संसद में गरजे जेटली, कहा-अपनी सीमा की सुरक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है भारतीय सेना

संसद में गरजे जेटली, कहा-अपनी सीमा की सुरक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है भारतीय सेना

रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने भारत को युद्ध की धमकी देने वाले चीन पर मंगलवार को एक बार फिर करारा हमला बोला है। जेटली ने कहा कि भारत की सेना अपने देश की सुरक्षा करने में हर तरह से सक्षम है।संसद में गरजे जेटली, कहा-अपनी सीमा की सुरक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है भारतीय सेनाअगर आप अपने बैंक खाते पर ध्यान नहीं रखा तो फ्रीज हो जाएगा खाता…

दरअसल, विपक्ष की ओर से उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि देश की संप्रभुता की रक्षा करने के लिए भारतीय सेनाओं के पास उचित मात्रा में हथियार हैं। गौरतलब है कि हाल ही में कैग की रिपोर्ट में ये सामने आया था कि अगर अभी युद्ध की स्थिति आती है तो भारतीय सेना के पास सिर्फ 10 दिनों तक के ही हथियार हैं।

आनंद शर्मा ने जेटली के इस जवाब पर कहा कि क्या सरकार ने पिछले 3 साल में कुछ भी नहीं किया है, अभी भी देश के पास को पूर्ण रूप से रक्षा मंत्री नहीं हैं। मनोहर पर्रिकर अपने कार्यकाल में पूरी तरह से फेल रहे। राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन ने कहा कि अगर विपक्ष इस मुद्दे पर बहस करना चाहता है तो वह नोटिस दे सकता है। सपा नेता रामगोपाल यादव ने भी इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश की जनता चिंता में है, आखिर ऐसा क्यों है. सरकार को देश की रक्षा के लिए हर तरह के कदम उठाने चाहिए।

 संसद के समक्ष बीते शुक्रवार को रखी गई कैग की रिपोर्ट में कहा गया कुल 152 तरह के गोला-बारूद में से महज 20% यानी 31 का ही स्टॉक संतोषजनक पाया गया, जबकि 61 प्रकार के गोला बारूद का स्टॉक चिंताजनक रूप से कम पाया गया था। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2016 में कुल 152 तरह के गोलाबारूद में केवल 31 ही 40 दिनों के लिए, जबकि 12 प्रकार के गोलाबारूद 30 से 40 दिनों के लिए, वहीं 26 प्रकार के गोलाबारूद 20 दिनों से थोड़ा ज्यादा वक्त के पर्याप्त पाए गए।

इस रिपोर्ट में साथ ही कहा गया है कि इस बीच विस्फोटक और विध्वंस उपकरणों जैसे कुछ महत्वपूर्ण हथियारों का रिजर्व सुधरा है, लेकिन बेहतर फौजी ताकत को बनाए रखने के लिए जरूरी बख्तरबंद लड़ाकू वाहनों (AFV) और तोपों के लिए गोला बारूद चिंताजनक रूप से कम पाए गए। हालांकि गोला-बारूद की यह किल्लत कोई नई नहीं है और पिछली यूपीए सरकार ने इसे ध्यान में रखते हुए 2015 तक गोलाबारूद की कमी को दूर के लिए एक रोडमैड भी बनाया था। कैग की इस रिपोर्ट में पाया गया कि मार्च 2013 में बने रोडमैप के बावजूद इन तीन वर्षों में गोलाबारूद के रिजर्व में कोई खास सुधार नहीं देखा गया।

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