एसपी पीलीभीत ने आज सुबह दस बजे विधान परिषद सभापति के कक्ष में हुई बैठक में बिना शर्त मौखिक और लिखित माफी मांगी । जिसके बाद सभापति ने उन्हें माफ़ कर दिया। बताया गया कि सदन में उपस्थित होने के कारण उन्हें माफ़ कर दिया गया है। बताते चलें कि विधान परिषद के सभापति रमेश यादव ने विशेषाधिकार हनन के मामले में पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक (एसपी) बालेन्दु भूषण सिंह को बुधवार को सदन में तलब किया गया था। सदन में इस मामले को सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने उठाया था। शतरुद्र ने बताया कि पीलीभीत के थाना बीसलपुर में बीती 17 अगस्त को दर्ज हुई एक एफआइआर के सिलसिले में वह 21 अगस्त को विधान परिषद सभापति से बातचीत करने गए थे। उनके आग्रह पर सभापति ने सच्चाई जानने के लिए पीलीभीत के एसपी को दोपहर लगभग तीन बजे फोन मिलवाया। उधर से बताया गया कि एसपी, जिलाधिकारी के साथ दौरे पर हैं। इस पर सभापति ने डीएम को फोन मिलवाया। डीएम से कहा गया कि वह एसपी की सभापति से बात करवायें। डीएम ने एसपी को फोन दिया लेकिन, उन्होंने सभापति से बात करने की बजाय फोन काट दिया। फिर सभापति ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को मामले की जानकारी दी तो उन्होंने खुद एसपी को फोन मिलवाया लेकिन, बात नहीं हो सकी। बकौल शतरुद्र, कुछ समय बाद जब बात हुई तो एसपी ने सभापति से फोन पर कहा कि 'इस मामले में कई एमएलसी फोन कर चुके हैं, आज मौर्य (आशय केशव प्रसाद मौर्य से) का भी फोन आया था लेकिन, मैं तो उसे (एफआइआर से संबंधित कोई व्यक्ति) हर हाल में बड़े घर (जेल) भेजूंगा। उन्होंने एसपी के व्यवहार को सभापति की गरिमा और सदन के विशेषाधिकार हनन का कृत्य बताते हुए उन्हें सदन में बुलाकर दंडित करने की मांग की। खुद सभापति को इस घटना का उल्लेख करना पड़ा। स्वतंत्रता दिवस पर छह पुलिसकर्मियों को राष्ट्रपति का पुलिस पदक, 70 को सराहनीय सेवा मेडल यह भी पढ़ें सभी दलों के सदस्य एसपी को सदन में बुलाकर दंडित करने की मांग पर एकमत थे। नेता सदन डॉ.दिनेश शर्मा की अनुपस्थिति में उनका दायित्व संभाल रहे कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सभापति से अनुरोध किया कि एसपी को सदन में बुलाने से पहले एक बार वह उन्हें बुलाकर उनका पक्ष जान लें। इस पर विपक्षी दलों के सदस्यों ने तीखी आपत्ति जतायी। अंतत: सभापति ने सरकार को निर्देश दिया कि एसपी पीलीभीत को बुधवार दोपहर एक बजे सदन की बैठक में उपस्थित कराया जाए। पीलीभीत के 75वें कप्तान के रूप में बालेन्दु भूषण सिंह को पीलीभीत का चार्ज मिला। 15 जून 1963 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में जन्मे बालेन्दु भूषण सिंह 2009 कैडर बैच के आईपीएस हैं। उन्होंने एमए जियोग्राफी में अपनी शिक्षा ग्रहण की है। प्रतापगढ़ के रजवाड़े खानदान से ताल्लुख रखने वाले बालेन्दु भूषण सिंह की गिनती प्रदेश के तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों के तौर पर मानी जाती है। इससे पहले यह कई जिलों की कप्तानी सम्भाल चुके हैं और उनकी कार्यशैली के मद्देनज़र उन्हें इस बार पीलीभीत का चार्ज सौंपा गया है

विशेषाधिकार हननः बिना शर्त लिखित माफी मांगने पर छूटे पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक

एसपी पीलीभीत ने आज सुबह दस बजे विधान परिषद सभापति के कक्ष में हुई बैठक में बिना शर्त मौखिक और लिखित माफी मांगी । जिसके बाद सभापति ने उन्हें माफ़ कर दिया। एसपी पीलीभीत ने आज सुबह दस बजे विधान परिषद सभापति के कक्ष में हुई बैठक में बिना शर्त मौखिक और लिखित माफी मांगी । जिसके बाद सभापति ने उन्हें माफ़ कर दिया। बताया गया कि  सदन में उपस्थित होने के कारण उन्हें माफ़ कर दिया गया है।    बताते चलें कि विधान परिषद के सभापति रमेश यादव ने विशेषाधिकार हनन के मामले में पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक (एसपी) बालेन्दु भूषण सिंह को बुधवार को सदन में तलब किया गया था। सदन में इस मामले को सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने उठाया था।  शतरुद्र ने बताया कि पीलीभीत के थाना बीसलपुर में बीती 17 अगस्त को दर्ज हुई एक एफआइआर के सिलसिले में वह 21 अगस्त को विधान परिषद सभापति से बातचीत करने गए थे। उनके आग्रह पर सभापति ने सच्चाई जानने के लिए पीलीभीत के एसपी को दोपहर लगभग तीन बजे फोन मिलवाया। उधर से बताया गया कि एसपी, जिलाधिकारी के साथ दौरे पर हैं। इस पर सभापति ने डीएम को फोन मिलवाया। डीएम से कहा गया कि वह एसपी की सभापति से बात करवायें।  डीएम ने एसपी को फोन दिया लेकिन, उन्होंने सभापति से बात करने की बजाय फोन काट दिया। फिर सभापति ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को मामले की जानकारी दी तो उन्होंने खुद एसपी को फोन मिलवाया लेकिन, बात नहीं हो सकी। बकौल शतरुद्र, कुछ समय बाद जब बात हुई तो एसपी ने सभापति से फोन पर कहा कि 'इस मामले में कई एमएलसी फोन कर चुके हैं, आज मौर्य (आशय केशव प्रसाद मौर्य से) का भी फोन आया था लेकिन, मैं तो उसे (एफआइआर से संबंधित कोई व्यक्ति) हर हाल में बड़े घर (जेल) भेजूंगा। उन्होंने एसपी के व्यवहार को सभापति की गरिमा और सदन के विशेषाधिकार हनन का कृत्य बताते हुए उन्हें सदन में बुलाकर दंडित करने की मांग की। खुद सभापति को इस घटना का उल्लेख करना पड़ा।   स्वतंत्रता दिवस पर छह पुलिसकर्मियों को राष्ट्रपति का पुलिस पदक, 70 को सराहनीय सेवा मेडल यह भी पढ़ें सभी दलों के सदस्य एसपी को सदन में बुलाकर दंडित करने की मांग पर एकमत थे। नेता सदन डॉ.दिनेश शर्मा की अनुपस्थिति में उनका दायित्व संभाल रहे कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सभापति से अनुरोध किया कि एसपी को सदन में बुलाने से पहले एक बार वह उन्हें बुलाकर उनका पक्ष जान लें। इस पर विपक्षी दलों के सदस्यों ने तीखी आपत्ति जतायी। अंतत: सभापति ने सरकार को निर्देश दिया कि एसपी पीलीभीत को बुधवार दोपहर एक बजे सदन की बैठक में उपस्थित कराया जाए।  पीलीभीत के 75वें कप्तान के रूप में बालेन्दु भूषण सिंह को पीलीभीत का चार्ज मिला। 15 जून 1963 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में जन्मे बालेन्दु भूषण सिंह 2009 कैडर बैच के आईपीएस हैं। उन्होंने एमए जियोग्राफी में अपनी शिक्षा ग्रहण की है। प्रतापगढ़ के रजवाड़े खानदान से ताल्लुख रखने वाले बालेन्दु भूषण सिंह की गिनती प्रदेश के तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों के तौर पर मानी जाती है। इससे पहले यह कई जिलों की कप्तानी सम्भाल चुके हैं और उनकी कार्यशैली के मद्देनज़र उन्हें इस बार पीलीभीत का चार्ज सौंपा गया है

बताया गया कि 
सदन में उपस्थित होने के कारण उन्हें माफ़ कर दिया गया है। 

बताते चलें कि विधान परिषद के सभापति रमेश यादव ने विशेषाधिकार हनन के मामले में पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक (एसपी) बालेन्दु भूषण सिंह को बुधवार को सदन में तलब किया गया था। सदन में इस मामले को सपा सदस्य शतरुद्र प्रकाश ने उठाया था।

शतरुद्र ने बताया कि पीलीभीत के थाना बीसलपुर में बीती 17 अगस्त को दर्ज हुई एक एफआइआर के सिलसिले में वह 21 अगस्त को विधान परिषद सभापति से बातचीत करने गए थे। उनके आग्रह पर सभापति ने सच्चाई जानने के लिए पीलीभीत के एसपी को दोपहर लगभग तीन बजे फोन मिलवाया। उधर से बताया गया कि एसपी, जिलाधिकारी के साथ दौरे पर हैं। इस पर सभापति ने डीएम को फोन मिलवाया। डीएम से कहा गया कि वह एसपी की सभापति से बात करवायें।

डीएम ने एसपी को फोन दिया लेकिन, उन्होंने सभापति से बात करने की बजाय फोन काट दिया। फिर सभापति ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को मामले की जानकारी दी तो उन्होंने खुद एसपी को फोन मिलवाया लेकिन, बात नहीं हो सकी। बकौल शतरुद्र, कुछ समय बाद जब बात हुई तो एसपी ने सभापति से फोन पर कहा कि ‘इस मामले में कई एमएलसी फोन कर चुके हैं, आज मौर्य (आशय केशव प्रसाद मौर्य से) का भी फोन आया था लेकिन, मैं तो उसे (एफआइआर से संबंधित कोई व्यक्ति) हर हाल में बड़े घर (जेल) भेजूंगा। उन्होंने एसपी के व्यवहार को सभापति की गरिमा और सदन के विशेषाधिकार हनन का कृत्य बताते हुए उन्हें सदन में बुलाकर दंडित करने की मांग की। खुद सभापति को इस घटना का उल्लेख करना पड़ा।

सभी दलों के सदस्य एसपी को सदन में बुलाकर दंडित करने की मांग पर एकमत थे। नेता सदन डॉ.दिनेश शर्मा की अनुपस्थिति में उनका दायित्व संभाल रहे कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने सभापति से अनुरोध किया कि एसपी को सदन में बुलाने से पहले एक बार वह उन्हें बुलाकर उनका पक्ष जान लें। इस पर विपक्षी दलों के सदस्यों ने तीखी आपत्ति जतायी। अंतत: सभापति ने सरकार को निर्देश दिया कि एसपी पीलीभीत को बुधवार दोपहर एक बजे सदन की बैठक में उपस्थित कराया जाए।

पीलीभीत के 75वें कप्तान के रूप में बालेन्दु भूषण सिंह को पीलीभीत का चार्ज मिला। 15 जून 1963 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में जन्मे बालेन्दु भूषण सिंह 2009 कैडर बैच के आईपीएस हैं। उन्होंने एमए जियोग्राफी में अपनी शिक्षा ग्रहण की है। प्रतापगढ़ के रजवाड़े खानदान से ताल्लुख रखने वाले बालेन्दु भूषण सिंह की गिनती प्रदेश के तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों के तौर पर मानी जाती है। इससे पहले यह कई जिलों की कप्तानी सम्भाल चुके हैं और उनकी कार्यशैली के मद्देनज़र उन्हें इस बार पीलीभीत का चार्ज सौंपा गया है

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