गर्मी के दिन में बाहर जाने पर सूर्य की किरणों से मिलने वाले विटामिन डी के कारण हमारे शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ जाता है जिसके दुष्परिणाम के तौर पर इंसान को कई शारीरिक और कभी कभी मानसिक बीमारियों से भी जूझना पड़ सकता हैं.ऐसा देखा गया हैं कि महिलाओ के शरीर में विटामिन डी की मात्रा बढ़ने से उनमे उदासी के साथ तनाव के लक्षण भी देखने को मिलते हैं. विटामिन डी की अधिकता से शरीर की इम्युनिटी कम होने लगती है,हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं,आंत में सूजन और घाव होने के चांस बढ़ जाते हैं,कमर और शरीर के निचले हिस्सों में दर्द रहता हैं, ब्लड प्रेशर बढ़ने,समय से पहले वृद्ध दिखाई देने,मसूड़ों संबंधी बीमारियां,वायरल इंफेक्शन होने के चांस और आंत की पाचन क्षमता भी कमजोर होने जैसी कई घातक बीमारियों का खतरा बढ़ता है. डॉक्टरों के अनुसार 50 नैनोग्राम/मिली अच्छा विटामिन डी स्तर माना जाता है पर अगर शरीर में विटामिन डी का स्तर 800-900 नैनोग्राम/मिली तक पहुंच जाता हैं तो ऐसे में किडनी फंक्शन से लेकर मेटाबॉलिज्म तक पर असर पड़ सकता है. वैसे तो बहुत ही कम मामलों में विटामिन डी इस लेवल तक जा पाता है. यदि दिनभर थकान या शरीर में दर्द रहता तो डाक्टर से विटामिन डी की जांच करवाएं.

शरीर में विटामिन डी के बढ़ने से होते है यह दुष्परिणाम

गर्मी के दिन में बाहर जाने पर सूर्य की किरणों से मिलने वाले विटामिन डी के कारण हमारे शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ जाता है  जिसके दुष्परिणाम के तौर पर इंसान को कई शारीरिक और कभी कभी मानसिक बीमारियों से भी जूझना पड़ सकता हैं.ऐसा देखा गया हैं कि महिलाओ के शरीर में विटामिन डी की मात्रा बढ़ने से उनमे उदासी के साथ तनाव के लक्षण भी देखने को मिलते हैं. गर्मी के दिन में बाहर जाने पर सूर्य की किरणों से मिलने वाले विटामिन डी के कारण हमारे शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ जाता है  जिसके दुष्परिणाम के तौर पर इंसान को कई शारीरिक और कभी कभी मानसिक बीमारियों से भी जूझना पड़ सकता हैं.ऐसा देखा गया हैं कि महिलाओ के शरीर में विटामिन डी की मात्रा बढ़ने से उनमे उदासी के साथ तनाव के लक्षण भी देखने को मिलते हैं.     विटामिन डी की अधिकता से शरीर की इम्युनिटी कम होने लगती है,हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं,आंत में सूजन और घाव होने के चांस बढ़ जाते हैं,कमर और शरीर के निचले हिस्सों में दर्द रहता हैं, ब्लड प्रेशर बढ़ने,समय से पहले वृद्ध दिखाई देने,मसूड़ों संबंधी बीमारियां,वायरल इंफेक्शन होने के चांस और आंत की पाचन क्षमता भी कमजोर होने जैसी कई घातक बीमारियों का खतरा बढ़ता है.      डॉक्टरों के अनुसार 50 नैनोग्राम/मिली अच्छा विटामिन डी स्तर माना जाता है पर अगर शरीर में विटामिन डी का स्तर 800-900 नैनोग्राम/मिली तक पहुंच जाता हैं तो ऐसे में किडनी फंक्शन से लेकर मेटाबॉलिज्म तक पर असर पड़ सकता है. वैसे तो बहुत ही कम मामलों में विटामिन डी इस लेवल तक जा पाता है. यदि दिनभर थकान या शरीर में दर्द रहता तो डाक्टर से विटामिन डी की जांच करवाएं.

विटामिन डी की अधिकता से शरीर की इम्युनिटी कम होने लगती है,हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं,आंत में सूजन और घाव होने के चांस बढ़ जाते हैं,कमर और शरीर के निचले हिस्सों में दर्द रहता हैं, ब्लड प्रेशर बढ़ने,समय से पहले वृद्ध दिखाई देने,मसूड़ों संबंधी बीमारियां,वायरल इंफेक्शन होने के चांस और आंत की पाचन क्षमता भी कमजोर होने जैसी कई घातक बीमारियों का खतरा बढ़ता है.  
डॉक्टरों के अनुसार 50 नैनोग्राम/मिली अच्छा विटामिन डी स्तर माना जाता है पर अगर शरीर में विटामिन डी का स्तर 800-900 नैनोग्राम/मिली तक पहुंच जाता हैं तो ऐसे में किडनी फंक्शन से लेकर मेटाबॉलिज्म तक पर असर पड़ सकता है. वैसे तो बहुत ही कम मामलों में विटामिन डी इस लेवल तक जा पाता है. यदि दिनभर थकान या शरीर में दर्द रहता तो डाक्टर से विटामिन डी की जांच करवाएं.

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