आज का समय मॉर्डन टेक्नोलॉजी से निर्मित हो गया है जहां हम भविष्य के बारे पहले से ही सब कुछ जान लेते है लेकिन जरा सोचिये जब ये सब तकनीक नहीं होती थी उस समय लोग कैसे भविष्य के बारे में जान पाते होंगे. अगर मौसम की ही बात करे तो आज के समय में मौसम विशेषज्ञ पहले से ही बता देते है कि कब बारिश होगी और कब गर्मी होगी इसके साथ ही ऋतू-चक्र के बारे में भी वो हमें सारी जानकारी दें देते है लेकिन जरा सोचिये पहले के समय के लोग कैसे इस बारे में जानकारी हासिल करते होंगे. लेकिन हाल ही में कुछ विशेषज्ञों के इस बारे में पता लगा ही लिया कि आखिर कैसे पहले के समय में मौसम के बारे में पता लगाया जाता था. अमरीका के एरिजोना की मशहूर वेर्डे घाटी में कोकोनीनो नेशनल फॉरेस्ट कुछ चट्टानें मिली है. जब विशेषज्ञ इन चट्टानों पर पहुंचे तो उन्हें वहां पर कुछ चित्रकारी बनी हुई मिली. जानकारों ने इसके बारे में जब जांच की तो उन्हें पता चला की ये ऋतु-चक्र का केलिन्डर है. वहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि जब भी सूरज भू-मध्य रेखा से गुजरता था तो इस चट्टान पर उसकी रौशनी पड़ती थी और उस समय इस चट्टान की खूबसूरती देखने लायक थी. जब जानकारों ने इस चट्टानों को ध्यान से देखा तो इस पर हजार निशान बने हुए थे हिरण, सांप और उत्तरी अमरीका में पाए जाने वाले भेड़ियों की आकृतिया शामिल थी. ऐसा कहा जाता है कि ये सब प्राचीन काल में ऋतु चक्र मापने के लिए ही बनाया गया होगा. पहले ऐसा कहा जाता था कि ये सब एलियंस ने बनाया होगा लेकिन फिर किसी ने बताया कि आदिम समाज के लोग भी आकाशीय घटनाओं के बारे में जानकारी निकालते थे. रिसर्च में पाया गया कि 21 जून को इस चट्टानों के आधे से ज्यादा चित्रों पर रौशनी पड़ती थी और साल के सबसे छोटे दिन सूरज की रौशनी यहाँ नहीं आ रही थी. ऐसे में लोग ये अंदाज़ा लगाते थे कि मौसम में परिवर्तन हो रहा है.

ये है दुनिया की सबसे पुरानी घड़ी, समय के साथ-साथ बताती है भविष्य

आज का समय मॉर्डन टेक्नोलॉजी से निर्मित हो गया है जहां हम भविष्य के बारे पहले से ही सब कुछ जान लेते है लेकिन जरा सोचिये जब ये सब तकनीक नहीं होती थी उस समय लोग कैसे भविष्य के बारे में जान पाते होंगे. अगर मौसम की ही बात करे तो आज के समय में मौसम विशेषज्ञ पहले से ही बता देते है कि कब बारिश होगी और कब गर्मी होगी इसके साथ ही ऋतू-चक्र के बारे में भी वो हमें सारी जानकारी दें देते है लेकिन जरा सोचिये पहले के समय के लोग कैसे इस बारे में जानकारी हासिल करते होंगे. लेकिन हाल ही में कुछ विशेषज्ञों के इस बारे में पता लगा ही लिया कि आखिर कैसे पहले के समय में मौसम के बारे में पता लगाया जाता था.आज का समय मॉर्डन टेक्नोलॉजी से निर्मित हो गया है जहां हम भविष्य के बारे पहले से ही सब कुछ जान लेते है लेकिन जरा सोचिये जब ये सब तकनीक नहीं होती थी उस समय लोग कैसे भविष्य के बारे में जान पाते होंगे. अगर मौसम की ही बात करे तो आज के समय में मौसम विशेषज्ञ पहले से ही बता देते है कि कब बारिश होगी और कब गर्मी होगी इसके साथ ही ऋतू-चक्र के बारे में भी वो हमें सारी जानकारी दें देते है लेकिन जरा सोचिये पहले के समय के लोग कैसे इस बारे में जानकारी हासिल करते होंगे. लेकिन हाल ही में कुछ विशेषज्ञों के इस बारे में पता लगा ही लिया कि आखिर कैसे पहले के समय में मौसम के बारे में पता लगाया जाता था.    अमरीका के एरिजोना की मशहूर वेर्डे घाटी में कोकोनीनो नेशनल फॉरेस्ट कुछ चट्टानें मिली है. जब विशेषज्ञ इन चट्टानों पर पहुंचे तो उन्हें वहां पर कुछ चित्रकारी बनी हुई मिली. जानकारों ने इसके बारे में जब जांच की तो उन्हें पता चला की ये ऋतु-चक्र का केलिन्डर है. वहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि जब भी सूरज भू-मध्य रेखा से गुजरता था तो इस चट्टान पर उसकी रौशनी पड़ती थी और उस समय इस चट्टान की खूबसूरती देखने लायक थी. जब जानकारों ने इस चट्टानों को ध्यान से देखा तो इस पर हजार निशान बने हुए थे हिरण, सांप और उत्तरी अमरीका में पाए जाने वाले भेड़ियों की आकृतिया शामिल थी.    ऐसा कहा जाता है कि ये सब प्राचीन काल में ऋतु चक्र मापने के लिए ही बनाया गया होगा. पहले ऐसा कहा जाता था कि ये सब एलियंस ने बनाया होगा लेकिन फिर किसी ने बताया कि आदिम समाज के लोग भी आकाशीय घटनाओं के बारे में जानकारी निकालते थे. रिसर्च में पाया गया कि 21 जून को इस चट्टानों के आधे से ज्यादा चित्रों पर रौशनी पड़ती थी और साल के सबसे छोटे दिन सूरज की रौशनी यहाँ नहीं आ रही थी. ऐसे में लोग ये अंदाज़ा लगाते थे कि मौसम में परिवर्तन हो रहा है.

अमरीका के एरिजोना की मशहूर वेर्डे घाटी में कोकोनीनो नेशनल फॉरेस्ट कुछ चट्टानें मिली है. जब विशेषज्ञ इन चट्टानों पर पहुंचे तो उन्हें वहां पर कुछ चित्रकारी बनी हुई मिली. जानकारों ने इसके बारे में जब जांच की तो उन्हें पता चला की ये ऋतु-चक्र का केलिन्डर है. वहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि जब भी सूरज भू-मध्य रेखा से गुजरता था तो इस चट्टान पर उसकी रौशनी पड़ती थी और उस समय इस चट्टान की खूबसूरती देखने लायक थी. जब जानकारों ने इस चट्टानों को ध्यान से देखा तो इस पर हजार निशान बने हुए थे हिरण, सांप और उत्तरी अमरीका में पाए जाने वाले भेड़ियों की आकृतिया शामिल थी.

ऐसा कहा जाता है कि ये सब प्राचीन काल में ऋतु चक्र मापने के लिए ही बनाया गया होगा. पहले ऐसा कहा जाता था कि ये सब एलियंस ने बनाया होगा लेकिन फिर किसी ने बताया कि आदिम समाज के लोग भी आकाशीय घटनाओं के बारे में जानकारी निकालते थे. रिसर्च में पाया गया कि 21 जून को इस चट्टानों के आधे से ज्यादा चित्रों पर रौशनी पड़ती थी और साल के सबसे छोटे दिन सूरज की रौशनी यहाँ नहीं आ रही थी. ऐसे में लोग ये अंदाज़ा लगाते थे कि मौसम में परिवर्तन हो रहा है.

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