यूपी में हाड़ कपाने वाली ठंड,​ बढ़ा ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा....

यूपी में हाड़ कपाने वाली ठंड,​ बढ़ा ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा….

हाड़ कपाने वाली ठंड में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक से कानपुर में छह लोगों की मौत हो गई। ठंड से पीड़ित मरीजों के साथ ही ब्लड प्रेशर, दमा के मरीजों की वजह से हैलट अस्पताल का मेडिसिन वार्ड फुल हो गया। उर्सला के आईसीयू में भी मरीजों को जगह नहीं मिल पाई। कई नर्सिंगहोम ने शुल्क बढ़ा दिए हैं। डॉक्टरों ने लोगों खासकर बच्चों और बुजुर्गों को ठंड से बचाने के पुख्ता बंदोबस्त करने की सलाह दी है।यूपी में हाड़ कपाने वाली ठंड,​ बढ़ा ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा....

कानपुर शहर का पारा लगातार लुढ़कने से हार्ट अटैक के मरीज इतने ज्यादा बढ़ गए हैं कि 140 बेड वाले हृदय रोग संस्थान के सभी बेड एक महीने से फुल हैं। 25 से 30 अतिरिक्त मरीजों को विशेष ट्रालियों, स्ट्रेचर पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है। हृदय रोगियों के प्रदेश के इस सबसे बड़े अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती कराए गए घाटमपुर के सियाराम (55) और शारदा नगर की लक्ष्मी देवी (73) की मौत हो गई। सुबह से दोपहर तक तीन अन्य मरीजों की अस्पताल लाते समय मौत हो गई।

अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचते ही तीनों को ईसीजी करने के बाद मृत घोषित कर दिया गया। इसी तरह बनियापुरवा (नवाबगंज) निवासी सोना (65) को दोपहर में गंभीर हालत में हैलट इमरजेंसी ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। परिजनों ने बताया कि सोना को भोर पहर ठंड लगी। वह कंपकंपाने लगीं। दोपहर में हालत बिगड़ने पर गंभीर हालत में उन्हें हैलट लाया जा रहा था, पर रास्ते में ही वह बेहोश हो गईं थी। अस्पताल आने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

ब्लड प्रेशर साइलेंट किलर है, जो मनुष्य की आयु कम करता है। यह दिल को बहुत नुकसान पहुंचाता है और मृत्यु का कारण बनता है। जब ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो हार्ट को अधिक काम करना पड़ता है। इससे हार्ट फेल होने का खतरा रहता है। जानें किन चीजों को ध्यान में रख हम ब्लड प्रेशर कंट्रोल कर सकते हैं। 

यदि अठारह वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में सिस्टॉलिक 140 मिमी से अधिक तथा डायस्टॉलिक 90 मिमी से अधिक है तो रोगी हाई ब्लड प्रेशर की श्रेणी में आता है। 

– शुरूआती अवस्था में 2-3 मिनट के अंतराल के बाद, तीन रक्तचाप के नाप का औसत निकालकर नाप लिया जाता है। 
– ब्लड प्रेशर की जांच के आधे घंटे के पहले धूम्रपान, शराब, चाय, कॉफी या शारीरिक श्रम नहीं करना चाहिए। 
– रोगी को शांत वातावरण में पांच मिनट तक आराम से बैठने के बाद रक्तचाप की जांच करानी चाहिए।  

– छाती के बीच दर्द या असहज महसूस होना। 
– सांस लेने में परेशानी होना और उल्टी महसूस होना।
– बोलने या बातचीत करने में परेशानी होना। 
– चलने में कठिनाई और चक्कर आना।  
– शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी लगना। 

– बीपी बराबर चेक कराते रहना चाहिए। 
– हरी सब्जी और मौसमी फल का सेवन करें। 
– डायबिटीज को कंट्रोल करें और डॉक्टर की निगरानी में रहें। 
– डाइट, वजन और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करें। 
– नमक कम खाएं और मसालेदार भोजन से बचें। 
– अल्कोहल तथा तंबाकू के सेवन से बचें।  
– योग और ध्यान के साथ ही स्ट्रेस मैनेजमेंट करें। 
– नॉर्मल ब्लड प्रेशर 100 से 70 के बीच होता है लेकिन इसकी रेंज 120 से 90 तक होती है। 

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