नोटबंदी को लेकर शुक्रवार को एक बार फिर शिवसेना ने भाजपा निशाना साधा है। वर्ष 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद कराने को लेकर शिवसेना ने कहा कि इससे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था सुस्‍त पड़ गई। इससे पहले पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि सरकार अब इस तथ्य को कैसे नकार सकती है नोटबंदी से देश को नुकसान नहीं हुआ। संजय राउत ने कहा कि आरबीआई की रिपोर्ट से गहरा धक्का लगा है। नोटबंदी के दौरान सैकड़ों की संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। यह एक बड़ा अपराध है। शिवसेना की मांग है कि आरबीआई की रिपोर्ट पर संसद में बहस करायी जाए। जल्दबाजी में यह बेकार की सलाह 'देशभक्ति' नहीं थी बल्कि इससे देश में आर्थिक अराजकता पैदा हुई जो बाद में हुए विकास से साबित हो गया। पार्टी के मुखपत्र सामना ओर दोपहर का सामना में छपे संपादकीय में कहा गया है कि नोटबंदी की घोषणा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया कि वे काला धन, नकली नोटों, आतंकवाद और भ्रष्‍ट्राचार को इसके जरिए खत्‍म कर देंगे लेकिन इसका विपरीत असर हुआ। पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों पर शिवसेना का भाजपा पर तंज यह भी पढ़ें ‘आरबीआई के लेटेस्‍ट रिपोर्ट के अनुसार 1.47 लाख करोड़ या 99.30 फीसद नोट वापस लौट गए। करीब 10,000 करोड़ की रकम वापस नहीं आई। इसका पतलब है कि पहाड़ खोदा गया लेकिन एक चूहा तक इससे बाहर नहीं आया लेकिन देश की अर्थव्‍यवस्‍था क्षत-विक्षत हो गई।’ सरकार ने नए करेंसी नोटों की छपाई के लिए 15,000 करोड़ से अधिक रकम खर्च कर दी। सेना ने आगे कहा, ‘नोटबंदी का परिणाम यह हुआ की देश को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा, छोटे और मध्‍यम उद्योग समाप्‍त हो गए, सर्विस सेक्‍टर को भी संकट से जूझना पड़ा, हाउसिंग इंडस्‍ट्री भी लटक गई, छोटे और मझोले किसानों को संघर्ष करना पड़ा बैंक और एटीएम की लाइनों में खड़े सैंकड़ों जीवन समाप्‍त हो गए।’

शिवसेना का भाजपा पर हमला, कहा- नोटबंदी से चरमरा गई भारत की अर्थव्‍यवस्‍था

नोटबंदी को लेकर शुक्रवार को एक बार फिर शिवसेना ने भाजपा निशाना साधा है। वर्ष 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद कराने को लेकर शिवसेना ने कहा कि इससे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था सुस्‍त पड़ गई।नोटबंदी को लेकर शुक्रवार को एक बार फिर शिवसेना ने भाजपा निशाना साधा है। वर्ष 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद कराने को लेकर शिवसेना ने कहा कि इससे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था सुस्‍त पड़ गई।   इससे पहले पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि सरकार अब इस तथ्य को कैसे नकार सकती है नोटबंदी से देश को नुकसान नहीं हुआ। संजय राउत ने कहा कि आरबीआई की रिपोर्ट से गहरा धक्का लगा है। नोटबंदी के दौरान सैकड़ों की संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। यह एक बड़ा अपराध है। शिवसेना की मांग है कि आरबीआई की रिपोर्ट पर संसद में बहस करायी जाए। जल्दबाजी में यह बेकार की सलाह 'देशभक्ति' नहीं थी बल्कि इससे देश में आर्थिक अराजकता पैदा हुई जो बाद में हुए विकास से साबित हो गया।  पार्टी के मुखपत्र सामना ओर दोपहर का सामना में छपे संपादकीय में कहा गया है कि नोटबंदी की घोषणा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया कि वे काला धन, नकली नोटों, आतंकवाद और भ्रष्‍ट्राचार को इसके जरिए खत्‍म कर देंगे लेकिन इसका विपरीत असर हुआ।    पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतों पर शिवसेना का भाजपा पर तंज यह भी पढ़ें ‘आरबीआई के लेटेस्‍ट रिपोर्ट के अनुसार 1.47 लाख करोड़ या 99.30 फीसद नोट वापस लौट गए। करीब 10,000 करोड़ की रकम वापस नहीं आई। इसका पतलब है कि पहाड़ खोदा गया लेकिन एक चूहा तक इससे बाहर नहीं आया लेकिन देश की अर्थव्‍यवस्‍था क्षत-विक्षत हो गई।’ सरकार ने नए करेंसी नोटों की छपाई के लिए 15,000 करोड़ से अधिक रकम खर्च कर दी।  सेना ने आगे कहा, ‘नोटबंदी का परिणाम यह हुआ की देश को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा, छोटे और मध्‍यम उद्योग समाप्‍त हो गए, सर्विस सेक्‍टर को भी संकट से जूझना पड़ा, हाउसिंग इंडस्‍ट्री भी लटक गई, छोटे और मझोले किसानों को संघर्ष करना पड़ा बैंक और एटीएम की लाइनों में खड़े सैंकड़ों जीवन समाप्‍त हो गए।’

इससे पहले पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि सरकार अब इस तथ्य को कैसे नकार सकती है नोटबंदी से देश को नुकसान नहीं हुआ। संजय राउत ने कहा कि आरबीआई की रिपोर्ट से गहरा धक्का लगा है। नोटबंदी के दौरान सैकड़ों की संख्या में लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। यह एक बड़ा अपराध है। शिवसेना की मांग है कि आरबीआई की रिपोर्ट पर संसद में बहस करायी जाए। जल्दबाजी में यह बेकार की सलाह ‘देशभक्ति’ नहीं थी बल्कि इससे देश में आर्थिक अराजकता पैदा हुई जो बाद में हुए विकास से साबित हो गया।

पार्टी के मुखपत्र सामना ओर दोपहर का सामना में छपे संपादकीय में कहा गया है कि नोटबंदी की घोषणा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया कि वे काला धन, नकली नोटों, आतंकवाद और भ्रष्‍ट्राचार को इसके जरिए खत्‍म कर देंगे लेकिन इसका विपरीत असर हुआ।

‘आरबीआई के लेटेस्‍ट रिपोर्ट के अनुसार 1.47 लाख करोड़ या 99.30 फीसद नोट वापस लौट गए। करीब 10,000 करोड़ की रकम वापस नहीं आई। इसका पतलब है कि पहाड़ खोदा गया लेकिन एक चूहा तक इससे बाहर नहीं आया लेकिन देश की अर्थव्‍यवस्‍था क्षत-विक्षत हो गई।’ सरकार ने नए करेंसी नोटों की छपाई के लिए 15,000 करोड़ से अधिक रकम खर्च कर दी।

सेना ने आगे कहा, ‘नोटबंदी का परिणाम यह हुआ की देश को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा, छोटे और मध्‍यम उद्योग समाप्‍त हो गए, सर्विस सेक्‍टर को भी संकट से जूझना पड़ा, हाउसिंग इंडस्‍ट्री भी लटक गई, छोटे और मझोले किसानों को संघर्ष करना पड़ा बैंक और एटीएम की लाइनों में खड़े सैंकड़ों जीवन समाप्‍त हो गए।’

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