विनायक चतुर्थी पर करें गणेश जी के इन मंत्रों का जाप से,कैसे पूरी होगी मन की सभी इच्छाएं

हिंदी पंचांग के प्रत्येक माह की दोनों चतुर्थी तिथियां भगवान गणेश के पूजन को समर्पित कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। मार्गशीर्ष या अगहन माह की विनायक चतुर्थी 07 दिसंबर, दिन मंगलवार को पड़ रही है। मंगलवार के दिन होने के कारण ये अंगारकी चतुर्थी के संयोग का निर्माण कर रही है। इस दिन भगवान गणेश का पूजन मंगलदायक होता है। साथ ही इस दिन भगवान गणेश को दूर्वा और लाल रंग के फूल अर्पित करने से मंगलदोष से भी मुक्ति मिलती है।

इस दिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही गणपति बप्पा के निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ है। अत: विनायक चतुर्थी के दिन गणेशोउत्सव मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन सच्ची श्रद्धा से विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा-उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए, विनायक चतुर्थी की पूजा विधि और मंत्र जानते हैं-

गणेश जी का पूजन दोपहर या मध्यान में करना चाहिए। इस दिन पूजन में लाल या पीले रंग के कपड़े पहने आपकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी। अंगारकी विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश से मनवाक्षिंत फल पाने के लिए इन मंत्रों का जाप करें। विनायक गणेश अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं।

1- गणेश वंदना का मंत्र –

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।

उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥

2- गणेश जी का गायत्री मंत्र –

ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।

3- धन प्राप्ति का गणेश जी का कुबेर मंत्र –

ऊँ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा.

4- निर्विघ्न कार्य संपन्न होने का मंत्र –

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।

निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा॥

5- बाधांए दूर करने का मंत्र –

एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं

विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥

6- अभीष्ट फल प्राप्ति का मंत्र –

नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं।

गजाननं भास्करमेकदन्तं लम्बोदरं वारिभावसनं च॥

7- डर या भय से मुक्ति का मंत्र-

रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।

भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्॥

8- विद्या, कला, गुण की प्राप्ति का मंत्र-

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।

नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥

 

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