राम विलास पासवान के निधन के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट पर 14 दिसंबर को होगा उपचुनाव

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के संस्‍थापक व केंद्र के राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार में मंत्री रहे राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के निधन से खाली हुई राज्यसभा की सीट (Rajya Sabha Seat) पर 14 दिसंबर को उपचुनाव होने जा रहा है। लेकिन एनडीए में इस सीट पर दावेदारी को लेकर पेंच फंसा दिख रहा है। एलजेपी केंद्र में एनडीए का हिस्‍सा है, लेकिन बिहार में उसने अपने रास्‍ते अलग कर लिए हैं। एलजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) एवं उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) का खुला विरोध भी किया। ऐसे में जेडीयू इस सीट के एलेजपी के खाते में जाने का विरोध करेगा। इस उपचुनाव के साथ एनडीए में एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान (Chirag Paswan) का भविष्‍य भी तय होता दिख रहा है।

14 दिसंबर को होना है राज्‍यसभा का उपचुनाव

विदित हो कि चुनाव आयोग (Election Commission) विधानसभा कोटे से खाली हुई राम विलास पासवान की सीट के लिए उपचुनाव की अधिसूचना 26 नवंबर को जारी करेगा। इसके लिए तीन दिसंबर तक नामांकन तथा चार दिसंबर को स्क्रूटनी की तारीख तय है। सात दिसंबर तक नाम वापसी की अंतिम तारीख है। अगर एक से अधिक प्रत्‍याशी हुए तो 14 दिसंबर को वोटिंग होगी। उपचुनाव की सारी प्रक्रिया 16 दिसंबर तक पूरी कर लेनी है।

मां के लिए सीट चाहते चिराग, आसान नहीं राह

वस्तुत: यह भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सीट है, जिस पर समझौते के तहत लोकसभा चुनाव के बाद रामविलास पासवान को भेजा गया था। अब इस पर एलजेपी की नजर है। कहा जा रहा है कि चिराग पासवान इसे अपनी मां के लिए चाहते हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में एलजेपी की भूमिका को देखकर यह असंभव लग रहा है। बीजेपी अकेले यह सीट निकालने की हैसियत में नहीं है। इसके लिए उसे जेडीयू का सहयोग चाहिए। चिराग के नाम पर जेडीयू न तो साथ दे सकता है और न ही बीजेपी सहयोग मांग सकती है।

चरम पर पहुंच गई है जेडीयू एवं एलजेपी तल्खी

एनडीए ने सीटों के तालमेल के तहत लोकसभा चुनाव के बाद राम विलास पासवान को बिहार से राज्यसभा (Rajya Sabha) भेजा था। केंद्र में एनडीए में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ एलजेपी व जेडीयू का गठबंधन है, लेकिन बिहार में एलजेपी अब एनडीए का घटक दल नहीं है। एलजेपी ने विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्‍व को अस्‍वीकार करते हुए न केवल अपने रास्‍ते अलग कर लिए, बल्कि उसने जेडीयू के खिलाफ अपने प्रत्‍याशी भी खडे़ किए। इस कारण जेडीयू व एलजेपी के रिश्‍ते में काफी तल्खी आ गई है।

सवाल यह कि क्‍या विपक्ष की लग जाएगी लॉटरी? 

सवाल यह भी है कि एलजेपी नहीं तो किसके पास जाएगी यह सीट? ऐसे में जेडीयू व बीजेपी दोनों इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोक सकते हैं। विधानसभा चुनाव में बड़ा भाई बनकर उभरने वाले दल (बीजेपी) के साथ जेडीयू की भी इस सीट पर दावेदारी हो सकती है। जो भी हो, इतना तो तय है कि यह उपचुनाव एनडीए के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। इसके साथ केंंद्रीय स्‍तर पर भी एनडीए में एलजेपी की स्थिति तय हो जाएगी। एनडीए अगर एकमत नहीं हुआ तो विपक्ष की भी लॉटरी लग सकती है।

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