पुलिस जवान को चकमा देकर बांग्लादेशी घुसपैठिया अहमद अलमक्की रेलवे स्टेशन पहुंचा, यहां से झांसी जाने वाली ट्रेन में सवार हुआ। झांसी पहुंचने के बाद वह मुम्बई रूट पर जाने वाली ट्रेन में चढ़ गया। मनमाड़ (महाराष्ट्र) पहुंचने पर पता लगा कि यह हैदराबाद नहीं जाएगी।

मनमाड़ में उतरा और यहां से सिकंदराबाद हैदराबाद के लिए ट्रेन पकड़ी। हैदराबाद पहुंचते ही अपना हुलिया बदलने के लिए बाल और दाढ़ी कटवाई। वह अपने दोस्त की मदद से रोहिंग्या शरणार्थी के दस्तावेज बनवा रहा था। जिससे जल्द से जल्द देश छोड़कर निकल जाए। पर वह अपने इरादों में कामयाब हो सके उससे पहले ही ग्वालियर पुलिस ने उसकी घेराबंदी कर पकड़ लिया।

पुलिस ने मदद करने वाले इदरीश निवासी गुना को भी पकड़ लिया है। उसकी भूमिका की जांच चल रही है। पर पुलिस के हाथ से उसके भागने और हैदराबाद में पकड़े जाने के बीच कई सवाल हैं। जिनके जवाब अभी तक नहीं मिले हैं। जो पूरी कार्रवाई पर संदेह पैदा करते हैं।

यह है मामला

21 सितंबर 2014 को पड़ाव थानाक्षेत्र स्थित स्टेशन बजरिया में बांग्लादेशी पासपोर्ट पर सिम खरीदने के प्रयास करते हुए एक अहमद अलमक्की को पुलिस ने पकड़ा था। उसके पास से बांग्लादेश का पासपोर्ट, सऊदी अरब का ड्राइविंग लाइसेंस मिला था।

पूछताछ में उसने सउदी अरब से बांग्लादेश ढाका आने और उसके बाद दलाल के माध्यम से भारत में घुसने की बात कबूली थी। जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कोर्ट में पेश किया। जहां से 37 महीने की सजा के बाद वह 23 अक्टूबर 2017 को रिहा हुआ।

कोर्ट ने उसको रिहा करने के साथ ही पुलिस को निर्देशित किया था कि उसको उसके देश वापस पहंुचाने का इंतजाम किया जाए। यही कारण था कि अक्टूबर 2017 से भागने तक वह 8 महीने पुलिस उसे डिटेन कर रही थी। पर इसी बीच 12 जून की रात 9 बजे वह महलगांव मस्जिद से लौटते समय पड़ाव थानाक्षेत्र के एलआईसी तिराहा पर पुलिस जवान को चकमा देकर भाग गया।

इस्माइल और इदरीश बने मददगार

सेन्ट्रल जेल में सजा काटने के दौरान अलमक्की की दोस्ती गुना निवासी इदरीश खां से हुई थी। उस समय इदरीश भी एक अपहरण कांड के मामले में जेल में आया था। दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई। दोनों ने बाहर निकलकर एक दूसरे की मदद का वादा किया था। अलमक्की पहले बाहर निकला था। इसके बाद उसने पड़ाव थाने में सिपाही से नजदीकियां बढ़ाकर दोस्ती कर ली। उसके बाद मोबाइल व इंटरनेट का उपयोग कर हैदराबाद के सुलेमान नगर एमएम पहाड़ी राजेन्द्र नगर निवासी इस्माइल से संपर्क किया। इस्माइल से नेटवर्क सेट करने के बाद उसने भागने की योजना बनाई। इसमें इदरीश ने मदद की।

सऊदी अरब से हो रही थी फंडिंग

एएसपी क्राइम पंकज पांडे ने बताया कि अलमक्की को फंडिंग उसका भाई ताहिर सऊदी अरब से कर रहा था। उसने इस्माइल के खाते में 56,700 रुपए डाले। इस्माइल के चाचा व अलमक्की का भाई सऊदी अरब के खलीदिया में पड़ोसी हैं। इस्माइल ने यह रकम इदरीश के खाते में डाली। वह उसे लेकर एजी पुल के नीचे किसी धार्मिक स्थल पर पहुंचा और यहां से अलमक्की को दिए। इदरीश ने ही लैपटॉप, टेब दिलाए।

लौटने में क्या है परेशानी

पुलिस ने बताया कि अलमक्की के पिता अरबी व मां बर्मी शरणार्थी (म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमान) से थी। इसलिए पिता की मौत के बाद उसे किसी भी भाई बहन व समाज ने नहीं अपनाया। जवान होने तक वह वहीं रहा। उसके बाद उसे बांग्लादेश का मानकर वहां भेज दिया। वह कुछ साल बांग्लादेश में रहा। यहां एक एजेंट ने पासपोर्ट बनवा दिया। पर यहां का रहन सहन और भाषा कम समझ आई तो उसने एक एजेंट से भारत आने की जुगाड़ लगाई। एजेंट ने भारत पहुंचा दिया। पर उसका पासपोर्ट उसी के पास रह गया। अब उसे सऊदी अरब और बांग्लादेश कोई अपना नहीं मान रहा है।

क्या होगी कार्रवाई

जब चार साल पहले अलमक्की पकड़ा था तो उस पर विदेशी अधिनयम, पासपोर्ट के नियम के उल्लंघन का मामला विदेशी अधिनियम धारा 3 के तहत दर्ज था। अब जब डिटेंशन में था और भागा तो उसमें धारा 4 और लगेगी। दोनों ही अपराधों में सजा में ज्यादा अंदर नहीं है।

अब बनेंगे नए आरोपी

अलमक्की को भगाने में मदद करने वाले भी उसके मामले में आरोपी बनेंगे। जिनमें इदरीश, इस्माइल और अन्य बीच के 5 लोगों के नाम सामने आए हैं। जिनकी भूमिका की जांच के बाद पुलिस उनके नाम एफआईआर में बढ़ा सकती है।

अलमक्की के भागने से पकड़े जाने तक कई सवाल, नहीं हैं जवाब

अलमक्की के भागने की घटना से लेकर उसके पकड़े जाने तक घटनाक्रम, पुलिस की जांच और कार्रवाई संदेह के घेरे में रही है। कुछ सवाल जो पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हैं। जिनके जवाब कोई भी नहीं दे पा रहा है।

-अलमक्की के भागने के स्पॉट को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। एलआईसी तिराहा पुलिस ने बताया है, लेकिन सूत्रों से उसके थाने से भागने की चर्चा है।

-कैसे भागा इसको लेकर भी गफलत है। पुलिस ने कहानी सुनाई कि वह भागकर स्टेशन पहुंचा। मतलब वह एलआईसी तिराहा से थाने के सामने होकर निकला या स्टेशन चौकी के सामने से और पुलिस उसे तलाश नहीं कर पाई। इससे साफ है कि वह थाने से भागा और सीधे प्लेटफार्म चार की तरफ से स्टेशन पहुंचा।

– घटना के बाद तत्काल किसी भी पुलिसकर्मी पर कार्रवाई नहीं। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद एसपी का एक्शन क्यों नहीं। हाइवे पर ट्रकों के पास खड़े दिखने पर भी पुलिस जवान को वसूली करने के संदेह में लाइन भेज दिया जाता है।

– अलमक्की के भागने के बाद एएसपी क्राइम को जांच दी गई। 12 दिन में जांच ही पूरी नहीं हो सकी। जबकि पुलिस ने आरोपी को हैदराबाद से पकड़कर खुलासा कर दिया। यह भी अपने-आप में संदेह के घेरे में डालता है। अब आरोपी पकड़ा गया तो जांच का महत्व खास नहीं रह जाता। तो कार्रवाई दूर की बात है।

– अलमक्की के पकड़े जाने का खुलासा करने पुलिस कप्तान खुद नहीं आए। जबकि जब से वह शहर मंे आए हैं यदि मोबाइल लुटेरे भी पकड़े जाते हैं तो वह मीडिया से खुद रूबरू होते हैं। पर अलमक्की के खुलासे के समय नहीं आकर वह सवालों से बच गए।

बुरखा पहनकर घूमे पुलिसकर्मी, तब पकड़ा अलमक्की

पुलिस जवान दो दिन से हैदराबाद में डेरा डाले हुए थे। अलमक्की को पकड़ने के लिए उन्होंने बुरखा पहनकर आसपास के इलाके में सर्चिंग की। जब अलमक्की को पकड़ा तो भी पुलिस उसके पास तक बुरखे में ही गई।

दावा सैन्य या अन्य प्रतिबंधित क्षेत्र में नहीं घूमा

पुलिस का दावा है कि अलमक्की के देश के किसी भी सैन्य या प्रतिबंधित एरिया में घुसने के सबूत नहीं मिले हैं। पर पुलिस उसका लैपटॉप और उसमें डिटेल को अभी तक डीकोड नहीं कर सकी है। सोमवार को आईबी, डीएसबी व इंटेलीजेंस के कई अफसरों से बारी-बारी से पूछताछ की है।