सात साल पहले एक दिन अचानक उसने सब्जी का ठेला लगाना बंदकर दिया और प्रापर्टी के कारोबार से जुड़ गया। इसी दौरान वह टेरर फंडिंग नेटवर्क के संपर्क में आया। पांच वर्ष तक जमीन के धंधे से जुड़ा रहा। इस दौरान करीब दो वर्ष पहले जमीन का कारोबार बंद उसने कौन से धंधा किया, इस बारे में तो किसी को नहीं पता लेकिन, इसी बीच वह बेहिसाब दौलत का मालिक बन गया। डेढ़ साल पहले शाहपुर में असुरन चौराहे के पास मेडिकल कालेज रोड पर उसके कीमती जमीन खरीदने और उस पर सत्यम लान खोलने के बाद लोगों को उसकी कमाई के बारे में पता चला। बीते नवरात्र के पहले दिन उसने मार्ट का उद्घाटन करवाया था। रमेश की दूसरी पत्नी के बेटे का नाम सत्यम है। उसी के नाम पर उसने मार्ट का नाम सत्यम मार्ट रखा है। नेटवर्क से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के बाद सामने आया था नाम लखनऊ एटीएस की टीम ने 24 मार्च को मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में छापेमारी कर टेरर फंडिंग नेटवर्क से जुड़े दस लोगों को गिरफ्तार किया था। इसमें से छह लोग गोरखपुर से गिरफ्तार थे। पूछताछ में उन्होंने रमेश शाह का नाम बताया था। उस समय एटीएस ने रमेश के पिता और भाई को हिरासत में लेकर पूछताछ भी किया गया था। उसी समय से एटीएस उसकी तलाश कर रही थी। पाकिस्तानी हैंडलर के सीधे संपर्क में था रमेश टेरर फंडिंग का नेटवर्क पाकिस्तान में बैठा लश्कर-ए-तैयब्बा का एक आतंकी संचालित करता था। एटीएस की छानबीन में पता चला है कि रमेश शाह, पाकिस्तानी हैंडलर के सीधे संपर्क में था। इंटरनेट काल के जरिये पाकिस्तानी हैंडलर उसे बताता था कि किसको, कितनी रकम पहुंचानी है। रमेश शाह के गुर्गों के बैंक खातों में पाकिस्तानी हैंडलर ही मध्य-पूर्व के देशों और पूर्वोत्तर के कई राज्यों से रकम भेजता था। बाद में उसके कहने पर रमेश शाह, अपने गुर्गों के जरिये इस रकम को आतंकी गतिविधियों से जुड़े लोगों तक पहुंचाता था। 26 मई को गोरखपुर में था रमेश एटीएस की गिरफ्त में आने से बचने के लिए वैसे तो रमेश शाह भागता फिर रहा था। इस बीच 26 मार्च को अंतिम बार वह गोरखपुर आया था। इस दौरान घर, सर्वोदय नगर जाकर माता-पिता से मुलाकात भी की थी लेकिन, एक शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली जाने की बात कहकर उसी दिन चला भी गया था। माता-पिता की माने तो इसके बाद से रमेश से उनका कोई संपर्क नहीं हो पाया।

सब्जी विक्रेता से रमेश शाह बना टेरर फंडिग नेटवर्क का संचालक

टेरर फंडिंग नेटवर्क के जिस संचालक रमेश शाह को दो दिन पहले पुणे से गिरफ्तार किया गया वह कुछ वर्ष पहले तक गोरखपुर में चार फाटक रोड पर पिता के साथ सब्जी का ठेला लगाता था। एक दिन अचानक उसने सब्जी का ठेला लगाना बंद कर दिया और प्रापर्टी कारोबार से जुड़ गया।सात साल पहले एक दिन अचानक उसने सब्जी का ठेला लगाना बंदकर दिया और प्रापर्टी के कारोबार से जुड़ गया। इसी दौरान वह टेरर फंडिंग नेटवर्क के संपर्क में आया। पांच वर्ष तक जमीन के धंधे से जुड़ा रहा। इस दौरान करीब दो वर्ष पहले जमीन का कारोबार बंद उसने कौन से धंधा किया, इस बारे में तो किसी को नहीं पता लेकिन, इसी बीच वह बेहिसाब दौलत का मालिक बन गया। डेढ़ साल पहले शाहपुर में असुरन चौराहे के पास मेडिकल कालेज रोड पर उसके कीमती जमीन खरीदने और उस पर सत्यम लान खोलने के बाद लोगों को उसकी कमाई के बारे में पता चला। बीते नवरात्र के पहले दिन उसने मार्ट का उद्घाटन करवाया था। रमेश की दूसरी पत्नी के बेटे का नाम सत्यम है। उसी के नाम पर उसने मार्ट का नाम सत्यम मार्ट रखा है।    नेटवर्क से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के बाद सामने आया था नाम  लखनऊ एटीएस की टीम ने 24 मार्च को मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में छापेमारी कर टेरर फंडिंग नेटवर्क से जुड़े दस लोगों को गिरफ्तार किया था। इसमें से छह लोग गोरखपुर से गिरफ्तार थे। पूछताछ में उन्होंने रमेश शाह का नाम बताया था। उस समय एटीएस ने रमेश के पिता और भाई को हिरासत में लेकर पूछताछ भी किया गया था। उसी समय से एटीएस उसकी तलाश कर रही थी।  पाकिस्तानी हैंडलर के सीधे संपर्क में था रमेश  टेरर फंडिंग का नेटवर्क पाकिस्तान में बैठा लश्कर-ए-तैयब्बा का एक आतंकी संचालित करता था। एटीएस की छानबीन में पता चला है कि रमेश शाह, पाकिस्तानी हैंडलर के सीधे संपर्क में था। इंटरनेट काल के जरिये पाकिस्तानी हैंडलर उसे बताता था कि किसको, कितनी रकम पहुंचानी है। रमेश शाह के गुर्गों के बैंक खातों में पाकिस्तानी हैंडलर ही मध्य-पूर्व के देशों और पूर्वोत्तर के कई राज्यों से रकम भेजता था। बाद में उसके कहने पर रमेश शाह, अपने गुर्गों के जरिये इस रकम को आतंकी गतिविधियों से जुड़े लोगों तक पहुंचाता था।  26 मई को गोरखपुर में था रमेश  एटीएस की गिरफ्त में आने से बचने के लिए वैसे तो रमेश शाह भागता फिर रहा था। इस बीच 26 मार्च को अंतिम बार वह गोरखपुर आया था। इस दौरान घर, सर्वोदय नगर जाकर माता-पिता से मुलाकात भी की थी लेकिन, एक शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली जाने की बात कहकर उसी दिन चला भी गया था। माता-पिता की माने तो इसके बाद से रमेश से उनका कोई संपर्क नहीं हो पाया।

इसी बीच वह कब और कैसे टेरर फंडिंग नेटवर्क से जुड़ गया इस बारे तो किसी को जानकारी नहीं है लेकिन, इतना जरूर है कि महज दो से ढाई साल के अंदर ही उसने अकूत संपदा हासिल कर ली और टिनशेड के एक कमरे परिवार के साथ गुजर-बसर करने वाला रमेश देखते ही देखते सत्यम मार्ट नाम के सुपर मार्केट का मालिक बन बैठा।

मूल रूप से गोपालगंज, बिहार के हजियापुर, कैथोलिया गांव के रहने वाले रमेश के पिता हरिशंकर शाह 26 वर्ष पहले पत्नी व दो बेटों के साथ गोरखपुर आए थे। शाहपुर क्षेत्र में बिछिया मोहल्ले के सर्वोदयनगर कालोनी में छोटी सी जमीन खरीदकर टिनशेड के घर में उन्होंने अपनी गृहस्थी बसाई। उस समय रमेश की उम्र महज चार साल थी। परिवार का भरण-पोषण करने के लिए हरिशंकर शाह ने चार फाटक रोड पर पहले फल और बाद में सब्जी की दुकान लगाना शुरू किया।

हाईस्कूल तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद रमेश भी पिता के काम में हाथ बंटाने लगा। बाद में कुछ रुपये जोड़कर उसने अलग ठेला लगना शुरू कर दिया। लंबे समय तक पिता के साथ सब्जी का ठेला लगाता रहा।

सात साल पहले एक दिन अचानक उसने सब्जी का ठेला लगाना बंदकर दिया और प्रापर्टी के कारोबार से जुड़ गया। इसी दौरान वह टेरर फंडिंग नेटवर्क के संपर्क में आया। पांच वर्ष तक जमीन के धंधे से जुड़ा रहा। इस दौरान करीब दो वर्ष पहले जमीन का कारोबार बंद उसने कौन से धंधा किया, इस बारे में तो किसी को नहीं पता लेकिन, इसी बीच वह बेहिसाब दौलत का मालिक बन गया। डेढ़ साल पहले शाहपुर में असुरन चौराहे के पास मेडिकल कालेज रोड पर उसके कीमती जमीन खरीदने और उस पर सत्यम लान खोलने के बाद लोगों को उसकी कमाई के बारे में पता चला। बीते नवरात्र के पहले दिन उसने मार्ट का उद्घाटन करवाया था। रमेश की दूसरी पत्नी के बेटे का नाम सत्यम है। उसी के नाम पर उसने मार्ट का नाम सत्यम मार्ट रखा है।

नेटवर्क से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के बाद सामने आया था नाम

लखनऊ एटीएस की टीम ने 24 मार्च को मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में छापेमारी कर टेरर फंडिंग नेटवर्क से जुड़े दस लोगों को गिरफ्तार किया था। इसमें से छह लोग गोरखपुर से गिरफ्तार थे। पूछताछ में उन्होंने रमेश शाह का नाम बताया था। उस समय एटीएस ने रमेश के पिता और भाई को हिरासत में लेकर पूछताछ भी किया गया था। उसी समय से एटीएस उसकी तलाश कर रही थी।

पाकिस्तानी हैंडलर के सीधे संपर्क में था रमेश

टेरर फंडिंग का नेटवर्क पाकिस्तान में बैठा लश्कर-ए-तैयब्बा का एक आतंकी संचालित करता था। एटीएस की छानबीन में पता चला है कि रमेश शाह, पाकिस्तानी हैंडलर के सीधे संपर्क में था। इंटरनेट काल के जरिये पाकिस्तानी हैंडलर उसे बताता था कि किसको, कितनी रकम पहुंचानी है। रमेश शाह के गुर्गों के बैंक खातों में पाकिस्तानी हैंडलर ही मध्य-पूर्व के देशों और पूर्वोत्तर के कई राज्यों से रकम भेजता था। बाद में उसके कहने पर रमेश शाह, अपने गुर्गों के जरिये इस रकम को आतंकी गतिविधियों से जुड़े लोगों तक पहुंचाता था।

26 मई को गोरखपुर में था रमेश

एटीएस की गिरफ्त में आने से बचने के लिए वैसे तो रमेश शाह भागता फिर रहा था। इस बीच 26 मार्च को अंतिम बार वह गोरखपुर आया था। इस दौरान घर, सर्वोदय नगर जाकर माता-पिता से मुलाकात भी की थी लेकिन, एक शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली जाने की बात कहकर उसी दिन चला भी गया था। माता-पिता की माने तो इसके बाद से रमेश से उनका कोई संपर्क नहीं हो पाया। 

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