श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2017: जानिए किस प्रकार से कान्हा जी को पसंद है श्रृंगार और प्रसाद

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2017: जानिए किस प्रकार से कान्हा जी को पसंद है श्रृंगार और प्रसाद

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है. जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है. यही नहीं पूजन करने वाले जातक को दीर्घायु का वरदान मिलता है और समृद्धि की प्राप्ति होती है. जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वे जन्माष्टमी पर विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं.श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2017: जानिए किस प्रकार से कान्हा जी को पसंद है श्रृंगार और प्रसादश्री कृष्णजन्माष्टमी 2017 : जानिए तिथि, मुहूर्त, नियम और महत्व

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव हमें अपने पूरे परिवार के साथ आनंद से मनाना चाहिए. प्रात:काल स्नान करके घर स्वच्छ कर लड्डू गोपाल की मूर्ति को चांदी अथवा लकड़ी के पटिए पर स्थापित करना चाहिए.

कैसा हो श्रृंगार

– श्री कृष्ण को श्रृंगार बेहद पसंद है. इसलिए आप उनके जन्मदिवस पर उनका खूब प्यार से श्रृंगार करें. श्रृंगार में फूलों का खूब प्रयोग करें.

– खासतौर से पीले रंग के वस्त्र, गोपी चन्दन और चन्दन की सुगंध से इनका श्रृंगार करें.

– श्री कृष्ण के श्रृंगार में इस बात का ध्यान रखें कि वस्त्र से लेकर गहनों तक कुछ भी काला नहीं होना चाहिए. काले रंग का प्रयोग बिल्कुल न करें.

– वैसे तो आप श्री कृष्ण पर पीले फूल चढ़ा सकते हैं. लेकिन अगर वैजयंती के फूल कृष्ण जी को अर्पित किये जाएं तो सर्वोत्तम होगा.

क्या होगा इनका प्रसाद

जन्माष्टमी के दिन लोग कान्हा को कई तरह के पकवान चढ़ाते हैं. कुछ लोग उनके लिए मॉडर्न जमाने का नाश्ता भी बनाते हैं. लेकिन, जन्मदिवस के दिन श्री कृष्ण को ऐसी चीजें चढ़ाना सर्वोत्तम होगा, जो कान्हा को पसंद है. जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को ये चीजें अर्पित करें…

1. पंचामृत जरूर अर्पित करें, उसमें तुलसी भी जरूर डालें.

2. कृष्ण को मेवा, माखन और मिसरी बेहद प्रिय हैं. इसलिए इनका भोग भी लगाएं.

3. कहीं-कहीं, धनिये की पंजीरी भी अर्पित की जाती है.

4. पूर्ण सात्विक भोजन, जिसमें तमाम तरह के व्यंजन हों, इस दिन श्री कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं. 

कैसे मनाएं जन्माष्टमी

– सुबह-सुबह स्नान करके जन्माष्टमी के दिन व्रत या पूजा का संकल्प लें. दिनभर जलाहार या फलाहार ग्रहण करें, सात्विक रहें

– मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रक्खें.

– उस प्रतिमा को पहले दूध से, फिर दही से, फिर शहद से, फिर शर्करा से और अंत में घी से स्नान कराएं.

– इसी को पंचामृत स्नान कहते हैं, इसके बाद जल से स्नान कराएं.

– तत्पश्चात पीताम्बर, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें

– ध्यान रखें की अर्पित की जाने वाली चीजें शंख में डालकर ही अर्पित की जाएंगी

– पूजा करने वाला व्यक्ति काले अथवा सफेद वस्त्र धारण नहीं करेगा

– इसके बाद अपनी मनोकामना के अनुसार मंत्र जाप करें

– अंत में प्रसाद ग्रहण करें और वितरण करें

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