सफाई करो-इनाम जीतो! मीरजापुर के एक गांव की महिलाओं में मची होड़

उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले के अचितपुर (पुरैनी) गांव में स्वच्छता को लेकर एक दिलचस्प प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है। गांव में यह अनोखी प्रतियोगिता 26 जनवरी से शुरू हुई है, जो अगली 26 जनवरी तक चलेगी। गांव की हर महिला इसमें भाग ले सकती है। वो भी बिना किसी पंजीकरण के। शर्त बस इतनी है कि साल भर हर दिन अपने घर-आंगन, गली और आसपास के स्थान को चकाचक रखना पड़ेगा। चीटिंग-चालाकी की कहीं कोई गुंजाइश नहीं। क्योंकि हर रोज मॉनीर्टंरग भी होगी। फोटो खींची जाएंगी। 26 जनवरी को इनामों का पिटारा खुलेगा।

पहला इनाम एलईडी टीवी…

जो जीतेगा उसे इनाम मिलेगा। पहला इनाम एलईडी टीवी है। दूसरा, टचस्क्रीन वाला मोबाइल फोन। तीसरा, साइकिल। और चौथा, मिक्सी। इसके अलावा 11 सांत्वना पुरस्कार भी हैं। घर-घर पोस्टर चस्पा हो चुके हैं। गांव की महिलाओं में इनाम जीतने के लिए होड़ मच गई है। इसी बहाने गांव का चप्पा-चप्पा स्वच्छ हो चला है।

आइडिया कमाल का

जमालपुर ब्लाक के इस गांव के प्रधान महेंद्र यादव को यह आइडिया आया। उन्होंने गांव की महिलाओं को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करने के लिए यह युक्ति ढूंढ निकाली। महिलाओं को घर-आंगन के अलावा साथ लगती गली और आसपास के स्थान की भी नियमित साफ-सफाई की सीख देना उनका मकसद है। इस प्रतियोगिता में सिर्फ गांव की महिलाओं को ही भागीदार बनाया है। प्रतियोगिता का नाम रखा गया है- गांधी जी की दिशा में एक कदम।

बन गई बात

खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ, ओपन डेफेकेशन फ्री) घोषित हो चुके इस गांव में अब हालत ये है कि महिलाओं में सफाई को लेकर होड़ मच गई है। यहां हर महिला बड़ा इनाम जीतना चाहती है। ये पुरस्कार उसी शर्त पर दिए जाएंगे जबकि महिलाएं अपने घर व आसपास की गलियों को वर्षभर साफ-सुथरा रखेंगी।

फोटोग्राफी के जरिए सफाई की प्रतिदिन मानीटरिंग भी की जा रही है। गांव में 370 घर हैं, जिसमें से 300 घरो में शौचालय है। महेंद्र बताते है कि पुरस्कारों के लिए बजट का इंतजाम वह खुद कर रहे हैं, बाद में यदि सरकारी मद में बजट मिल जाता है तो सोने पर सुहगा हो जाएगा।

ग्राम प्रधान का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है। इसका फायदा जरूर मिलेगा। अन्य गांवों में भी ऐसी ही प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए प्रधानों को निर्देशित किया जाएगा।

-दिनेश प्रताप सिंह, खंड विकास अधिकारी, जमालपुर ब्लॉक

स्वस्थ समाज की पहली कड़ी स्वच्छता है। गांव को शत-प्रतिशत स्वच्छ बनाने के लिए यह विचार आया। शासन अगर प्रधानों को सम्मानित कर सकता है तो प्रधान उन ग्रामीणों को क्यों नहीं पुरस्कृत कर सकता, जो उसे चुनते हैं।

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