेगा। कहा जा सकता है कि इसकी रणनीति ब्‍लॉक लेवल स्‍तर पर बनाई जाएगी। इसके लिए सरकारी और निजी डॉक्‍टरों के साथ दूसरे सहायकों को भी पूरी जानकारी और ट्रेनिंग दी जाएगी। सरकार की मदद से इसमें जनभागीदारी बढ़ाने के लिए लोगों को जागरुक बनाया जाएगा। वैक्‍सीन के प्रतिकूल प्रभाव से निपटने के लिए भी टीमें पूरी तरह से मुस्‍तैद रहेगी। यहां पर ये इसलिए भी खास है क्‍योंकि दुनियाभर के विशेषज्ञ इस बात को विभिन्‍न मंचों पर कई बार कह चुके हैं कि कोविड-19 वैक्‍सीन का प्रभाव भौगोलिक स्थिति और व्‍यक्ति से व्‍यक्ति पर अलग-अलग हो सकता है। इसलिए सरकार वैक्‍सीन को पूरी तैयारी के साथ ही आम लोगों तक पहुंचाएगी। आपको बता दें कि एम्‍स के डायरेक्‍टर रणदीप सिंह गुलेरिया ने कुछ ही समय पहले कहा था कि वैक्‍सीन को सबसे पहले मेडिकल स्‍टाफ को दिया जाएगा। इसके बाद इन्‍हें बुजुर्गों को दिया जाएगा और फिर इसको आम लोगों में लगाया जाएगा। उन्‍होंने ने ये भी बताया था कि हर व्‍यक्ति को इसकी दो खुराक देनी होंगी।

नवंबर के शुरूआत में ही कोविड-19 वैक्‍सीन को लेकर सफलता की कई खबरें सामने आने लगी थीं। हालांकि इसमें कुछ चिंताएं भी सामने आई थीं। ये चिंता इन वैक्‍सीन के स्‍टोरेज को लेकर थी। दरअसल, कुछ कंपनियों की वैक्‍सीन को माइनस 70 डिग्री के तापमान में रखे जाने की बात सामने आने की वजह से कुछ देशों ने चिंता जताई थी कि इसकी व्‍यवस्‍था उनके पास में नहीं है। जहां तक भारत की बात है तो इसकी वैक्‍सीन को डीप फ्रीज में रखने वाले फ्रीजर को आइस लैंड रेफ्रीजिरेटर कहते हैं। इस तरह के 23 सौ से अधिक रेफ्रीजिरेटर देश में मोजूद हैं। लगभग हर राज्‍य में वैक्‍सीन को सुरक्षित रखने की व्‍यवस्‍था है। अगले वर्ष में कोविड-19 की वैक्‍सीन के मास प्रोडेक्‍शन की उम्‍मीद की जा रही है। वहीं पीएम मोदी ने इसको सुरक्षित हर जगह पर पहुंचाने के लिए सभी राज्‍यों से कोल्‍ड स्‍टोरेज की व्‍यवस्‍था करने का जिम्‍मा सौंप दिया है। राज्‍यों को अपने हर नागरिक तक इसकी पहुंच बनाने के लिए कोल्‍ड स्‍टोरेज की एक चेन बनानी होगी।

सरकार का विचार करीब 30 करोड़ वैक्‍सीन का है। वैक्‍सीन किसको लगनी है इसकी जानकारी एक एसएमएस के जरिए दी जाएगी। इसमें जगह और समय की जानकारी होगी। ऐसा इसलिए भी किया जाएगा जिससे इस वैक्‍सीन को लेने के लिए भीड़ न जुट सके। इसके लिए सरकार ने पूरी तरह से कमर कस ली है। जिन लोगों इसकी दो खुराक मिल जएगी तो उसको इसके साथ ही एक डिजिटल सर्टिफिकेट भी इश्‍यू हो जाएगा। आपको बता दें कि कोविड-19 से जूझ रही दुनियाभर की उड्डयन कंपनियां अपनी सेवा से जुड़ने वालों को वैक्‍सीनेशन पासपोर्ट को लेकर एकराय बना रही हैं। इसका अर्थ होगा कि जो इसकी वैक्‍सीन ले लेगा उसको एयरलाइंस कंपनियां प्राथमिकता देंगी। इसलिए भविष्‍य की हवाई सेवा में भी ये डिजिटल सर्टिफिकेट काफी कारगर साबित होगा। हालांकि सभी लोगों तक इसकी वैक्‍सीन देने में कुछ लंबा समय जरूर लगेगा। कहा जा रहा है कि इसकी शुरुआत से आने वाले छह माह में ये काम पूरा होगा। एक संभावना ये भी है कि भविष्‍य के लिए इसका वैक्‍सीनेशन इसी तरह से किया जाए जैसे दूसरी बीमारियों का किया जाता है।

वैक्‍सीन को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं उनमें एक सवाल ये भी है कि क्‍या वैक्‍सीन लेने के बाद किसी को ये वायरस दोबार चपेट में ले सकेगा या नहीं। इसका जवाब फिलहाल तो किसी के पास नहीं है लेकिन इस बारे में विश्‍व स्‍वास्‍थय संगठन के प्रमुख डॉक्‍टर टेड्रोस एधनॉम घेबरेयसस ने काफी समय पहले ये साफ कर दिया था कि कोविड-19 वैक्‍सीन आने के बाद भी लोगों को मुंह पर मास्‍क लगाने और एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखने के नियमों का पालन करना होगा। वहीं दूसरी तरफ जिन कंपनियों ने कोविड-19 की कारगर वैक्‍सीन बनाने का दावा भी किया है उन्‍होंने भी इस बात को लेकर कुछ साफ नहीं किया है कि वैक्‍सीन लगाने के बाद कितने समय तक कोई व्‍यक्ति इसकी चपेट में दोबारा नहीं आएगा।

 

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