संवाद उत्तराखंड उदय 2018: त्रिवेंद्र सिंह से पाठक ने पूछा- पहाड़ों से पलायन रोकने की क्या योजना है?

संवाद उत्तराखंड उदय 2018: त्रिवेंद्र सिंह से पाठक ने पूछा- पहाड़ों से पलायन रोकने की क्या योजना है?

संवाद ही समाधान है। यही मूलमंत्र है अमर उजाला संवाद उत्तराखंड उदय 2018 कार्यक्रम का। देहरादून में 8 जनवरी को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अमर उजाला डॉट कॉम पर पाठकों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देंगे। अमर उजाला के सुधि पाठक लगातार अपने सवाल भेज रहे हैं। पूर्व वैज्ञानिक और सामाजसेवी हृदय भूषण डिमरी ने मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी प्रश्न किया है कि, ‘नया प्रदेश बनने के मूल उद्देश्य “पहाड़ों से पलायन रोकने” के लिए प्रदेश सरकार की क्या योजना है और जिन क्षेत्रों से अभी कम पलायन हुआ है, वहां भविष्य में पलायन न हो इसके लिए सरकार योजना बना रही है?’ संवाद उत्तराखंड उदय 2018: त्रिवेंद्र सिंह से पाठक ने पूछा- पहाड़ों से पलायन रोकने की क्या योजना है?

उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ के साथ ही अस्तित्व में आया था। पुष्कर सिंह ने राज्य सरकार की खेल नीति को लेकर मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि, ‘9 नवंबर 2000 से आज तक उत्तराखंड में खेल-कूद व स्टेडियम का कोई विशेष स्तर क्यों नहीं बन पाया? जबकि झारखंड व छत्तीसगढ़ हमसे कहीं आगे हैं। वैसे वर्तमान मुख्यमंत्री जी झारखंड के बीजेपी प्रभारी रह चुके हैं।’ 

देहरादून से सामाजिक कार्यकर्ता सुशील सैनी का सवाल भी राज्य में पलायन की समस्या को लेकर है। उन्होंने सरकार से पूछा है कि, ‘उत्तराखंड के तमाम प्रतिभाशाली युवाओं को खाड़ी देशों में भटकना पड़ता है। उत्तराखंड में होटल और पर्यटन की क्यों कोई ठोस नीति सामने क्यों नहीं आ रही है।’ 

‘प्राथमिक स्कूल क्यों बंद हो रहे हैं’

संजीव भट्ट का सुझाव है कि, ‘पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के लिए पर्यटन, फल और जड़ी बूटी उत्पादन सबसे सस्ते और जल्द विकास के माध्यम बन सकते हैं। सरकार को इसका खाका तैयार करने के लिए नौकरशाहों की बजाए जनता से राय लेनी चाहिए।’ 

रेणु सिंह ने जनना चाहती हैं कि, ‘इस बार के महाकुम्भ के लिए सरकार गंगा नदी की स्वच्छता को प्रदूषण से कैसे बचाएगी?’ 

विश्वनाथ शाह का कहना है कि, ‘उत्तराखंड में दिव्यांगजनों की संख्या लगभग 2 लाख है, सरकार उन्हें नाम मात्र की पेंशन देती है। वहीं सरकार हर प्रकार के बजट में हर साल बढ़ोतरी करती है, लेकिन दिव्यांगजन पर क्यों नहीं?’ शाह सरकार से पूछ रहे हैं कि, ‘क्या ऐसा कोई कानून नहीं बनाया जा सकता जिसमें निर्धारित शैक्षणिक योग्यता होने पर दिव्यांगजनों को एक सम्मान जनक सरकारी नौकरी या सम्मानजनक पेंशन दिया जाए जिससे उनका पूरा जीवन अच्छे से गुजर सके? 

अक्षय चू ने पूछ है कि, ‘उत्तराखंड सरकार युवाओं के लिए क्या कार्य कर रही है।’ 

पंडित गोपाल ने सरकार से सवाल किया है कि, ‘आपके विकास और दूसरी सरकारों के विकास में क्या अंतर है।’ 

कमल भट्ट मुख्यमंत्री से जानन चाहते हैं कि, ‘हमारे उत्तराखंड में लगातार प्राथमिक विद्यालय बंद हो रहे हैं क्योंकि छात्रों की संख्या कम हो रही है। इसके लिए आप क्या नया कदम उठा सकते हैं? और पूरवर्ती सरकारों द्वारा जो हर एक किलोमीटर के भीतर प्राथमिक विद्यालयों का निर्माण करवाया गया, क्या यह सही कदम था?’ 

अमर उजाला उत्तराखंड उदय संवाद 2018 के प्रस्तुतकर्ता हैं पैसिफिक। स्मार्टफोन पार्टनर हैं कोमियो। सोशल मीडिया पार्टनर है फेसबुक। टीवी पार्टनर समाचार प्लस उत्तरप्रदेश/उत्तराखंड न्यूज चैनल है। उत्‍तराखंड शासन, पासपास पल्स, मदर्स प्राइड, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण, आदित्य बिरला टैनफैक, ब्रिडकुल, अमरउजाला डॉट कॉम, फिरकी डॉट इन, माय रिजल्ट प्लस, अमर उजाला काव्य और अमर उजाला टीवी इस आयोजन के एसोसिएट पार्टनर्स हैं। टूव्हीलर पार्टनर हैं यूएम। आउटडोर पार्टनर हैं AUTDoors और ट्रैवल पार्टनर हैं GTS.

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